दो लोगों ने मिलकर तैयार किया ऐसा बिजनेस मॉडल, जहां ऑनलाइन मिलते हैं बच्चों के कपड़े से लेकर खिलौने तक सभी चीजें

नंदिता कुडेसिया और भावना दयाल दोनों अच्छे दोस्त हैं. मां बनने से पहले दोनों ही वर्किंग थीं. लेकिन मां बनने के बाद इनके मदरहुड ने इनकी जिंदगी बदल कर रख दी. नंदिता बताती हैं कि मां बनने के कुछ समय बाद उनको एहसास हुआ कि उनके घर में बच्चे का बहुत सारा ऐसा सामान इकट्ठा हो गया है जो अब उनके किसी काम का नहीं है. नंदिता सोच में पड़ गई कि अब इस समान का क्या किया जाए.

Bhawana and Nandita
मनीष चौरसिया
  • नोएडा,
  • 31 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:56 AM IST
  • दो दोस्तों ने मिलकर बनाया बिजनेस मॉडल
  • कोविड के समय बढ़ी थी डिमांड

एक 2BHK फ्लैट और फ्लैट के हर रूम में आपको सिर्फ बच्चों का समान ही दिखाई पड़ेगा, कहीं बच्चों के खिलौने हैं कहीं प्रैम तो कहीं कपड़े और जूते पड़े हुए हैं. ये 2BHK फ्लैट किसी का घर नहीं बल्कि एक ऑनलाइन शॉपिंग का वेयर हाउस है. यह वेयर हाउस नोएडा के सेक्टर 46 में दो महिलाओं द्वारा चलाया जाता है.

दो दोस्तों ने मिलकर बनाया बिजनेस मॉडल
नंदिता कुडेसिया और भावना दयाल दोनों अच्छे दोस्त हैं. मां बनने से पहले दोनों ही वर्किंग थीं. लेकिन मां बनने के बाद इनके मदरहुड ने इनकी जिंदगी बदल कर रख दी. नंदिता बताती हैं कि मां बनने के कुछ समय बाद उनको एहसास हुआ कि उनके घर में बच्चे का बहुत सारा ऐसा सामान इकट्ठा हो गया है जो अब उनके किसी काम का नहीं है. नंदिता सोच में पड़ गई कि अब इस समान का क्या किया जाए. भावना दयाल भी कुछ ऐसी ही समस्या से जूझ रही थी. भावना चाहती थी कि यह सामान किसी जरूरतमंद तक पहुंच जाए. इसके लिए वह ऐसे ही लोगों से बात करती थी और सामान बेचने के लिए कुछ व्हाट्सएप ग्रुप पर सामान की लिस्ट डाल देती थी. धीरे-धीरे लोगों ने भावना से संपर्क करना शुरु किया. इसमें नंदिता ने भी उनका साथ दिया. फिर एक दिन दोनों दोस्तों ने डिसाइड किया कि क्यों ना इसे एक बिजनेस मॉडल में बदल दिया जाए.

सही कंडीशन में होना चाहिए सामान 
दोनों ने मिलकर ऐसे पेरेंट्स से कांटेक्ट करना शुरू किया जिनके पास बच्चों का यूज किया हुआ बहुत सारा सामान था. उसके बाद दोनों ने उन पैरंट्स से भी संपर्क करना शुरू किया जिन्हें ऐसी चीजों की जरूरत थी. भावना बताती हैं कि किसी भी सेकंड हैंड चीज को बेचने से पहले हम एक मां की तरह इस बात को निश्चित कर लेते हैं कि जो सामान हमको मिल रहा है वो किसी दूसरे बच्चे के इस्तेमाल करने के लायक है भी या फिर नहीं. जब हमें सामान मिलता है और अगर उसमें कोई दिक्कत होती है तो हम उसे ठीक करवाते हैं, लेकिन साथ ही जब उस सामान को हम भेजते हैं तो नए पैरंट को यह बताते भी हैं कि समान में क्या दिक्कत थी जिसे अब ठीक कर दिया गया है.

कोविड के समय बढ़ी थी डिमांड
नंदिता बताती हैं कि हम बेचने के लिए उसी समान को लेते हैं जो सामान हम अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल कर पाएं. कोविड के वक्त हमारे सामान की डिमांड बहुत ज्यादा हो गई थी क्योंकि एक तो सामान मिलना आसान नहीं था दूसरा लोगों की सैलरी कम होने के चलते भी लोग बच्चों की महंगी चीजों पर इन्वेस्ट करने से बच रहे थे. लेकिन हम यह दावा करते हैं कि बच्चों के इस्तेमाल के लिए बनी बड़ी से बड़ी ब्रांडेड चीज हम आपको आधे से भी कम दाम में उपलब्ध करा देते हैं. नंदिता बताती हैं कि आज उनके पास पूरे देश से लोग संपर्क करते हैं और शॉपिंग करते हैं. नंदिता कहती हैं कि इसके जरिए हम बच्चों को भी यह समझाने की कोशिश करते हैं कि सेकंड हैंड चीज को इस्तेमाल करने से हम छोटे नहीं हो जाते और जो लोग सेकंड हैंड चीज इस्तेमाल करते हैं उन्हें कभी छोटा नहीं समझना चाहिए.

खोलना चाहती हैं और स्टोर
यहां पर आपको 8 साल तक के बच्चे की कोई भी चीज आसानी से मिल जाएगी. फिलहाल यह दोनों दोस्त अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं.लेकिन इनका संकल्प ये भी है कि वह जहां कहीं भी अपनी ब्रांच खोलेंगे उसको चलाने वाली एक मां ही होगी.

 

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