Farm Clinic: 70 हजार की नौकरी छोड़ किसान के बेटे ने शुरू किया फार्म क्लिनिक, जमीन से जुड़ी हर समस्या का यहां होता है निदान

सौराष्ट्र में किसानों के साथ-साथ अब किसानों के बेटे भी खेती के लिए आगे आ रहे हैं. अमरेली जिले के धारी तालुका के कोबड़ा गांव के मूल निवासी मौलिक विनुभाई कोटडिया के पास 10 बीघा जमीन है, जिसपर पारंपरिक खेती होती है.

farm clinic
gnttv.com
  • अमरेली,
  • 27 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:26 PM IST
  • 70 हजार की नौकरी छोड़ फार्म क्लिनिक शुरू किया
  • 10 लाख में बनकर तैयार हुआ कृषि अस्पताल

जब मनुष्य या पशु बीमार पड़ते हैं तो उन्हें अस्पताल और डॉक्टर से इलाज मिलता है, लेकिन अब कृषि भूमि के इलाज के लिए डॉक्टरों की नई व्यवस्था अमरेली से शुरू हुई है. कृषि भूमि को कृषि अस्पताल का नाम देकर इलाज करने से भूमि अधिक उपजाऊ बनती है और किसान सीधे कृषि उत्पादन में भाग ले सकते हैं. खेती की लागत कम करने और उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से अमरेली जिले में पहला कृषि क्लिनिक शुरू किया गया है.

सौराष्ट्र में किसानों के साथ-साथ अब किसानों के बेटे भी खेती के लिए आगे आ रहे हैं. अमरेली जिले के धारी तालुका के कोबड़ा गांव के मूल निवासी मौलिक विनुभाई कोटडिया के पास 10 बीघा जमीन है, जिसपर पारंपरिक खेती होती है. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से पूरी की और बाद में आनंद विश्वविद्यालय से कृषि में स्नातक की डिग्री ली.

70 हजार की नौकरी छोड़ फार्म क्लिनिक शुरू किया
स्नातक की डिग्री लेने के बाद मौलिक ने कई कंपनियों के लिए काम किया. लेकिन मौलिक को कुछ अलग करना था. इसलिए उन्होंने अपनी 70 हज़ार की नौकरी छोड़ दी और एक फार्म क्लिनिक शुरू किया. अमरेली शहर के धारी रोड पर फार्म क्लीनिक नाम रखने का मुख्य कारण यह है कि जब हम बीमार पड़ते हैं तो हम अस्पताल जाते हैं, शरीर में क्या समस्या है, इसकी रिपोर्ट की जाती है.

गुजरात का पहला कृषि अस्पताल
मौलिक भी जमीन पर अलग-अलग रिपोर्ट कर रहे हैं. ये सारी रिपोर्ट खेत पर की जाती है. जमीन में क्या समस्या है इसकी जांच की जाती है और निदान की कोशिशें की जाती हैं, ताकि खेती बेहतर की जा सके. यह कृषि अस्पताल न केवल सौराष्ट्र बल्कि गुजरात का पहला कृषि अस्पताल होगा. इस अस्पताल में किसानों के लिए माइक्रोस्कोपिक सुविधाओं से लेकर मिट्टी की जांच तक सभी तरह की सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं.

जमीन को बेहतर बनाने की कोशिश
मौलिक कहते हैं, अगर किसी किसान को कहीं भी किसी भी चीज से कोई समस्या है, तो हम उसकी समस्या का उचित निदान कर सकते हैं. यहां हमारा मुख्य उद्देश्य सिर्फ यही है कि एक किसान की जमीन को कैसे बेहतर बनाया जाए और जमीन पर मौजूद किसी भी बीमारी या कीट का सही निदान कैसे किया जाए. अगर हम मेहनत करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें, तो हमें अच्छे नतीजे मिलते हैं. किसानों को मिट्टी के अंदर क्या है और मिट्टी में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी देना और उन्हें नई दिशा में ले जाना भी जरूरी है. महंगी खेती यह बीमारियों के खतरे को कम करने और किसानों को दिवालिया होने से बचाने का एक प्रयास है.

सूक्ष्म निदान से लेकर मिट्टी जांच तक की सुविधाएं उपलब्ध
मौलिक आगे कहते हैं, वर्तमान में मिट्टी, खाद और बीज पर इतना खर्च हो चुका है कि किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वो ऐसा नहीं कर पाते और खेती में दवाइयों और खादों पर बहुत पैसा खर्च करते हैं. लेकिन अगर किसान जमीन पर पैसा लगाए, मिट्टी की जांच कराए, पानी की जांच कराए और जमीन पर पैसा लगाए तो अंततः अतिरिक्त खर्च कम हो जाएगा. किसान जमीन पर किसी और तरह का पैसा खर्च नहीं करते और लोग जमीन पर पैसा खर्च करने से बचते हैं. अगर रासायनिक खाद के अलावा कोई और खाद उपलब्ध है तो वे उसे नहीं अपनाते. हम यहां सूक्ष्म निदान से लेकर मिट्टी जांच तक की सुविधाएं देते हैं. और इसीलिए हमने इसका नाम कृषि अस्पताल रखा है.

10 लाख में बनकर तैयार हुआ कृषि अस्पताल
इस कृषि अस्पताल को तैयार करने में 10 लाख रुपए खर्च किए गए हैं और आने वाले दिनों में घनजीवमृत और अन्य कृषि में इस्तेमाल होने वाले जैविक खाद और अन्य लैब टेस्ट विकसित किए जाएंगे. मौलिकभाई ने कहा कि यह अभी तो शुरुआत है. इस कारण अभी 25 हजार रुपए की आमदनी हो रही है. आगे जैसे-जैसे किसान को पता चलेगा, आमदनी बढ़ती जाएगी. अभी लैब टेस्ट या किसी अन्य टेस्ट की कीमत तय नहीं की गई है.

किसानों में जागरूकता लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और भविष्य में कीमत तय की जाएगी. किसानों के लिए जहां सभी जांचें नाममात्र की दर पर की जाएंगी, वहीं कृषि अस्पताल आने वाले दिनों में नए कार्य करेगा और जमीन को उपजाऊ बनाएगा. किसानों के लिए अच्छे उत्पादन का फूल कलगी समाना की ख्याति कृषि के लिए अस्पताल बनकर रहेगी.

-फारुखभाई दादामीया सैयदकादरी की रिपोर्ट

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