संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया भर में 160 मिलियन से ज्यादा बच्चे बाल श्रम (Child Labour) में लगे हुए हैं. इनमें से कुछ 5 से भी कम उम्र के हैं. सबसे कम विकसित देशों में, 5 से 17 वर्ष की उम्र के हर चार बच्चों में से एक बच्चा बाल मजदूरी कर रहा है. और यह उनके स्वास्थ्य और विकास के लिए हानिकारक है. आपको बता दें कि कम आय वाले देशों में बाल श्रम में शामिल बच्चों का प्रतिशत ज्यादा है, जबकि मध्यम आय वाले देशों में यह संख्या ज्यादा है. (Photo: Unsplash)
अगर हम समाज से बाल मजदूरी जैसी बुराई का खात्मा चाहते हैं तो सबसे पहले लोगों की मानसिकता को बदलना होगा. यह आज के समय की मांग भी है. लोगों को आगे बढ़कर इस गलत काम को रोकना होगा. जिस तरह सरकार ने दूसरी योजना जैसे बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान पर काम किया है, उसी के समान बाल श्रम पर गहन जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार को ऐसा वातावरण तैयार करने की आवश्यकता है जहां बच्चों की मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए. (Photo: Unsplash)
देश में बाल श्रमिकों की पहचान करने के प्रयास तेज करने होंगे. ताकि उन्हें बचाया जा सके या मजदूरी से बाहर निकाला जा सके. उनका शिक्षा और गरीबी उन्मूलन योजनाओं में पुनर्वास किया जा सके. (Photo: Unsplash)
भारत सरकार को बाल श्रम के हर मामले में FIR दर्ज करने के लिए राज्य सरकारों को आवश्यक निर्देश जारी करने की आवश्यकता है क्योंकि यह बाल और किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत एक संज्ञेय अपराध है. (Photo: Pixabay)
राज्य सरकारों और प्रशासन से अनुरोध किया जाना चाहिए कि वे एनसीएलपीएस के तहत स्थापित विशेष प्रशिक्षण केंद्रों (एसटीसी) के जरिए बाल मजदूरी से बचाए गए बच्चों को शिक्षा से जोड़ सकें. (Photo: Unsplash)