देश दुनिया में बहुत से लोग अब जॉब छोड़कर अपना काम शुरू कर रहे हैं. लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जोकि दूसरों की मदद के मकसद से काम शुरू करें और इसमें सफलता भी हासिल करें. आज जिस शख्स की हम कहानी बताने जा रहे हैं उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में काम किया और आज अपना खुद का रेस्टोरेंट चला रहे हैं.
दुबई अपने लग्जरी लाइफस्टाइल, बड़े सपने और ऊंची इमारतों के लिए मशहूर है, लेकिन एनआइआई लोकेश मिश्रा का सपना इससे बिल्कुल ही अलग था. उनकी चाहत थी कि वह दुबई में मजदूरों को घर जैसा खाना खिलाएं, जो न सिर्फ उनका पेट भरे, बल्कि उनकी जेब पर भी भारी ना पड़े.
लोकेश मिश्रा कई बड़ी टेक कंपनियों में काम कर चुके हैं. साल 2020 में कोविड से पहले उन्होंने दुबई में एक "भोजपुरिया रेस्टोरेंट" शुरू किया. इस रेस्टोरेंट में दुबई काम करने आए मजदूरों को किफायती दाम पर खाना मिलता है. ये रेस्टोरेंट खासतौर से यूपी बिहार के लोगों के बीच पॉपुलर है क्योंकि दुबई काम करने आए मजदूरों में ज्यादातर इन्ही राज्यों के होते हैं.
सिर्फ 3 दिरहम में भरपेट खाना
लोकेश मिश्रा का ये रेस्टोरेंट गरीब मजदूरों (Laborers) को सस्ता और पौष्टिक खाना उपलब्ध कराता है. सिर्फ 3 दिरहम (लगभग 68 रुपये) में यहां आपको एक वक्त का खाना मिलता है. पूरे दिन की मील के लिए मजदूरों को सिर्फ 10 दिरहम (225 रुपये) ही खर्च करने पड़ते हैं और महीने भर का खाना सिर्फ 300 दिरहम (6,750 रुपये) में मिलता है. ये सिर्फ किफायती ही नहीं, बल्कि कई लोगों के लिए जीवन बदलने वाला कदम साबित हुआ है, जो कड़ी मेहनत करके अपना और दुबई दोनों का भविष्य बना रहे हैं.
कैसे सिर्फ 10 दिरहम में 3 टाइम का खाना मुमकिन हुआ?
ये सुनने में नामुमकिन लगता है, लेकिन लोकेश मिश्रा ने इसका फॉर्मूला खोज लिया है. उनके मुताबिक सब कुछ नंबर (वॉल्यूम) पर निर्भर करता है. उनके रेस्टोरेंट में रोज सैकड़ों लोग खाते हैं, तो लागत अपने-आप बैलेंस हो जाती है. वो बताते हैं की वो अपने रेस्टोरेंट में क्वालिटी के साथ-साथ कम दाम पर खाना देते हैं, जिसके कारण लोग खुद पर खुद उनके रेस्टोरेंट में खाना पसंद करते हैं.
भोजपुरिया रेस्टोरेंट का मेनू क्या है?
लोकेश मिश्रा ने इस रेस्टोरेंट में उत्तर प्रदेश और बिहार के पारंपरिक डिशेज रखी हैं, जो न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन हैं, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद भी होती हैं.
लिट्टी-चोखा – इसमें गेहूं के आटे की लोई को सत्तू से भरकर बनाई जाती है और इसे बैंगन के चोखे के साथ खाया जाता है.
सत्तू ड्रिंक – भूने हुए चने से बना यह हेल्दी ड्रिंक शरीर को ठंडक पहुंचाता है और एनर्जी से भर देता है.
दाल-भात – दाल और चावल का साधारण लेकिन स्वादिष्ट मेल है, ये बिहार और यूपी के लोगों के लिए रोज का खाना है.
बिरयानी – मसालों से भरपूर खुशबूदार बिरयानी हर किसी को पसंद आती है.
लोकेश के रेस्टोरेंट में मिलने वाली ये सभी डिशेज सस्ती, पौष्टिक और बेहद स्वादिष्ट हैं, जो न सिर्फ भारतीय काम करने वाले लोगों को बल्कि हर तरह के खाने के शौकीनों को आकर्षित कर रही हैं.
टेक इंडस्ट्री से होटल बिजनेस तक का सफर
लोकेश मिश्रा 2001 में दुबई आए और सिमेन्स, नोकिया और एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों में काम किया. लेकिन उनका बचपन का सपना अपना खुद का रेस्टोरेंट खोलने का था. बस फिर क्या था लोकेश मिश्रा ने 2020 में अपना रेस्टोरेंट खोला, लेकिन कुछ ही हफ्तों बाद कोविड-19 महामारी आ गई. लॉकडाउन के कारण जब रेस्तरां में बैठकर खाना संभव नहीं था, तब उन्होंने टिफिन सेवा (Tiffin Delivery) शुरू की. सुबह 4 बजे से खाना बनना शुरू होता था, ताकि मजदूरों को समय पर नाश्ता मिल सके. धीरे-धीरे ये इस सेवा ने रेस्टोरेंट को बचाए रखा. आज ये सिर्फ एक आम रेस्तरां नहीं, बल्कि कई लोगों के लिए राहत और उम्मीद की जगह बन चुका है.
बड़ी हस्तियों की भी पसंद बना भोजपुरिया रेस्टोरेंट
शुरुआत में यह रेस्तरां सिर्फ मजदूरों के लिए खोला गया था, लेकिन अब ये हर तरह के खाने के शौकीनों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. कई भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सितारे भी जब दुबई आते हैं, तो यहां खाना खाने जरूर जाते हैं. दुबई में रहने वाले कई भारतीय, जो घर का खाना मिस करते हैं, वो भी भोजपुरिया रेस्तरां में आकर स्वादिष्ट भोजपुरिया भोजन का आनंद लेते हैं. यहां का खाना हर किसी को बिहार और उत्तर प्रदेश के गांवों की याद दिला देता है. आज भोजपुरिया रेस्टोरेंट में 15 लोग काम कर रहे हैं, जिन्हें मिश्रा अपना परिवार मानते हैं. मिश्रा बताते हैं कि उनको संतुष्टि मिलती है कि भोजपुरिया रेस्टोरेंट में काम करने वाले लोगों के परिवार को सपोर्ट मिल रहा है और उनके बच्चे स्कूल भी जा पा रहे हैं.
दुबई में हों, तो भोजपुरिया रेस्टोरेंट जरूर जाएं
अगर आप कभी दुबई के अल मुहैसना 2 इलाके में जाएं, तो भोजपुरिया रेस्टोरेंट जरूर जाएं. यहां सिर्फ खाने का स्वाद नहीं, बल्कि अपनेपन की भावना भी मिलेगी. मजदूरों के लिए घर जैसा खाना, खाने के शौकीनों के लिए भोजपुरिया स्वाद और हर किसी के लिए एक अनोखी कहानी, जो भोजन के जरिए इंसानियत का संदेश देती है. लोकेश मिश्रा ने ये साबित कर दिया कि अच्छा खाना सिर्फ स्वाद की बात नहीं, बल्कि प्यार और सेवा का प्रतीक भी हो सकता है. तो अगली बार जब आप दुबई में हों, तो लिट्टी-चोखा और गरमा-गरम टिफिन का स्वाद चखना न भूलें.
यह स्टोरी निशांत सिंह ने लिखी है, निशांत GNTTV में बतौर इंटर्न काम कर रहे हैं.