ये पहली बार नहीं है जब दिल्ली(Delhi) के सामने प्रदूषण(Pollution) का संकट गहराया है. ये दिल्ली की नियति बन चुकी है. हर साल दिल्ली बंधक बनती है और लोग जान हथेली पर रख कर अपनी दिनचर्या को अंजाम देते हैं. सरकार हर साल प्रदूषण का स्थायी निदान देने का दावा करती है. लेकिन ये दावा हवा हवाई साबित होता है. अब सवाल है कि प्रदूषण के आगे हर बार सरकार क्यों बेबस नजर आती है. आज सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए एक इमरजेंसी बैठक बुलाई लेकिन इस बैठक का कितना असर प्रदूषण के विरुद्ध युद्ध पर पड़ेगा कहा नहीं जा सकता.