वक्त बदला और मिट्टी के दीये जलाने का चलन भी बदल गया. दीये बाजार से गायब तो नहीं हुए लेकिन इसके खरीददार कम हो गए. दिवाली अभी भी रौशनी का त्योहार है, लेकिन बिजली और मोम से होने वाली रौशनी का.यह दीये जो हमारे घरों को रोशन करते हैं, इनसे लोगों के घर परिवार भी चलते है, दिवाली ने ऐसा सफर तय किया है जो अनूठा है, दीयों को पहले कुम्हारों के पास से ज्यों की त्यों खरीद लिया जाता था. इस रिपोर्ट में देखिए अब ग्राउंड पर क्या हैं हालात? आइए संस्कार औऱ व्यापार के बीच जगमगाती दिवाली को देखते हैं.
Time changed and the practice of lighting earthen lamps also changed. Diyas did not disappear from the market, but its buyers became fewer. Diwali is still a festival of lights, but the light is from electricity and wax. See what is the situation on the ground now? Watch the video to know more.