Village of doctors: जानिए ठाणे जिले के एक ऐसे गांव की कहानी जहां हर घर में है एक डॉक्टर...कहा जाता है डॉक्टरों का गांव

ठाणे जिले का एक छोटा सा गांव घरिवली की इन दिनों खूब चर्चा है. वजह यहां के हर परिवार का एक सदस्य डॉक्टर है जिस वजह से इसे डॉक्टरों का गांव भी कहा जाता है. इस गांव के सदस्यों के लिए कौन बना प्रेरणा, जानिए.

Doctor (Representative Image)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:34 PM IST

महाराष्ट्र के ठाणे में एक ऐसा गांव है जिसके बारे में आज हर तरफ चर्चा है. इस इलाके का नाम बहुत ही गर्व और इज्जत के साथ लिया जाता है. इस गांव के हर घर में डॉक्टर बसते हैं. जिले की सीमा पर स्थित ये गांव अपनी इस उपलब्धि के लिए जाना जाता है. कल्याण-डोंबिवली के बाहरी इलाके में घरिवली गांव में रहने वाले 30 परिवारों में से 20 परिवारों में अब एक योग्य डॉक्टर है जबकि पांच अन्य अगले कुछ सालों में एमबीबीएस की डिग्री पूरी कर लेंगे. इस उपलब्धि ने गांव को डॉक्टरंचा गांव (डॉक्टरों का गांव) की उपाधि दी है. कल्याण-डोंबिवली के बाहरी इलाके में चिकित्सा बुनियादी ढांचा सीमित है, और किसी भी आपात स्थिति में निवासियों को डोंबिवली स्टेशन के पास सबसे पास वाले प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है जोकि कम से कम पांच किमी की दूरी पर है. यहां पर आज भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काफी कम हैं और जो हैं भी उनमें पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं.

सभी ने की स्थानीय स्कूल से पढ़ाई
यहां के कलवा अस्पताल में 24 घंटे से भी कम समय में 18 मरीजों की मौत हो गई थी जिनमें से 10 ठाणे शहर के बाहर से और चार कल्याण-डोंबिवली से आए थे. मरीजों की इस दुखद मौत ने ठाणे जिले में अच्छे सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की कमी पर लोगों का ध्यान खींचा. घरिवली की सफलता की कहानी साल 2000 में शुरू हुई जब संजय पाटिल गांव के पहले ऐसे व्यक्ति बने जिनके पास एमबीबीएस की डिग्री थी. उनकी इस उपलब्धि ने अन्य युवाओं को इस पेशे को आने के लिए प्रेरित किया. डॉ. पाटिल ने जिला परिषद स्कूल में पढ़ाई की और स्कॉलरशिप के पैसे से अपनी शिक्षा पूरी की. दिलचस्प बात यह है कि गांव के लगभग सभी डॉक्टरों ने स्थानीय स्कूलों में पढ़ाई की है और फिर आगे की पढ़ाई कहीं और करने चले गए.

उनके परिवार में कुल 5 डॉक्टर
पाटिल को किस चीज़ ने मेडिकल प्रोफेशन में आने के लिए प्रेरित किया. इस बात पर डॉ. पाटिल ने एक न्यूज वेबसाइट से कहा,  “जब मैं छोटा था, तो मैंने कल्पना की थी कि यदि कोई दर्द से पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है और डॉक्टर उसकी सभी समस्याओं का समाधान करता है, तो वह उस व्यक्ति के लिए एक भगवान की तरह हो जाता है. यह पेशा कितना सुंदर है? इस पेशे से आप एक ही समय में पैसा, सम्मान और आशीर्वाद तीनों चीजों से कमा सकते हैं. एचएससी पूरा करने के बाद, डॉ. पाटिल ने अपने पिता को खो दिया. इसके बाद उनके भाई ने उनके सपनों को हासिल करने में उनकी मदद की. उन्होंने कहा, "90 के दशक में बहुत कम मदद मिलती थी क्योंकि मेरा मार्गदर्शन करने वाला शायद ही कोई था. मुझे खुशी है कि अब मैं अपने गांव के युवाओं को उनकी यात्रा में मार्गदर्शन कर सकता हूं. मेरे अपने परिवार और खानदान में कुल पांच डॉक्टर हैं.” 

माता-पिता ने किया प्रेरित
डॉ. पाटिल ने जिन लोगों को मेडिसिन लेने के लिए प्रेरित किया उनमें से एक थे मनोज पाटिल, जिन्होंने बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) किया मनोज ने कहा, “हम सभी डॉ. संजय पाटिल से प्रेरित थे. हमारे गांव ने पिछले कुछ वर्षों में कई उतार-चढ़ाव का सामना किया है. मेरे पिता और हमारे परिवार के अन्य लोग पास की एक फैक्ट्री में काम करते थे और अचानक एक दिन वह फैक्ट्री बंद हो गई, जिससे गांव अंधेरे में डूब गया. कैसे बचे ये हमारे लिए बड़ा सवाल था. कुछ ने रिक्शा चलाना शुरू कर दिया, कुछ ने मज़दूरी करना शुरू कर दिया और कुछ ने ईंट भट्टों पर काम करना शुरू कर दिया. डॉ. पाटिल से प्रेरित होकर मेरे पिता चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं. हमारे गांव को आज डॉक्टरों का गांव कहा जाता है क्योंकि हमारे माता-पिता ने हमें डॉक्टर बनाने के लिए प्रेरित किया. ”

चाहते हैं अस्पताल बनाना
गांव की सबसे कम उम्र की एमबीबीएस डॉक्टर 26 वर्षीय ऐश्वर्या पाटिल हैं. एश्वर्या आगे चलकर एमडी की डिग्री हासिल करना चाहती हैं. उन्होंने कहा, “मेरा परिवार और अन्य गांव वाले कभी भी हमारे साथ वैसा व्यवहार नहीं करते, जैसा कई अन्य लोग अपनी लड़कियों के साथ करते हैं. यह मेरे गांव के सबसे अच्छे हिस्सों में से एक है. वे लड़कों और लड़कियों की शिक्षा का समान रूप से समर्थन करते हैं. गांव के पूर्व सरपंच 50 वर्षीय सुभाष पाटिल को ग्रामीणों की उपलब्धि पर गर्व है. डॉक्ट पाटिर को देखकर अब हर कोई सोचता है कि अगर संजय पाटिल ऐसा कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? इसी के बाद से अन्य लोगों ने भी अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की. पाटिल अब एक ऐसा अस्पताल बनाने की योजना बना रहे हैं जहां गांव के डॉक्टर आ सकें और गरीबों को मुफ्त सेवाएं दे सकें.

 

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