आज महिलाएं हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रही हैं. पहले जिन चीजों को सिर्फ पुरुषों का काम माना जाता था, आज वहां महिलाएं अपने काम का परचम लहरा रही हैं. समानता के हक की लड़ाई कई पड़ाव पर सफल भी हुई है. महिलाओं ने अपने दम पर साबित किया है कि वो जो ठान लेती हैं कर के मानती हैं. आज की कहानी कोलकाता की एक ऐसी ही महिला की है. इस औरत ने अपनी मां और बहन के लिए इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ दी और कैब चलाने लगी.
परम कल्याण नाम के एक फेसबुक यूजर ने इस महिला की कहानी अपने फेसबुक पोस्ट में की. परम ने कोलकाता के न्यू गड़िया क्षेत्र से लेक मॉल के लिए कैब बुक की थी. परम के पास फोन आया और उधर एक महिला कैब ड्राइवर की आवाज आई. आमतौर पर कैब ड्राइवर्स फोन करके पूछते हैं, कैश दोगे या नहीं, कहां का ड्रॉप है. परम से इस महिला ने पूछा कि उनका पिक अप कहां से है?
पिता की मौत के बाद छोड़नी पड़ी नौकरी
एक महिला कैब ड्राइबर को सुनकर परम थोड़ा हैरान हुए. प्रोफाइल चेक की तो पता चला लेडी का नाम दीप्ता घोष है. यात्रा शुरू होने के बाद छोटे से सफर के दौरान बातचीत से जान लिया कि महिला पढ़ी-लिखी है. उन्होंने दीप्ता से सवाल किया कि आप कितनी पढ़ी-लिखी हैं? ड्राइविंग करते-करते दीप्ता ने बताया कि वो इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक ग्रेजुएट है. उन्होंने अपने 6 साल के करियर में कई अच्छी कंपनियों में काम किया है. कुछ समय पहले 2020 में उनके पिता की मृत्यु हो गई. दीप्ता के घर में उनके अलावा उनकी मां और एक छोटी बहन है. नौकरी करने के लिए दीप्ता को कोलकाता से बाहर जाना पड़ रहा था और वो मां को अकेले नहीं छोड़ना चाहती थीं इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया.
कितनी हो जाती है कमाई
दीप्ता को ड्राइविंग आती थी और उन्होंने कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस लिया और एक ऑल्टो खरीद ली. वो 2021 से कैब चलाने लगीं. परम ने बताया कि दीप्ता अपने निर्णय से खुश है और महीने के 40,000 रुपये तक कमा लेती है. दीप्ता रोज 6-7 घंटे कैब चलाती है और हफ़्ते में 6 दिन काम करती है. अब वो किसी कंपनी के लिए काम नहीं करना चाहती हैं. दीप्ता की कहानी से प्रभावित होकर लोग उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं और तारीफ में खूब कमेंट्स कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा- कोई काम छोटा नहीं होता है। दूसरे ने कमेंट किया- ऐसे ही आगे बढ़ती रहो.