GNT Exclusive: 'डिजिटल क्रांति.....!' हमेशा रहें सावधान, बड़े धोखे हैं इस राह में

सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज़ ने इंटरनेट और साइबर क्राइम के मामलों में अचानक से तेजी ला दी है. किसी को पता भी नहीं चलता कि कब सिर्फ एक लिंक पर क्लिक करने से वह कंगाल हो जाएगा, जीवनभर की पूंजी ठग लूट ले जाएंगे. यह दौर, अतिरिक्त सतर्कता का है.

सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ा है ऑनलाइन ठगी का चलन (सांकेतिक तस्वीर)
अभिषेक शुक्ल
  • नई दिल्ली,
  • 06 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST
  • कभी किसी से शेयर न करें OTP, पासवर्ड
  • सोशल मीडिया प्रोफाइल पर रहें सतर्क
  • मेल पर स्पैम, अनजाने लिंक्स को न करें क्लिक

इंटरनेट और स्मॉर्टफोन्स के बढ़ते इस्तेमाल ने दुनिया को ऑनलाइन स्कैम के भयावह दौर में धकेल दिया है, जहां जरा सी असावधानी, किसी की जिंदगीभर की पूंजी खत्म कर सकती है.डिजिटल पेमेंट्स, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और ई-मेल पर पड़े सैकड़ों फ्रॉड मेल्स, कभी भी किसी को भी चूना लगा सकते हैं. एक क्लिक और बैंक अकाउंट का बैलेंस जीरो.

साइबर क्राइम के मामले बेहद तेजी से इन दिनों बढ़े हैं. पेटीएम, गूगल पे, फोन पे, यूपीआई से लेकर अलग-अलग बैंकिंग ऐप्स के यूजर, सभी के साथ साइबर ठग, ऑनलाइन ठगी की कोशिशों में जुटे रहते हैं. फोन या मेल पर बातचीत का लहजा ऐसा होता है कि लोग आसानी से भरोसा कर लेते हैं. फिर ठगों के इशारे पर आप जो भी करते हैं, उनका मिशन कामयाब होने लगता है.

साइबर ठग पहले आपसे आपकी निजी जानकारियां हासिल करते हैं, फिर आपको निशाना बनाते हैं. इंटरनेट क्रांति के इस दौर में सोशल मीडिया पर मौजूद कोई भी जानकारी, गोपनीय तो नहीं कही जा सकती है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, लिंक्डइन, व्हाट्सएप, स्नैपचैट, टिंडर, हाइक, वीचैट और टम्बलर पर, हर यूजर अपने बारे में छोटी-बड़ी जानकारियां शेयर करता है. कुछ लोग ईमेल और फोन नंबर भी अपडेट करते हैं. यहीं से ऑनलाइन ठग लोगों को निशाना बनाते हैं. ऑनलाइन ठगी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर होती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़े हैं.

तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से हाल में ही जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश में 2020 में साइबर अपराध के 50,035 मामले दर्ज किए गए. बीते साल की तुलना में इस तरह के अपराधों में 11.8% की वृद्धि दर्ज की गई है. एनसीआरबी  के आंकड़ों के मुतताबिक देश में साइबर अपराध की दर भी 2019 में 3.3% से बढ़कर 2020 में 3.7% हो गई. 

2020 में ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के 4,047 मामले, ओटीपी के जरिए होने वाली धोखाधड़ी के 1,093 मामले  और क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के 1,194 केस सामने आए. वहीं 2020 में एटीएम से संबंधित 2,160 मामले सामने आए. ये आधिकारिक आंकड़े हैं, आंकड़े इससे ज्यादा भी हो सकते हैं.

अनजाने कॉलर से हमेशा रहें सावधान!

सिर्फ यही नहीं, जिन सुविधाओं के लिए आप अपने फोन नंबर्स को रजिस्टर करते हैं, वहां से भी आपका फोन नंबर सर्कुलेट हो जाता है. ठग, आपके दिए गए नंबरों को हासिल कर, आपको भरोसे में लेकर, लूट करते हैं और आप उनकी बातों का भरोसा भी करने लगते हैं. ठग, कुछ शुरुआती जानकारी हासिल कर लेते हैं. जैसे, नाम, पता, प्रोफेशन और एड्रेस. बुनियादी जानकारी के बारे में वे इतने कॉन्फिडेंस से बताते हैं कि सामने वाले शख्स को भरोसा हो जाता है कि ऑफर सही ही होगा. यहीं से तैयार होती है ठगों के शिकार की भूमिका.

कैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ठगी से बचें?

गृह मंत्रालय के आधीन नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर साइबर अपराधों की हर छोटी-बड़ी जानकारियां लिखी गई हैं. समय-समय पर लगातार विज्ञापनों और न्यूज पोर्टल्स पर लोगों को अलर्ट किया जाता है. cybercrime.gov.in वेबसाइट पर महिला और बच्चों से संबंधित शिकायतों से लेकर अन्य साइबर अपराधों की शिकायत रजिस्टर्ड कराई जा सकती है.

कभी शेयर न करें, बैंक, ओटीपी और पासवर्ड 

साइबर अपराधों से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अनुराग ने कहा कि कोई भी बैंकिंग डीटेल्स किसी से शेयर न करें. ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी मोड में यह सिर्फ आपके जानने की चीज है, इसे दूसरों से शेयर न करें. बैंक्स की ओर से बार-बार आगाह किया जाता है कि अपनी गोपनीय जानकारियां किसी भी सूरत में दूसरों से शेयर न करें. बैंक कभी ओपीटी, पासवर्ड नहीं पूछते. कोई आपसे कितनी बार भी क्यों न कहे कि आपकी लॉटरी लग गई है, आपको विदेश का मुफ्त ट्रिप मिल गया है, उसकी बात का यकीन न करें. ऑफर आसमान से नहीं टपकते. न ही कहीं से पैसों की खैरात बंटती है. आप ऐसे ऑफर के चक्कर में पड़ेंगे तो अपने पैसे भी लुटा देंगे.

ठगी होने पर क्या करें?

सुप्रीम कोर्ट में  साइबर क्राइम से जुड़े मामलों को कवर करने वाले एक अन्य अधिवक्ता विशाल अरुण ने कहा कि साइबर अपराधों का शिकार होने पर www.cybercrime.gov.in पर पीड़ित व्यक्ति को तत्काल शिकायत देनी चाहिए. नजदीकी पुलिस स्टेशन के साइबर सेल में भी आप शिकायत रजिस्टर करा सकते हैं. इसके अलावा आप हेल्पलाइन नंबर 155260 पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. अगर आपके साथ बैंकिंग फ्रॉड हुआ है तो भी आप यहां शिकायत कर सकते हैं. ऐसे मामलों में पुलिस सही डीटेल्स मिलने पर गुनाहगारों का जल्द पर्दाफाश कर सकती है. 

शिकायत देते वक्त इन दस्तावेजों को रखें तैयार

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अंजन दत्ता ने कहा कि शिकायतकर्ता अपने फोन नंबर, बैंक अकाउंट डीटेल्स (जिससे पैसे उड़ाए गए हों), अकाउंट नंबर, यूपीआई आईडी या वैलेट, ट्रांजैक्शन आईडी, ट्रांजैक्शन डेट, डेबिट या क्रेडिट कार्ड नंबर (जिस पर ठगी हुई हो) और ट्रांजेक्शन से स्क्रीनशॉट्स तैयार रखें. साइबर सेल इनसे जुड़ी जानकारियां मांगती है. ऑनलाइन शिकायत देने पर आपको लॉगइन आईडी और पासवर्ड भी शेयर किया जाता है.  फाइनेंशियल फ्रॉड की जांच संबंधित पुलिस अधिकारी करता है, जिसका विवरण बैंक्स को पुलिस को ओर से दिया जाता है. पुलिस ही फ्रॉड का वेरिफिकेशन भी करती है. यही तरीका है कि जिससे साइबर फ्रॉड में पीड़ित शख्स को उसके लुटे हुए पैसे रिटर्न हो सकते हैं. फिर पुलिस साइबर अपराधियों पर संबंधित कानूनों के तहत एक्शन लेती है. 

किन कानूनों के तहत अपराधियों पर चल सकता है केस?

साइबर अपराधों पर भी मुकदमे अन्य इसी श्रेणी के कानूनों के तहत ही चलते हैं. साइब क्राइम करने पर भी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 406 (क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट) और अन्य धाराएं लगती हैं. वहीं  इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 की धारा 43, 65, 66, 67 और अन्य प्रावधानों के तहत भी एक्शन लिया जाता है. ऐसे अपराधों में 3 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है. कुछ मामलों में सजा और जुर्माना और ज्यादा बढ़ सकता है.

ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड पर क्या कहती है RBI की गाइडलाइन?

अगर किसी ने आपके बैंक खाते से धोखे से पैसे निकाले हैं, तो तुरंत अपने बैंक को सूचित करें. जब आप बैंक को सूचित करते हैं, तो उनसे शिकायत की रसीद या नंबर लेना न भूलें. बैंक को आपकी शिकायत की तारीख से 90 दिनों के भीतर आपकी समस्या सुलझानी होगी. 

अगर लेन-देन आपकी लापरवाही की वजह से हुआ है, यानी आपके द्वारा अपना पासवर्ड, पिन, ओटीपी शेयर करने की वजह से तो आपको इसकी सूचना देने तक, नुकसान सहना पड़ेगा. अगर आपके द्वारा बैंक को सूचित करने के बाद भी धोखाधड़ी और लेनदेन जारी रहता है, तो बैंक इसे वापस करने के लिए बाध्य है. अगर रिपोर्टिंग में देरी होती है तो आपका घाटा बढ़ सकता है.

साइबर अपराधों से बचने के लिए गृह मंत्रालय की इन सलाहों पर जरूर करें गौर-

1. कभी, किसी अजनबी व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट सोशल नेटर्विंक साइट्स पर न एक्सेप्ट करें.

2. किसी भी ऑनलाइन यूजर्स पर भरोसा न करें, जब तक आप उन्हें निजी तौर नहीं जानते हों, या उन पर निजी जिंदगी में भरोसा न कर सकते हों.

3. कभी भी, किसी अजनबी शख्स के साथ अपनी गोपनीय जानकारियां सोशल मीडिया पर न शेयर करें. ऑनलाइन ठग इन जानकारियों का इस्तेमाल आपके साथ फ्रॉड के लिए कर सकते हैं.

4. किसी के साथ अपने प्राइवेट, संवेदनशील तस्वीरें या वीडियोज न शेयर करें. सोशल मीडिया पर किसी तरह की संवेदनशील तस्वीरें या वीडियो सुरक्षित नहीं हैं, भले ही आप इन्हें अपने किसी करीबी को भेज रहे हैं. हैकर्स भी निजी जानकारियों को चुटकियों में सार्वजनिक कर सकते हैं, आपसे ब्लैकमेलिंग के एवज में भारी रकम वसूल सकते हैं. 

5. अगर आप पब्लिक फीगर नहीं हैं तो सोशल मीडिया पर आप अपने पर्सनल फोटो और वीडियो शेयर करते वक्त फ्रैंड्स ओनली का ऑप्शन रखें. बाहरी कोई शख्स आपकी तस्वीरों को एक्सेस न कर पाए. फेसबुक, इंस्टा, WhatsApp समेत तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर फोटो या वीडियो पोस्ट करने पर फ्रैंड्स ओनली का ऑप्शन प्राइवेसी सेटिंग्स में होता है. प्राइवेसी लगाकर आप बड़ी मुश्किलों से आसानी से बच सकते हैं.

6. अगर आपकी व्यक्तिगत जानकारियों का इस्तेमाल करके किसी शख्स ने आपकी फेक सोशल मीडिया प्रोफाइल क्रिएट कर ली है, तो तत्काल इसकी सूचना सोशल मीडिया सर्विस प्रोवाइडर को दें. अपने दोस्तों से भी फेक आईडी को रिपोर्ट करने के लिए कहें.

7. हैकर्स आसानी से आपके गोपनीय पासर्वड को गेस कर सकते हैं. वे लोगों की ऑनलाइन गतिविधियां ट्रेस करते हैं. कई बार बहुत से लोगों का एक कॉमन पासवर्ड होता है. पासवर्ड बाने वक्त, स्माल, कैपिटल लेटर्स का इस्तेमाल करें, नंबर्स यूज करें और साइन का इस्तेमाल करें. इन्हें ऐसे क्रम में रखें कि बेहद जटिल बन जाएं, जिसे हैक करना आसान न हो. किसी भी अनचाही गतिविधि के होने पर तत्काल पासवर्ड को बदल दें.

8. वैकेशन पर जाने से पहले, अपनी जानकारी सोशल मीडिया पर अपडेट न करें. बहुत सारे ठगों की नजरें आपके सोशल मीडिया एकाउंट्स पर होती हैं. वे आपकी इन गोपनीय जानकारियों का गलत इस्तेमाल करने में ट्रेंड होते हैं. ऐसे में सावधानी जरूरी है. अपराधियों के लिए आपकी जानकारी, ठगी का एक अवसर बन सकती है.

9. किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को आपकी इमेल आईडी को स्कैन करने की इजाजत न दें. कई बार ऐसा करने से रैंडम, स्पैम मेल्स दूसरे ई-मेल आईडी पर चले जाते हैं, जिनके संपर्क में आप लगातार होते हैं. ऐसे में इससे बचने के लिए कंट्रोल हमेशा अपने हाथ में रखें.

10. अगर बेहद जरूरी न हो तो हमेशा अपने मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक की लोकेशन सर्विस ऑफ रखें. तभी लोकेशन सेटिंग ऑन करें, जब ऐसा करना बेहद जरूरी हो. 

11. अगर आप ऑनलाइन किसी से चैट कर रहे हों लेकिन उसके साथ चैटिंग में कुच संदिग्ध लगे, वह आपने गोपनीय जानकारियां मांग रहा हो, फोन नंबर, पैन, आधार या बैंक डीटेल्स, तत्काल सावधान हो जाएं. वह आपको ठग भी सकता है. ऐसे में सावधानी ही बचाव है.

12. साइबर कैफे या सार्वजनिक कंप्यूटर पर बैठकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल न करें. कई बार ठग ऐसी जगहों पर किसी इंटर्नल सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल कर लेते हैं, जिसमें आपके पासवर्ड या जरूरी जानकारियां कैद हो जाती हैं. ऐसे में वह शख्स दोबारा, आपके जाने के बाद आपके सोशल मीडिया एकाउंट्स को हैक कर सकता है.

13. इंटरनेट पर सर्फिंग के वक्त या सोशल मीडिया साइट्स स्क्रॉल करते वक्त किसी थर्ड पार्टी एप्लीकेशन पर क्लिक न करें, न ही डाउनलोड करें. किसी भी अनवेरिफाइड थर्ड पार्टी ऐप को डाउनलोड न करें. आपकी गोपनीय जानकारियों का दुरुपयोग यहां हो सकता है. आपकी जरूरी डीटेल्स यहां से निकाली जा सकती है. 

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