एम्स भोपाल का कमाल! 9 घंटे के ऑपरेशन के बाद महिला के शरीर में बनाया नया फूड पाइप

कुछ समय पूर्व एक महिला ने अपने घर में टॉयलेट क्लीनर का सेवन कर लिया जिससे उसकी आहार नली (इसोफेगस) गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी.

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gnttv.com
  • भोपाल ,
  • 21 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 9:28 PM IST

एम्स, भोपाल में डॉक्टरों की टीम ने हाल ही में चमत्कारिक रूप से दुर्लभ एवं कठिन ऑपरेशन को अंजाम देते हुए नई आहार नली बनाने में सफलता हासिल की है. कुछ समय पूर्व एक महिला ने अपने घर में टॉयलेट क्लीनर का सेवन कर लिया जिससे उसकी आहार नली (इसोफेगस) गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी.

इस संक्षारक पदार्थ के कारण उसकी आहार नली गंभीर रूप से जल गई और उसकी आहार नली पूर्णतः बंद हो गई. इससे उसके पेट पर भी असर पड़ा. वह अपने मुंह से कुछ भी निगलने में असमर्थ थी. यहां तक की वह पानी या अपना लार को निगलने में भी असमर्थ थी इस स्थिति को निगलने में कठिनाई या डिसफेजिया कहा जाता है। इस दौरान वह जीवित रहने के लिए ट्यूब के जरिए भोजन (फीडिंग जेजुनोस्टोमी) पर आश्रित थी. इस प्रक्रिया में तरल भोजन सीधे छोटी आंत्र (स्माल इंटेस्टाइन) में पहुंचाया जाता है.

एम्स भोपाल में सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विशाल गुप्ता के नेतृत्व में यह ऑपरेशन किया गया. उन्होंने बताया कि रोगी ने पिछले 10 माह से मुंह के जरिए कुछ भी नहीं खाया-पिया था. नई आहार नली बनाना वास्तव में एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि टॉयलेट क्लीनर के कारण उसकी पूरी इसोफेगस क्षतिग्रस्त हो चुकी थी और पेट को भी नुकसान पहुंचा था. डॉक्टरों की एक टीम ने उसकी बड़ी आँत (कोलोन) के एक हिस्से की सहायता नई आहार नली बनाई. जिसे उसके पेट से खींचकर, छाती से होते हुए गले तक लाया गया. इस सर्जरी के बाद जिसे कोलोनिक पुल-अप या ग्रसनी कोलोप्लास्टी (फैरिंगो कोलोप्लास्टी) कहते हैं, वह नली की सहायता के बगैर खा-पी सकती हैं. डॉ. लोकेश अरोरा ने आगे बताया कि मरीज के पेट को भी गंभीर नुकसान पंहुचा था और पेट तथा छोटी आंत (इंटेस्टाइन) के बीच भी रास्ता बनाया गया. डॉ. विकास गुप्ता, अपर प्राध्यापक एवं ईएनटी के प्रमुख ने बताया कि वास्तव में उसकी बोलने की क्षमता को रखना चुनौतीपूर्ण था. चूंकि हमने नई आहार नली को उसकी गले में वॉयस बॉक्स के नजदीक जोड़ा है, जो आवाज को नियंत्रित करने तथा इस हिस्से से गुजरने वाले वायु मार्ग को सुरक्षित रखने वाली एक महत्वपूर्ण तंत्रिका है. 

नौ घंटे तक चले इस लंबे ऑपरेशन को डॉक्टरों की एक टीम द्वारा सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया. इस ऑपरेशन में सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. विशाल गुप्ता, डॉ. लोकेश अरोरा तथा डॉ. सजय राज, ईएनटी विभाग के डॉ. विकास गुप्ता, डॉ. गणकल्याण, डॉ. राहुल तथा एनेस्थिसिया विभाग की डॉ. शिखा जैन शामिल थीं. मरीज सर्जिकल आईसीयू इंचार्ज डॉ. जेपी शर्मा की निगरानी में लगभग 10 दिन आईसीयू में रही. 

विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय बाजार में आसानी से उपलब्ध अत्यधिक अम्लता वाले गैर-ब्रांडेड टॉयलेट क्लीनर के बिक्री पर सख्त प्रतिबंध लगना चाहिए. चूंकि कई बार इन पदार्थों का विशेष रूप से बच्चों द्वारा दुर्घटनावश या जानबूझकर जीवन को नुकसान पंहुचाने के उद्देश्य से सेवन करने की आशंका रहती है.

-भोपाल से रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट

 

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