चुनाव का मेला इस वक्त पूरे देश भर में चल रहा है. अलग-अलग रंग और पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश और उमंग देखते ही बनती है. आज हम आपको 53 वर्ष की सविता परींजा से मिलवाने जा रहे हैं जो देखने में तो बिल्कुल आम है लेकिन फिर भी भीड़ में अलग और खास है. कैसे और क्यों वह आम आदमी पार्टी की कोई भी रैली हो या फिर जहां पर अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान पहुंचने हो, वहां पर वह अपने बाइक पर सवार होकर पहुंच जाती हैं. इस अनोखे और अलग अंदाज के लिए अब उन्हें "बुलेट लेडी" के नाम से भी जाना जाता है.
कार्यकर्ताओं में जोश और उमंग नेताओं में भी जान फूंक देता है. आज आपको आम आदमी पार्टी के एक ऐसे कार्यकर्ता से मिलने जा रहे हैं जो देखने में तो बिल्कुल आम है लेकिन फिर भी अपने अनोखे अंदाज के लिए उन्होंने अपना एक अलग मुकाम हासिल कर लिया है.
अलग इसलिए क्योंकि यह सर पर हेलमेट और रॉयल एनफील्ड में किक मारकर आम आदमी पार्टी की कोई भी बड़ी रैली हो वहां पर पहुंच जाती है. भीड़ में अलग नजर आती है. पीछे बाइक पर आम आदमी पार्टी का झंडा और आगे तिरंगा लहराता हुआ.
सविता परींजा ने इंडिया टुडे ग्रुप से बात करते हुए बताया कि बाइक चलाने का शौक उनका बचपन से ही था और हमेशा से ही वह सामाजिक कामों से जुड़ी रही हैं. पति इंडियन नेवी से रिटायर हुए हैं और अब वह ज्यादातर समय आम आदमी पार्टी की आईडियोलॉजी और प्रचार में लगा रही हैं. सविता ने बताया कि जब वह 20-21 साल की थीं, तभी से ही टू व्हीलर और फोर व्हीलर चला रही हैं लेकिन रॉयल एनफील्ड को चलाते ही उनके अंदर अलग सी ताजगी और जुनून आ जाता है.
2014 से पहले जब अन्ना हजारे का आंदोलन दिल्ली में शुरू हुआ था उस समय सविता उनसे दिल्ली के रामलीला मैदान पर जाकर मिली थीं. बाद में आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ गईं.
सविता बताती हैं कि वर्ष 2019 में पंजाब में जो विधानसभा चुनाव हुए थे उसमें उन्होंने पूरी तरह से बाइक पर अलग-अलग विधानसभा सीट पर जाकर प्रचार करना शुरू किया था और यहीं से ही उन्हें बुलेट लेडी का नाम मिला था. धीरे-धीरे लोग उन्हें जानने और पहचानने लगे और कोई भी रैली हो या फिर प्रचार हो वहां पर उन्हें उनके इस अनोखे अंदाज के लिए लोग बुलाने लगे. आजकल लोकसभा में आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए वह बाइक पर पहुंच जाती हैं.
सविता बताती हैं कि कुछ साल पहले जब दो-तीन लड़कों ने उन्हें तंज कसा था कि अगर बाइक संभलता या चलाना नहीं आता तो घर पर बैठा करो... उसके बाद से उन्हें लगा कि बाइक सिर्फ लड़के या पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं और लड़की भी चला सकती हैं और उन्हें बहुत अच्छा लगता है जब महिलाएं और लड़कियां उनसे प्रेरित होती हैं और पूछती हैं कि क्या वह भी बाइक चला सकती हैं या नहीं? सविता कहती हैं कि उन्हें यह मिथक भी तोड़ना है कि अगर कोई एक्सीडेंट या हादसा हो जाए तो पुरुष कितनी आसानी से कहते हैं कि कोई लड़की या महिला चल रही होगी. एक्सीडेंट या हादसा किसी से भी हो सकता है लेकिन एक गलत नरेटिव लोगों के दिमाग में भर दिया गया है कि अगर हादसा हुआ है तो उसके लिए महिला ही जिम्मेदार है.