बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के चर्चे हर कहीं है. तेजी से बदलते वातावरण का प्रभाव हर जगह देखा जा सकता है. हद से ज्यादा गर्मी पड़ना और सर्दियों में भी पहले जितनी ठंड न पड़ना इन्हीं प्रभावों में से एक हैं. इसके लेकर एक्सपर्ट भी चिंतित हैं. अब वर्ल्ड बैंक ने भी एक परेशान करने वाली रिपोर्ट पेश की है. इसमें कहा गया है कि भारत उन पहले देशों में से एक होगा जिसमें भारी गर्मी और हीटवेव का प्रभाव लोगों के जीवन पर सीधा पड़ेगा. इतना ही नहीं बल्कि उनके जीवित रहने की सीमा (Human Survivability Limit) को भी ये तोड़ने में सक्षम होगा.
पिछले एक दशक में विश्व स्तर पर हीटवेव में वृद्धि हुई है और हजारों लोगों की जान जा चुकी है. डब्लूएचओ की रिपोर्ट में कही गया है कि भारत बढ़ते तापमान का अनुभव कर रहा है जो जल्दी आता है लंबे समय तक रहता है.
क्या होती है इंसानों के जीवित रहने की सीमा?
बताते चलें कि मानव उत्तरजीविता सीमा (Human Survivability Limit) एक तरह का थंब रूल है. जिसमें कहा गया है कि मनुष्य बिना हवा के तीन मिनट, पानी के बिना तीन दिन और भोजन के बिना तीन सप्ताह तक जीवित रह सकता है. हालांकि, इसमें कुछ असाधारण मामले भी होते हैं जिसमें कुछ इंसान पानी के बिना नौ दिन तक जीवित रह सकते हैं.
लेकिन वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने भविष्यवाणी की है कि भारत में गर्मी की लहरें मानव के जिंदा रहने की इस सीमा को तोड़ सकती है. कई जलवायु वैज्ञानिकों ने पूरे दक्षिण एशिया में बढ़ते तापमान के संदर्भ में लंबे समय से चेतावनी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है, “2021 में G20 क्लाइमेट रिस्क एटलस ने भी चेतावनी दी थी कि अगर कार्बन उत्सर्जन अधिक रहता है, तो 2036-65 तक पूरे भारत में गर्मी की लहरें 25 गुना अधिक समय तक रहने की संभावना है.”
भारत की इकॉनमी पर भी पड़ेगा प्रभाव
केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि पूरे भारत में बढ़ती गर्मी आर्थिक उत्पादकता को भी खतरे में डाल सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत के 75% कार्यबल, या 3.8 करोड़ लोग, संभावित रूप से ज्यादा तापमान में काम करने वाले श्रम पर निर्भर करते हैं. इस हीट वेव का प्रभाव इन सभी पड़ेगा. 2030 तक, भारत में अनुमानित 3.4 करोड़ लोगों की नौकरी पर पड़ सकता है. वैश्विक स्तर पर ये संख्या 8 करोड़ है. ये सभी वो लोग हैं जिनपर गर्मी के कारण तनाव पड़ेगा और इससे उनकी उत्पादकता में कमी आएगी.