Pulwama Attack: पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के हमले की पूरी कहानी...

Pulwama Terror Attack: आज पुलवामा के शहीद हुए सैनिकों की तीसरी बरसी है. इस दर्दनाक हादसे को आज तीन साल पूरे हो गए. इस मौके पर आज हम आपको इम हमले की पूरी कहानी बताएंगे.

पुलवामा में 14 फरवरी को हुआ था जैश-ए-मोहम्मद का हमले
शताक्षी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST
  • सेना के काफिले पर हुआ था फिदायीन हमला
  • हमले में 40 जवान हुए थे शहीद
  • सुरक्षा एजेंसियों ने भेजा था हमले का अलर्ट

भिगोकर खून में वर्दी कहानी दे गए अपनी, मोहब्बत मुल्क की सच्ची निशानी दे गए अपनी, मनाते रह गए वेलेंटाइन डे यहाँ हम तुम, वहां कश्मीर में सैनिक जवानी दे गए अपनी. ये दास्तां है 14 फरवरी 2019 कि जब पूरा देश वैलेंटाइन डे मना रहा था, कि तभी अचानक हमारे 40 जवानों के पुलवामा हमले में शहीद होने की खबर आई थी. आज इस हमले की तीसरी बरसी पर हम आपको इस पूरे हमले की पूरी कहानी के बारे में बताएंगे.  

14 फरवरी 2019, दोपहर 3 बजकर 15 मिनट का समय. जबरदस्त बर्फबारी के 7 दिन बाद 13 फरवरी को ही जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे फिर से खुला था. पूरे रास्ते जगह-जगह गाड़ियों की फंसी लंबी कतारें थीं. आम गाड़ियों के साथ-साथ CRPF के जवानों की गाड़ियों का काफिला भी जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना होता है. सीआरपीएफ के जवान जम्मू ट्रांजिट कैंप से श्रीनगर ले जाए जा रहे थे. CRPF के काफिले में 78 गाड़ियां थीं. इनमें बस, ट्रक और एसयूवी थी. इन गाड़ियों में कुल 2547 जवान और अफसर सवार थे. हर बस और ट्रक में 35-40 जवान सवार थे. आमतौर पर सुरक्षा कर्मियों के ऐसे काफिले की अलग से सुरक्षा होती है. इन काफिलों के बीच आम गाड़ियों को आने की इजाजत नहीं होती. 

पुलवामा में ऐसे हुआ हमला
CRPF का ये काफिला अभी पुलवामा से गुजर ही रहा था की तभी काफिले के बीच एक SUV गाड़ी काफी तेजी से आती है और दो बसों के बीच टकरा जाती है. SUV की बस से टक्कर होते ही इतना जबरदस्त धमाका होता है कि उसकी गूंज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है. धमाका होते ही उन बसों के परखच्चे उड़ जाते हैं, जिनसे SUV टकराई थी. धमाका होते ही चारों तरफ आग के शोले का गुबार उठने लगता है. इसके बाद काफिले में शामिल जो गाड़ियां जहां थीं, वहीं थम जाती हैं. बाकी गाड़ियों से फौरन जवान बाहर निकलते हैं, और अपने साथियों की मदद में जुट जाते हैं. मौके पर तस्वीरें बेहद डरावनी थीं.

सेना के काफिले पर फिदायीन हमला
कहते हैं कि SUV में करीब 200 किलो विस्फोटक रखा था. जाहिर है कि टक्कर के बाद SUV के भी परखच्चे उड़ गए थे. जिस तरह से SUV को बस के बीच लाकर टक्कर मारी गई थी, उससे ये साफ था कि ये एक फिदायीन यानी आत्मघाती हमला था. हमले के बाद इधर बाकी जवान अपनी अपनी गाड़ियों से उतर कर अपने साथियों के पास भाग रहे थे. तभी दूसरी तरफ आतंकवादियों ने हैंड ग्रेनेड और गोलियों से हमला बोल दिया. यानी की जाहिर है कि SUV गाड़ी में मौजूद फिदायीन के अलावा और भी आतंकी मौजूद थे. बाद में सभी घायल जवानों को फौरन अस्पताल ले जाया गया, और पूरे इलाके को घेर लिया गया. 

बढ़ रही थी शहीदों की गिनती
वक्त बढ़ने के साथ-साथ शहीद जवानों की गिनती बढ़ती जा रही थी. 4, 8, 18, 20, 22 होते-होते गिनती 40 तक जा पहुंची. उधर हमले के बाद ही आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद एक बयान जारी कर मामले की जिम्मेदारी लेता है. जैश ने दावा किया कि जिस SUV से जवानों की बस पर हमला हुआ वो जैश का आतंकी आदिल रशीद डार चला रहा था. 

सुरक्षा एजेंसियों ने भेजा था हमले का अलर्ट
सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों ने 8 फरवरी को ही सुरक्षा एजेंसियों को घाटी में बड़े आतंकवादी हमले का अलर्ट भेजा था. सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया था कि घाटी में आतंकी IED ब्लास्ट कर सकते हैं. लिहाजा सुरक्षा जांच के बाद ही जवानों के काफिले को निकाला जाए. डर ये भी था कि इस अफरा-तफरी में आतंकी काफिले में शामिल दूसरी गाड़ियों को भी निशाना बना सकते हैं. लिहाजा सभी गाड़ियों को रोक कर पहले पूरे रास्ते की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया. उसके बाद ही CRPF के काफिले को कड़ी सुरक्षा के बीच श्रीनगर के लिए रवाना किया गया. 

 

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