Summah Williams: इस छोटी सी बच्ची को है अजीब बीमारी...दवाई लेने पर सांप के केंचुल की तरह झड़ने लगती है स्किन, जानिए क्या है इसका कारण

ऑस्ट्रेलिया की सुम्मा विलियम्स को एक अजीब तरह की बीमारी है. इस बीमारी के चलते उसे अपने ही आंसू और पसीने की वजह से असहनीय दर्द सहना पड़ता है. सुम्मा विलियम्स का सपना एक डांसर बनना है, लेकिन इस वजह से वह डांस भी नहीं कर पाती है.

Summa
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:22 AM IST

लोगों को कई तरह की एलर्जी होती है. किसी को धूल-मिट्टी से तो किसी को किसी तरह की सब्जी आदि से. वहीं कई लोग ऐसे होते हैं जो जिंदगीभर ये जान नहीं पाते कि उन्हें किस चीज से एलर्जी है. एलर्जी का मतलब ऐसी चीज जिसके संपर्क में आने से आपकी बॉडी अलग तरीके से रिएक्ट करे. लेकिन क्या कभी आपने सुना है किसी को खुद के आंसू से एलर्जी हो. ऑस्ट्रेलिया की एक बच्ची ऐसी ही एक अजीब बीमारी है जिसकी वजह से उसे असहनीय दर्द भी झेलना पड़ता है.

झड़ने लगी थी स्किन
11 साल की सुम्मा विलियम्स को अपने ही शरीर से बहने वाले आंसू और पसीने से एलर्जी हो गई है. जरा सा भी पसीना या आंसू उसकी बर्दाश्त से बाहर हो जाता है. न्यूयॉर्क पोस्ट की एक खबर के मुताबिक सुम्मा को साल 2022 में पहली बार इस बीमारी के बारे में पता चला जब अचानक से उसकी त्वचा सूख गई थी और उसमें दरार आ गई. लड़की की त्वचा में सूजन भी आ गई थी जिसकी वजह से वो उसे पांडा आई (Panda Eyes) बुलाते थे. बच्ची की मां कैरन का कहना है कि पहले तो वो लोग इसे सनबर्न समझते रहे, लेकिन जब उसे ठिठुरन होने लगी और खुजली बंद नहीं हो रही थी, तब उसे अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची को स्टैफ इंफेक्शन हुआ है और एंटी बायोटिक्स दी जाने लगीं. नहाते वक्त उसकी त्वचा सांप के केंचुल की तरह झड़ने लगती है.

बच्ची को डांस पसंद है
सुम्मा को अस्पताल जाकर पता चला की उसे एक्यूज एक्जिमा है. इंजेक्शन की वजह से बच्ची को असहनीय दर्द होता था जिसकी वजह से वो रोती थी. इससे उसको अपने आंसू और पसीने से भी इंफेक्शन हो गया. बच्ची को डांस करना पसंद है लेकिन अपनी  इस बीमारी की वजह से वो अपनी पसंदीदा चीज भी खुलकर नहीं कर सकती. रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में एक्जिमा के सबसे ज्यादा मामले ऑस्ट्रेलियाई बच्चों में देखे गए हैं. एक्जिमा एसोसिएशन ऑफ ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि एक्जिमा एक आम बीमारी है, जो 30 फीसदी बच्चों और 10 प्रतिशत व्यस्कों को अलग-अलग लेवल तक प्रभावित करती है. कई लोग इसके लिए मौसम को जिम्मेदार मानते हैं.

 

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