बिहार का सीमांचल क्षेत्र महिला तस्करी और बलात्कार के मामले में सबसे खराब क्षेत्रों में से एक है. 2020 में 15,359 की तुलना में 2021 में 17,950 मामलों के साथ बिहार में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 16.8% की बढ़ोतरी हुई है. लेकिन भूमिका विहार (Bhoomika Vihar) की डायरेक्टर शिल्पी सिंह (Shilpi Singh) ने ये ठान लिया है कि वे महिलाओं के लिए काम करने से पीछे नहीं उठेंगी और उनको इस मौत के मुंह से निकाल लेंगी. शिल्पी अब तक 1050 लड़कियों को स्कूल भेज चुकी हैं, 1890 लड़कियों की शादी रुकवा चुकी हैं और करीब 200 से ज्यादा लड़कियों को देह व्यापार से निकाल चुकी हैं. आज शिल्पी देह व्यापार, मानव तस्करी, बाल विवाह विरोधी अभियान चला रही हैं.
शिल्पी कहती हैं, “मैं बहुत छोटी थी तब से काम कर रही हूं. 9वीं से मैंने पापा के साथ मिलकर विषयों को समझना शुरू किया. 2002-2003 से मैं ऑर्गनाइजेशन के लिए काम कर रही हूं. आजतक हजारों लड़कियों की मदद कर चुकी हूं.” बिहार के कटिहार से ताल्लुक रखने वाली शिल्पी की स्कूली शिक्षा और कॉलेज की पढ़ाई अपने ही क्षेत्र से हुई. शिल्पी के पिता अरुण कुमार सिंह ने भूमिका विहार की स्थापना की थी. यही कारण है कि शिल्पी ने इतनी छोटी सी उम्र से ही समाज के लिए काम करना शुरू कर दिया था. हालांकि, पिता के निधन के बाद संगठन की बागडोर शिल्पी ने संभाल ली.
पापा की परवरिश ने ऐसा बनाया
अपने सफर के बारे में शिल्पी ने GNT डिजिटल को बताया, “मैं थिएटर आर्टिस्ट रही हूं. भूमिका विहार में काम करते हुए मैंने पिता से सीखा कि सामाजिक परिवर्तन कैसे लाया जा सकता है. इस दौरान लोगों से बात करना, उनसे कनेक्ट करना, लोगों के लिए काम करना सब कुछ पापा से सीखा. स्कूल-कॉलेज के दौरान जब सब बच्चे मस्ती-मजाक करते थे उस दौरान ही मैंने सब कुछ सीखा. ये ललक बचपन से होती है कि अपने लोगों के लिए काम करना है या इन लड़कियों के लिए कुछ करना है. इस काम के ही कारण मुझे अलग-अलग इंटरनेशनल फेलोशिप मिली. थॉमस रॉयटर्स फाउंडेशन 'स्टॉप स्लेवरी हीरो अवार्ड' की फाइनलिस्ट बनीं. वाइटल वॉयस और रिलायंस फाउंडेशन ने महिला लीड इंडिया फेलोशिप के लिए भारत की टॉप 50 महिला लीडर्स में से एक के रूप में चुना है. इसका पूरे क्रेडिट पापा को जाता है. क्योंकि उन्होंने मुझे अलग परवरिश दी. मेरी सोच थी कि मैं आगे बढ़कर पापा के नाम को आगे लेकर जाऊंगी. तो मुझे लगता है कि अपने सपनों को लेकर हमें जिद्दी बनना पड़ेगा. उन्होंने मुझे एक सैनिक की तरह तैयार किया है.”
जरूरी नहीं लड़की के जीवन का अंतिम पड़ाव मंडप हो
दरअसल, हमारे देश में शादी को सबसे मजबूत धार्मिक संस्कार माना जाता है. लेकिन कई सारे क्राइम इसी की आड़ में किए जाते हैं. ऐसा ही एक क्राइम है ब्राइड ट्रैफिकिंग (Bride Trafficking) यानी दुल्हनों को आगे बेच देना. इसके तहत बहला-फुसलाकर या अच्छे घर, नौकरी या पैसे का लालच देकर लड़की से शादी कर ली जाती है. और फिर उसे आगे बेच दिया जाता है या देह व्यापार में लगा दिया जाता है. ये या तो जबरन होती है या झूठी होती है. इसी को लेकर शिल्पी कहती हैं कि अगर एक गरीब बेटी की शादी हो रही है तो आप ये सवाल नहीं कर सकते हैं कि वह झूठी है. इन्हीं झूठी शादियों से में कई हजारों लड़कियों को बचा चुकी हूं, मंडप से लड़कियों को उठाया है. एक ऐसा ही वाक्या याद करते हुए वे बताती हैं, “एक बार 14 साल की बच्ची की शादी एक 45 साल के आदमी के साथ कर दी गई थी. उस बच्ची की विदाई को हमने रुकवाया था. लेकिन ताज्जुब की बात है कि उसकी मां ही मुझसे बहुत नाराज थीं. ऐसे में हमारे पास विकल्प क्या है? दूसरा, अगर लड़की की शादी हो गई है तो अगर वह वापस आना चाहे तो वह उसके पास विकल्प परिवारवालों ने और समाज ने छोड़ा ही नहीं है. मैं इसी यू-टर्न को बनाने का काम कर रही हूं. जरूरी नहीं कि किसी लड़की के जीवन का अंतिम पड़ाव मंडप हो, उसके आगे भी हमारी जिंदगी है. हम देखते हैं कि बच्ची जैसी ही बढ़ी होने लगती है उसके घर के खर्चे की कटौती दहेज जोड़ने में होने लगती है. ऐसा क्यों? हमें बेटियों को पढ़ाने के लिए काम करना चाहिए.”
मिल चुकी हैं सैंकड़ों धमकियां
शिल्पी बताती हैं कि उन्हें अब तक हिंसा,अपहरण और हत्या तक की सैकड़ों धमकियां मिल चुकी हैं. वे बताती हैं, “कई बार डराने-धमकाने के लिए कॉल आए. कई बार धमकी दी गई कि लड़की हो तो लड़की वाला काम करो. कई लोगों ने मुझे कहा कि ऐसे रात-रात को पुलिस स्टेशन में नहीं बैठना चाहिए या दलालों से मुझे लड़ाई मोल नहीं लेनी चाहिए. क्योंकि ट्रैफिकिंग एक अनऑर्गनाइज़्ड क्राइम है. ये करोड़ों का बिजनेस है. आप समझिए कि कैसे एक गांव में रहने वाले परिवार के बारे में दलाल को पता चल जाता है कि ये इस घर में इस लड़की को ले जाया जा सकता है. ऐसी में दलालों के इन नेटवर्क को तोडना जरूरी है. जैसे अब बच्चे पैदा करने के लिए लेकर जाते हैं, और लड़की होती है तो उस लड़की को आगे भेज देते हैं.”
लेकिन, ये धमकियां भी शिल्पी के हौसले को कम नहीं कर पाई. इसकी हिम्मत कहां से मिलती है पूछने पर शिल्पी बताती हैं, “मैं जिन लड़कियों के लिए काम करती हूं या जिनको बचाकर लाई हूं, वो लोग जिस प्यार से और सम्मान से मुझसे मिलती हैं, बात करती हैं ये है मेरी हिम्मत. कई इलाके हैं जहां मुझे देखने और छूने के लिए वो लड़कियां और माताएं आती हैं. ये सब चीजें मुझे इतना सुकून देती है. मैं अक्सर उन बच्चियों को कहती हूं कि तुम लोग मेरी हॉर्लिक्स और बोर्न वीटा हो, तुम से मुझे ये इतनी हिम्मत मिलती है. जितनी बार उनसे मिलती हूं तब तब सोचती हूं कि इनके लिए हमेशा काम करूंगी.”
कहां काम करने की जरूरत है?
गौरतलब है कि महिलाओं को आमतौर पर बिहार से खरीदकर उत्तरी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में काम करने के लिए ले जाया जाता है. वहां उन्हें कम पैसों में या तो काम करवाया जाता है या फिर उनका यौन शोषण किया जाता है. हालांकि, शिल्पी कहती हैं कि इसमें भी सबसे छिपा हुआ ब्राइड ट्रैफिकिंग है. यानी जिसमें बच्ची की शादी करवा दी जाती है और फिर वो ससुराल (फेक) वाले उस बच्ची को ले जाकर इंटरनेशनल बॉर्डर पर बेच देते हैं या उसे देह व्यापार में धकेल देते हैं. इन्हीं को रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए इसपर शिल्पी कहती हैं, “बाल मजदूरी या ट्रेफिकिंग में थोड़े बहुत रिकॉर्ड मिल जाते हैं लेकिन शादी की आड़ में जिन बच्चियों को लेकर जाते हैं वो आइडेंटिफाई नहीं हो पाता है. ऐसे में थाने में जो पुलिस होती है वे ऐसे मामलों में भारी धारा लगाएं. थाना प्रभारी को ट्रेनिंग दिलाना जरूरी है. दलालों को कानून का का भय दिलाना चाहिए. सामाजिक लेवल पर इस बात के बारे में जानकारी होनी चाहिए कि विवाह को जो निबंधन है वो मुखिया के हस्ताक्षर के साथ होना चाहिए, इसमें मुखिया को रजिस्ट्रार बनाया जाता है. पंचायत स्तर पर ये निबंधन होना चाहिए, ऐसे में इन दलालों के बारे में तभी पता चल जाएगा.”
आखिर में शिल्पी कहती हैं कि एक लड़की खुद की अघिवक्ता होनी चाहिए. या जो भी लड़की अपने आप को आगे बढ़ाना चाहती है वो मान ले कि वह बहरी है, उसके कान नहीं है, क्योंकि अगर वह सब बातों को सुनेगी तो वह आगे नहीं जा सकती है. साथ ही बेटियों की पढ़ाई पर जोर दिया जाना चाहिए.