देश में आज भी कई ऐसे बच्चे हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है. लेकिन कुछ लोग आज भी इनका पेट भरने का जिम्मा उठा चुके हैं. 23 साल के शक्ति यादव उन्हीं में से एक हैं, बस उनका तरीका थोड़ा अलग है. सितंबर 2020 में 'प्लास्टिक की बोतलों से खाना खरीदें' पहल शुरू की थी. इसके तहत रविवार को वे प्लास्टिक बोतल के बदले में गर्म खाना देते हैं. इतना ही नहीं बल्कि हर रविवार को जो भी 3 बच्चे सबसे ज्यादा बोतल इकट्ठा करके लेकर आते हैं उन्हें पुरस्कार भी दिया जाता है.
कई साल से कर रहे हैं समस्याओं का सामना
भांडुप की झुग्गियों में रहने वाले शक्ति को 2018 से अपने क्षेत्र में दो समस्याओं का सामना करना पड़ा. झुग्गी-झोपड़ियों के इर्द-गिर्द कूड़ा-कचरा पड़ा रहता है और लोगों को कभी-कभी खाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है. हिंदुस्तान टाइम्स से शक्ति कहते हैं, “2018 में, जब मैं भांडुप की झुग्गियों में रह रहा था, तो मुझे सड़क पर और झुग्गी-झोपड़ियों में सारा कचरा दिखाई देता था. बरसात के दिनों में जब नाले उफान पर होते थे तो मैं देखता था कि ये बोतलें नालों को चोक कर देती हैं. यह पानी सीवर लाइन के जरिए हमारे घरों में घुस जाता था. मैं मानसून से नफरत करता था.”
आगे शक्ति कहते हैं, “एक बार, मैंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो देखा जिसमें लोग खाने के लिए प्लास्टिक की बोतलों का आदान-प्रदान कर रहे थे. मैंने इसी को हमारे यहां करने के बारे में सोचा, हालांकि, शुरुआत में मेरे दोस्त हंसे और उन्होंने कहा कि ये विचार भारत की मलिन बस्तियों में संभव नहीं हैं. मैंने इसके बारे में और अधिक रिसर्च की और 'बाय फ़ूड विड प्लास्टिक' ऑर्गनाइजेशन के फाउंडर्स से संपर्क किया. एक दिन उन्होंने ने मुझे बुलाया और हमने इसपर बात दी. लेकिन दो साल तक ऐसा नहीं हुआ और मैंने अपना एमबीए जारी रखा. फिर 2020 में, लॉकडाउन के दौरान मैंने झुग्गी-झोपड़ियों में लोगों को एक दिन के भोजन के लिए संघर्ष करते देखा और मैं फिर से ऑर्गनाइजेशन के पास पहुंचा, और हमने इसे शुरू किया.”
प्लास्टिक प्रदूषण से भी बचाता है
यह कार्यक्रम न केवल उन्हें प्लास्टिक को रीसायकल करने में मदद करता है, बल्कि प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभावों के बारे में बच्चों के बीच जागरूकता बढ़ाने में भी मदद करता है. एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक जो बच्चे जितनी ज्यादा बोतल ढूंढते हैं उन्हें उतनी ही कीमत मिलती है. पास ही नाले के आसपास इतना कूड़ा करकट है कि बोतलें आसानी से मिल जाती हैं. रविवार को इसमें 233 से अधिक लोग, वयस्क और बच्चे, घटना से लाभान्वित हुए. उन्हें प्लास्टिक की बोतलों के बदले में गर्म भोजन मिलता है. रविवार के कार्यक्रम में 4615 प्लास्टिक की बोतलें इकट्ठी की गईं, जिन्हें रिसाइकल के लिए 'रीसर्कल' संगठन भेजा जाएगा.
सभी लेकर आते हैं बोतलें
रिपोर्ट के मुताबिक, झुग्गी की एक निवासी सुरेखा बोडावडे ने कहा, “बच्चे इसके लिए इतने उत्साहित हैं कि वे हमारे लिए भी बोतलें लाते हैं. इन बच्चों को अपने रविवार के लिए इतना उत्साहित देखकर अच्छा लग रहा है.” इतना ही नहीं भोजन के बाद बच्चे कार्यशाला में भी भाग लेते हैं जिसमें पर्यावरण और प्लास्टिक प्रदूषण से संबंधित चित्र बनाए जाते हैं. सभी बच्चे पहली ड्राइंग में रंग भरते हैं और फिर अपनी सुविधा के अनुसार बची हुए ड्राइंग को रंगने के लिए अपनी किताब घर ले जाते हैं.