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Restaurants from India’s pre-Independence era: आजादी से पहले के इन पांच रेस्टोरेंट को जरूर करें ट्राई, आज ही बनाएं लंच या डिनर का प्लान

gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 15 अगस्त 2024,
  • Updated 2:58 PM IST
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इंडियन कॉफ़ी हाउस, कोलकाता
1876 ​​में स्थापित, कोलकाता में कॉलेज स्ट्रीट पर इंडियन कॉफ़ी हाउस एक प्रसिद्ध संस्थान है. मूल रूप से अल्बर्ट हॉल के नाम से जाना जाने वाला यह 1942 में इंडियन कॉफ़ी हाउस बन गया. यह दशकों से बुद्धिजीवियों, कलाकारों और राजनीतिक हस्तियों का केंद्र रहा है, जिनमें रवींद्रनाथ टैगोर और सुभाष चंद्र बोस जैसे लोग भी शामिल हैं. यहां आज भी आपको पारंपरिक वर्दी में वेटर्स और क्लासिक कॉफी और स्नैक्स मेनू के साथ पुराने माहौल की झलक मिलेगी. इसलिए कोलकाता जाएं तो यहां की कॉफी का मजा जरूर लें. हालांकि, यह एक चेन है और आपको दूसरे कई शहरों में भी इंडियन कॉफी हाउस मिल जाएंगे.  

(Photo: Wikipedia)

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मावली टिफिन रूम (MTR), बेंगलुरु
1924 में स्थापित MTR, दक्षिण भारतीय व्यंजनों का पर्याय है. अपने ऑथेंटिक दोसा, इडली और फिल्टर कॉफी के लिए जाना जाने वाला MTR लगभग एक सदी से स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन परोस रहा है. MTR से कई दिलचस्प किस्से जुड़े हैं. जैसे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, जब चावल की कमी होने लगी थी तो एमटीआर ने रवा इडली का इनवेंशन किया, जो अभी भी इसके सबसे पॉपुलर डिशेज में से एक है. स्वाद और गुणवत्ता में रेस्टोरेंट की स्थिरता ने इसे स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के लिए एक पसंदीदा स्पॉट बना दिया है. 

(Photo: Wikimedia)

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ब्रिटानिया एंड कंपनी, मुंबई
1923 में एक पारसी परिवार ने मुंबई में ब्रिटानिया एंड कंपनी की शुरुआत की थी. यह कंपनी अपने पारसी व्यंजनों, विशेष रूप से प्रतिष्ठित बेरी पुलाव के लिए प्रसिद्ध है. शहर के हलचल भरे बैलार्ड एस्टेट क्षेत्र में स्थित, यह रेस्टोरेंट आज भी पुरानी दुनिया का आकर्षण देता है. पुराने फर्नीचर और चेकर्ड मेज़पोश जैसी चीजें आपको पुराने माहौल का अनुभव देते हैं. इसके संस्थापक बोमन कोहिनूर थे और उनकी दिलचस्प बात यह थी कि वह व्यक्तिगत रूप से मेहमानों का स्वागत और उनसे बातचीत करते थे. आज भी यहां यह परंपरा फॉलो की जाती है.  

(Photo: YouTube Screengrab)

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टुंडे कबाबी, लखनऊ
टुंडे कबाबी की शुरुआत साल 1905 में लखनऊ में हुई थी. यह रेस्टोरेंट अपने मुंह में घुल जाने वाले कबाब के लिए प्रसिद्ध है. रेस्तरां की स्थापना हाजी मुराद अली ने की थी, जिनका एक हाथ नहीं था लेकिन फिर भी उन्हें कबाब बनाने की कला में महारत हासिल की. आज, यह लखनऊ के अवधी व्यंजनों का पर्याय बन गया है, जो गलौटी कबाब और बिरयानी जैसे व्यंजन पेश करता है. दुनिया भर से फूड लवर्स यहां आकर खाने का लुत्फ उठाते हैं. अमीनाबाद में इनकी मूल दुकान आज भी चलती है और इसका पुराना आकर्षण बरकरार है. 

(Photo: YouTube Screegrab)

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करीम्स, दिल्ली
1913 में हाजी करीमुद्दीन ने पुरानी दिल्ली में करीम्स की स्थापना की और यह एक प्रतिष्ठित मुगलई रेस्तरां है. जामा मस्जिद के पास स्थित, इसकी स्थापना मुगल सम्राटों के शाही रसोइयों के वंशजों ने की थी. मटन कोरमा, कबाब और निहारी जैसे अपने समृद्ध और स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए जाना जाने वाला, करीम्स भारत के पाक इतिहास में मील का पत्थर है. यह रेस्टोरेंट स्थानीय लोगों और पर्यटकों, दोनों को आकर्षित करता है जो दिल्ली के शाही अतीत का स्वाद लेना चाहते हैं. 

(Photo: Wikimedia)