एक बाल श्रमिक कैसे बना पायलट इंस्ट्रक्टर जानिए कैप्टन एडी मानेक की पूरी कहानी

कैप्टन एडी मानेक मुंबई में पिछले 34 सालों से स्काइलायन एवीएशन क्लब चला रहे हैं, जहां उन्होंने अपने इस स्कूल से 5 हजार से अधिक बच्चों को पायलट, एयरक्राफ्ट डिस्पैचर, केबिन क्रू, एयरपोर्ट ग्राउंड स्टाफ और एयरोनॉटिकल रेडियो अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है.

Captain TD Manek
पारस दामा
  • मुंबई,
  • 04 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:22 PM IST
  • खेत पर करते थे बाल मजदूरी
  • कर रहे गरीब छात्रों की मदद

कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जो सुनाई देने पर ही प्रेरणा भर देती है. कुछ लोगों की जिन्दगी काफी कठिन होती है मगर सारी मुश्किलों के बाद भी वो आगे बढ़ने की प्रेरणा नहीं छोड़ते. ऐसे लोग समाज और लोगों के लिए कुछ अच्छा करने का जज़्बा रखते हैं. ऐसी ही कहानी है कैप्टन एडी मानेक की भी है. 

कर रहे गरीब छात्रों की मदद
कैप्टन एडी मानेक मुंबई में पिछले 34 सालों से स्काइलायन एवीएशन क्लब चला रहे हैं, जहां उन्होंने अपने इस स्कूल से 5 हजार से अधिक बच्चों को पायलट, एयरक्राफ्ट डिस्पैचर, केबिन क्रू, एयरपोर्ट ग्राउंड स्टाफ और एयरोनॉटिकल रेडियो अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है. साथ ही उन्होंने सैकड़ों वंचित छात्रों को खुद आर्थिक रूप से मदद करके और राज्य सरकार, केंद्र सरकार और चैरिटेबल ट्रस्टों से फंड जुटाकर पायलट या एयरलाइन कर्मी बनने में मदद की है. 

खेत पर करते थे बाल मजदूरी
कैप्टन एडी मानेक वर्ष 1974 में 12 वर्ष की आयु में एक खेत पर बाल श्रमिक के रूप में काम करते थे. तब उन्होंने एक हवाई जहाज को आसमान में उड़ते हुए देखा और उसके बाद पायलट प्रशिक्षक तक का सफर तय किया. सैकड़ों बाधाओं से गुजरते हुए उन्होंने 16 साल तक संघर्ष किया. कैप्टन एडी मानेक का पूरा परिवार भी पायलट है. कैप्टन एडी मानेक के इस स्कूल में पढ़ने वाले ऐसे कई छात्र हैं, जो अब जल्द ही भारत को इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिनिधित्व भी करने वाले हैं.


 

 

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