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Baisakhi 2023: जानिए भारत के सबसे मशहूर गुरुद्वारों के बारे में, कर सकते हैं ट्रिप प्लान

gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 12 अप्रैल 2023,
  • Updated 9:56 AM IST
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बैसाखी की त्योहार मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है, और यह नए फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है, जो किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. बैसाखी को सौर नववर्ष भी कहा जाता है. इस साल बैसाखी 14 अप्रैल को मनाई जाएगी. बैसाखी का उत्सव सिख धर्म में बहुत खास है. इस दिन सिख धर्म के लोग तरह-तरह के पकवान बनात हैं और बहुत से लोग गुरुद्वारों में लंगर कराते हैं. जगह-जगह मीठा पानी और कड़ा प्रसाद भी बांटा जाता है. आज हम आपको बता रहे हैं भारत के मशहूर गुरुद्वारों के बारे में. 

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गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब, अमृतसर
इस गुरुद्वारे को स्वर्ण मंदिर के रूप में जाना जाता है, यह भारत में सबसे प्रसिद्ध और सबसे बड़ा गुरुद्वारा है. गुरु अर्जन सिंह ने 1855 में इसकी आधारशिला रखी और 1604 में आदि ग्रंथ रखा गया. गुरुद्वारे को सुरक्षित रखने के लिए महाराजा रणजीत सिंह ने 19वीं शताब्दी में इसकी ऊपरी मंजिलों को सोने की चादर से ढक दिया था. 

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गुरु बाबा अटल साहिब, अमृतसर
इस प्रसिद्ध गुरुद्वारा का निर्माण गुरु हरगोबिंद सिंह के पुत्र बाबा अटल की मृत्यु के सम्मान में किया गया था. 1778 से 1784 के बीच बने इस गुरुद्वारे में नौ मंजिला टावर है जो अपनी खूबसूरत वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है. इस गुरुद्वारे का भी बहुत ज्यादा महत्व है. 

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तख्त श्री दमदमा साहिब, बठिंडा
यह एक बहुत प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण गुरुद्वारा है क्योंकि गुरु गोबिंद सिंह ने पंजाब के इस गुरुद्वारे में श्री ग्रंथ साहिब की बीर लिखी थी. यह रंगीन बैसाखी मेले का स्थान है. साथ ही, यह वह स्थान है जहां गुरुजी द्वारा सिंहों के विश्वास की परीक्षा ली गई थी.

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गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली 
17वीं और 18वीं सदी के बीच बना यह गुरुद्वारा दिल्ली का दिल है. इस गुरुद्वारे का निर्माण आठवें गुरु हर कृष्ण के सम्मान में किया गया था जो इस स्थान पर रुके थे. आप कभी भी इस गुरुद्वारे में जाकर माथा टेक सकते हैं. खासकर कि वीकेंड पर यहां खूब भीड़ होती है. 

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गुरुद्वारा तरनतारन साहिब, तरन तारन 
इस गुरुद्वारे में सबसे बड़ा सरोवर है और इसे देखने के लिए आपको तरनतारन साहिब जरूर जाना चाहिए. यह गुरुद्वारा वास्तव में सुंदर है और साथ ही, हर महीने अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं.