मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को बम से उड़ाया, बलूच विद्रोहियों ने ली जिम्मेदारी

पाकिस्तान के ग्वादर शहर में बलूच विद्रोहियों ने रविवार को बम से हमला कर संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को उड़ा दिया गया.  इसकी जिम्मेदारी प्रतिबंधित बलूच लिबरेशन फ्रंट ने ली है.

पाकिस्तान में बम से उड़ाई गई जिन्ना की मूर्ति (फोटो- Social Media)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 28 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:32 PM IST
  • मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को बम से उड़ा दिया गया
  • जिन्ना की मूर्ति जून महीने में मरीन ड्राइव पर लगाई गई थी
  • बलूच विद्रोहियों ने ली मूर्ति को उड़ाने की जिम्मेदारी

पाकिस्तान के ग्वादर शहर में बलूच विद्रोहियों ने रविवार को बम से हमला कर संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को उड़ा दिया गया.  इसकी जिम्मेदारी प्रतिबंधित बलूच लिबरेशन फ्रंट ने ली है.  पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षित क्षेत्र माने जाने वाले मरीन ड्राइव पर जून में स्थापित की गई प्रतिमा को रविवार की सुबह बलूच विद्रोहियों ने विस्फोटकों से उड़ा दिया.

जिन्ना की मूर्ति को बम से उड़ाया

पाकिस्तानी मीडिया हाउस डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, ग्वादर में जिन्ना की मूर्ति जून महीने में मरीन ड्राइव पर लगाई गई थी. इस पूरे इलाके को काफी सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी उग्रवादियों ने जिन्ना की मूर्ति को बम धमाका करके नष्ट कर दिया. प्रतिबंधित रिपब्लिकन आर्मी के प्रवक्ता बागबर बलूच ने बम धमाके की जिम्मेदारी ट्विटर के जरिए से ली. बीबीसी उर्दू ने ग्वादर के उपायुक्त मेजर (सेवानिवृत्त) अब्दुल कबीर खान के हवाले से कहा कि मामले की उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है. 

बलूच विद्रोहियों ने ली जिम्मेदारी

वहीं बलूचिस्तान के पूर्व गृह मंत्री और वर्तमान सीनेटर सरफराज बुगती ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ग्वादर में कायद-ए-आजम की प्रतिमा को गिराना पाकिस्तान की विचारधारा पर हमला है.  मैं अधिकारियों से अपराधियों को उसी तरह से दंडित करने का अनुरोध करता हूं जैसे हमने जियारत में कायद-ए-आजम निवास पर हमले के लिए किया था. 

जिन्ना की 121 साल पुरानी इमारत को विस्फोट कर उड़ा गया था 

इससे पहले साल 2013 में, बलूच विद्रोहियों ने जियारत में जिन्ना की 121 साल पुरानी इमारत को विस्फोट कर उड़ा दिया. विस्फोट के कारण इस इमारत में भीषण आग लग गई थी, जो कि लगभग चार घंटे तक धधकती रही. बता दें कि तपेदिक से पीड़ित होने के कारण जिन्ना ने अपने जीवन के अंतिम दिन वहीं बिताए. बाद में इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया था. 


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