ब्रेन डेड के बाद ऑपरेशन थिएटर में जिंदा हुआ मरीज... सीना चीरकर डॉक्टर निकाल रहे थे दिल

क्या कोई व्यक्ति मरने के बाद फिर से जिंदा हो सकता है? सुनने में तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं लगता पर अमेरिका के एक अस्पताल में ऐसा ही हुआ है.

organ donation
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 6:59 PM IST
  • ब्रेन डेड युवक हुआ जिंदा
  • सीना चीरकर डॉक्टर निकाल रहे थे दिल

क्या कोई व्यक्ति मरने के बाद फिर से जिंदा हो सकता है? सुनने में तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं लगता पर अमेरिका के एक अस्पताल में ऐसा ही हुआ है. अमेरिका में एक शख्स को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड के बाद मृत घोषित कर दिया था लेकिन ऑपरेशन थिएटर में जब ऑर्गन डोनेशन के लिए उसका दिल निकालने की तैयारी की जा रही थी, तो वह जिंदा हो उठा.

अक्टूबर 2021 में दवा के ओवरडोज के कारण 36 साल के Anthony Thomas 'TJ' Hoover II को बैपटिस्ट हेल्थ रिचमंड अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था लेकिन एक दिन अचानक वो जिंदा हो गए.

आखिर ब्रेन डेड क्या है
ब्रेन डेड में मरीज का दिमाग काम करना बंद हो जाता है. ब्रेन डेथ को मेडिकल की भाषा में एक तरह से डेड ही माना जाता है. इस स्थिति में मरीज का शरीर गर्म रहता है और दिल भी धड़कता है. लेकिन दिमाग मर जाने के कारण शरीर भी आधा मर जाता है. ऐसे में व्यक्ति को वेंटिलेटर पर रखा जाता है. ब्रेन में खून या ऑक्‍सीजन की सप्‍लाई न हो पाने से इंसान ब्रेन डेड होता है.

सर्जरी से पहले हुआ जिंदा
इस केस की जांच करने वाले केंटुकी ऑर्गन डोनर एफिलिएट्स (KODA) के पूर्व कर्मचारी निकोलेटा मार्टिन ने बताया कि वह टेबल के इधर-उधर छटपटा रहा था. मार्टिन ने कहा कि, यह हर किसी का सबसे बुरा सपना जैसा होता है. सर्जरी के लिए जिंदा रहना और यह जानना कि कोई आपको चीरकर आपके शरीर के अंग निकाल लेगा. यह बहुत ही डरावना होता है.

ऑपरेशन के समय जिंदा थे हूवर
एक अन्य KODA कर्मचारी नताशा मिलर ने कहा कि जब हूवर को ICU से ऑपरेटिंग रूम में ले जाया जा रहा था, तब भी उसमें जिंदा होने के लक्षण दिख रहे थे. फिर जब हम वहां गए तो आंखों से आंसू बह रहे थे. वो रो रहे थे. इस पूरे मामले में बैपटिस्ट हेल्थ रिचमंड अस्पताल ने कहा है कि मरीजों की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है. वो अंग दान के लिए मरीज और उनके परिवार की इच्छाओं का सम्मान करते हैं. वहीं, इस घटना की जांच केंटुकी अटॉर्नी जनरल और अमेरिकी हेल्थ केयर रिसोर्सेस एडमिनिस्ट्रेशन रही हैं.

घटना के बाद से हूवर की याददाश्त पूरी तरह से वापस नहीं आई है, उन्हें चलने-फिरने और बात करने में परेशानी होती है. यह उनके लिए काफी दर्दनाक अनुभव रहा है. खुशी की बात ये है कि अब वो जिंदा हैं.

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