एक पिता की अपनी बेटी से मिलने की खुशी क्या होती है ये हम सब समझते हैं. लेकिन जब पिता अपनी खोई हुई बेटी से 2 साल बाद मिलता है तो तस्वीर कुछ अलग होती हैं. 7 साल की तबस्सुम जब 5 साल की थी तो वह अपने पिता शकील अहमद से बिछड़ गई थी. बेचारे शकील आज जब अपनी बेटी से मिले तो बार-बार उससे पूछ रहे हैं 'बेटा पहचाना मुझे?' और बच्ची हां में सिर हिलाकर बोलती है 'पापा'...ये बच्ची अगर आज अपने पिता से नहीं मिलती तो कुछ दिन में ये इटली चली जाती.
2021 में हुई थी लापता
बच्ची 5 साल की उम्र में 26 मार्च 2021 को लापता हुई थी. 30 मार्च को दिल्ली के जगतपुरी थाने में बच्ची की मिसिंग कंपलेन लिखी गई थी. 28 मार्च को बच्ची गाजियाबाद पुलिस को मिली थी. गाजियाबाद पुलिस ने बच्ची को घरौंदा नाम के एक अनाथ आश्रम में छोड़ दिया था क्योंकि बच्ची अपनी पहचान नहीं बता पाई थी इसलिए आश्रम में बच्ची का नाम अनामिका रखा गया.
मौलवी और तांत्रिक के लगाए चक्कर
शकील अहमद बताते हैं कि उनकी पत्नी मेंटली डिस्टर्ब है. एक दिन वह इस बच्ची को लेकर घर से बाहर निकल गई. शकील की पत्नी और बच्ची दोनों लापता हो गए. हालांकि पत्नी एक-दो दिन में ही मिल गई लेकिन बच्ची खो गई. शकील बताते हैं कि बच्ची को ढूंढने के लिए बहुत मेहनत की यहां तक की तांत्रिक और मौलवी का भी सहारा लिया. इन सब चीजों में उसके लगभग 50 हजार रुपए भी खर्च हो गए. शकील वेल्डिंग का काम करते हैं.
दिल्ली पुलिस की संवेदनशीलता पर सवाल
बच्ची खोई दिल्ली से.. बच्चे की मिसिंग कंप्लेंट भी दिल्ली में लिखी गई. बच्ची गाजियाबाद पुलिस को मिली लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि बच्ची को उसके पिता से मिलवाने में हरियाणा पुलिस के एक एएसआई ने कदम बढ़ाया. बच्ची के पिता शकील दिल्ली पुलिस को दी गई शिकायत की कॉपी दिखाते हैं. इसके मुताबिक दिल्ली के जगतपुरी थाने में 30 मार्च 2021 को मां और बेटी की मिसिंग कंप्लेन लिखी गई है. ये दिल्ली पुलिस की नाकामी ही है कि 2 साल से ज्यादा इंतजार करने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने शकील की इस मासूम बच्ची को ढूंढ़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जबकि बच्ची दिल्ली से कुछ ही दूरी पर गाजियाबाद के एक आश्रम में रह रही थी.
बच्ची चली जाती इटली
हरियाणा पुलिस के ASI राजेश कुमार गुमशुदा लोगों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं. एएसआई राजेश कुमार ने 7 साल में 751 गुमशुदा लोगों को उनके परिवार से मिलवा चुकें हैं. राजेश कुमार स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल में काम करते हैं. एएसआई राजेश कुमार बताते हैं कि दो बार इस बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया भी हो चुकी है. पहली बार बच्ची को मद्रास के एक परिवार ने गोद लिया लेकिन तब बच्ची ने उस परिवार के साथ जाने से इनकार कर दिया. अब दूसरी बार इटली के एक परिवार ने बच्ची को गोद लेने के लिए अप्लाई किया है. राजेश कुमार बताते हैं कि अगर 10 दिन और देरी होते तो बच्ची इटली जा चुकी होती.