भारत में बिजली का संकट गहराने का अंदेशा है. देश के कई पावर प्लांट कोयले की कमी के चलते बंद हो गए हैं. महाराष्ट्र में लोगों से बिजली का कम इस्तेमाल करने की की अपील की जा रही है तो वहीं पंजाब में तीन घंटे बिजली कटौती हो रही है. इसी बीच राजधानी दिल्ली में भी बिजली का संकट बढ़ता जा रहा है. कोयले की कमी के चलते यहां भी प्लांट बंद होने की बातें कही जा रहीं हैं.
दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि किसी भी पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक किसी भी हालत में 15 दिन से कम का नहीं होना चाहिए, जबकि सच्चाई ये है कि ज्यादातर प्लांट में 1 से 2 दिन का स्टॉक ही बचा है. NTPC जो सबसे ज्यादा बिजली बनाती है, आज उसके ज्यादातर प्लांट 55 फ़ीसदी कैपेसिटी पर चल रहे हैं. थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की बड़ी दिक्कत है, तभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, पंजाब में बिजली कट रही है.
बिजली की समस्या है इसको मानना चाहिए.
नहीं मिल रही पूरी सप्लाई- सत्येंद्र जैन
सत्येंद्र जैन ने दावा करते हुए कहा कि दिल्ली की पीक डिमांड इन दिनों 7400 मेगावाट पर गई थी, कल पीक डिमांड 4562मेगावाट थी, इसके बावजूद पूरी सप्लाई नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र के NTPC के प्लांट्स से दिल्ली को करीब 4 हजार मेगावाट की सप्लाई मिलती है. अभी इसमें से सिर्फ 55 फीसदी सप्लाई ही मिल रही है. कमी को पूरा करने के लिए दिल्ली के तीनों गैस प्लांट्स चला रहे हैं.
गैस पर निर्भरता बढ़ी, लेकिन वो भी नहीं!
सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली का अपना कोयले से चलने वाला प्लांट नहीं है. यहां तीन हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट हैं जो गैस पर चलते हैं. इन तीनों की कैपेसिटी रोजाना 1900 मेगावाट की है, लेकिन अभी 1300 मेगावाट प्रोडक्शन ही हो रहा है. उन्होंने बताया कि बिजली के लिए दिल्ली केंद्र पर निर्भर है, इसलिए पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत दिल्ली NTPC के प्लांट से बिजली खरीदती है जो दूसरे राज्यों में है.
उन्होंने बताया कि दिल्ली का NTPC से 3.5 से 4 हजार मेगावाट का एग्रीमेंट है. भले ही NTPC के ये प्लांट दिल्ली में नहीं है, लेकिन एग्रीमेंट के अनुसार बिजली लेना हमारा हक है, इसलिए हम प्लांट्स में कोयले की आपूर्ति के बाधित होने पर सवाल उठा रहे हैं.
केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखी थी चिट्ठी
कोयले की कमी के चलते बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैस पर निर्भरता बढ़ रही है. लेकिन गैस की कमी की बात भी कही जा रही है. 9 अक्टूबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था. उन्होंने थर्मल पावर प्लांट में कोयले की किल्लत और कोयले की मौजूदा स्टॉक की जानकारी दी. साथ ही कहा कि इन हालात में गैस आधारित पावर प्लांट पर निर्भरता बढ़ी है, लेकिन इतनी गैस नहीं है कि वह पावर प्लांट अपनी क्षमता पर चल सकें. इसमें उन्होंने तीन मांगे की थीं.
1. दूसरे पावर प्लांट से कोयला दादरी और झज्जर प्लांट भेजा जाए.
2. बवाना, GTPS और प्रगति मैदान (आईपी), इन तीनों गैस प्लांट को पर्याप्त गैस दी जाए.
3. इलेक्ट्रिसिटी एक्सचेंज में मुनाफाखोरी ना हो, इसके लिए 20 रुपये प्रति यूनिट बिजली बेचने का अधिकतम रेट तय किया जाए.
अब सरकार का क्या है कहना?
केंद्र सरकार कोयले की कमी नहीं होने का दावा कर रही है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था. कि ऐसा कोई क्राइसिस था ही नहीं, इसे जानबूझकर बनाया गया है. आरके सिंह ने कहा था, 'जितने पावर की जरूरत होगी, हम उतनी सप्लाई करेंगे. आज हमारे पास 4.5 दिन का का कोयले का स्टॉक है. तो ये कहना है कि जितने कोयले की जरूरत थी, उतना नहीं मिला, ये कहना भ्रामक है. आपको जितना चाहिए, आपको मिलेगा.' हालांकि, उन्होंने ये ये भी कहा कि पहले की तरह 17 दिन का स्टॉक नहीं है, लेकिन सवा चार दिन का स्टॉक है.