आर्थिक अस्थिरता को लेकर दुनियाभर में लोगों के बीच अपनी नौकरी को लेकर असंतोष है. लगभग आधे लोग नई और बेहतर नौकरी की तलाश में हैं. भारत में काम कर रहे सिर्फ 14 प्रतिशत लोग ही अपने काम से खुश हैं. बाकी 86% कर्मचारी या तो संघर्ष कर रहे हैं या फिर वो दुखी हैं. नाखुश कर्मचारियों की वजह से दुनियाभर में प्रोडक्टिविटी इतनी कम हुई कि 89 खबर डॉलर का नुकसान हुआ. गैलप 2024 स्टेट ऑफ द ग्लोबल वर्कप्लेस की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है.
केवल 32 प्रतिशत कर्मचारियों को ही तनाव
संपन्न कर्मचारी अपनी वर्तमान जीवन स्थिति को सकारात्मक रूप से देखते हैं उन्हें ये लगता है कि आने वाले दिनों में उनकी जिंदगी और बेहतर होगी. रिपोर्ट के अनुसार, 35% भारतीय कर्मचारी रोजाना गुस्से का अनुभव करते हैं. जोकि साउथ एशिया में सबसे ज्यादा है. बावजूद इसके भारत में रोजाना के स्ट्रेस का लेवल सबसे कम था. केवल 32 प्रतिशत कर्मचारियों ने ही तनाव का अनुभव किया, जबकि श्रीलंका के 62% और अफगानिस्तान के 58% कर्मचारियों ने तनाव का अनुभव किया.
20 फीसदी कर्मचारी अकेलापन महसूस कर रहे
सर्वे में शामिल 20 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अकेलापन महसूस करते हैं. घर से काम करने वाले कर्मचारियों में अकेलापन सबसे ज्यादा था. हालांकि अच्छी बात ये है कि भारत में 57 फीसदी मानते हैं कि नई नौकरी खोजने के लिए यह अच्छा समय है. जिन कर्मचारियों को संघर्ष की श्रेणी में रखा गया है कि अपनी वर्तमान स्थिति के संबंध में अनिश्चितता या नकारात्मकता का अनुभव कर हैं, जिसमें संभावित रूप से तनाव या वित्तीय चिंताएं भी शामिल हैं.
वर्कप्लेस स्ट्रेस से निपटने के तरीके
इस सर्वे में शामिल लोगों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया था, जिसमें संपन्न, संघर्षशील और पीड़ित शामिल थे. सर्वे में 7 से अधिक रेटिंग करने वालों को संपन्न, 4 से 7 रेटिंग करने वालों को संघर्षशील और 4 से कम वालों को पीड़ित की श्रेणी में रखा गया है. गैलप की रिपोर्ट में वर्कप्लेस स्ट्रेस से निपटने के तरीके सुझाए गए हैं. इन तरीकों में कर्मचारियों से बातचीत करना, उनकी परेशानियों को सुनना और उनकी जरूरतों और प्रेरणाओं को बेहतर ढंग से समझना शामिल है.