India Today Group न सिर्फ खबरों के ज़रिए सच्चाई से लोगों को रू-ब-रू कराता है बल्कि अपनी सामाजिक ज़िम्ममेदारी भी जानता है. इसलिए कोविड काल में प्रभावित हुए परिवारों को India Today Group ने Care Today Fund के तहत मदद देने की पहल की है. संगठन का उद्देशय लोगों के चेहरे पर मुस्कान लौटाना है.
इस कड़ी में गुड न्यूज टुडे की टीम ने मिर्ज़ापुर पहुंचकर लोगों से बात की. सबसे पहले एक दृष्टि बाधित महिला बृजवासी को care today की पहल के तहत एक भैंस आजीविका के लिए दी गयी. जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके. जिन लोगों ने इसे दिलाने में मदद की वे भी बृजवासी से मिले.
डेयरी के काम के लिए मदद पाने वाली बृजवासी कहती हैं, 'इससे हम अब अपने परिवार के लिए कुछ कर पाएंगे.' वहीं चूड़ी बिंदी व्यवसाय के लिए मदद पाने वाली सोनी कहती हैं- 'अब मैं अपने दोनों बच्चों को पढ़ाऊँगी.'
किसी को सिलाई मशीन तो किसी को दुकान में मिली मदद:
मिर्ज़ापुर के मवईं कला (Mavai Kala) गांव में सिर्फ बृजवासी नहीं हैं जिन्हें मदद मिली है. कुछ ही दूर पर इंदू देवी महिलाओं को सिलाई सिखा रही हैं. कोविड की वजह से घर के पुरूषों की आमदनी अनियमित हो गयी तो अब महिलाएं सिलाई-कढ़ाई के ज़रिए घर चलाने के लिए आगे आयी हैं.
मशीन की मदद पाने वाली फ़ातिमा तो और भी ज़्यादा खुश हैं. वो कहती हैं, 'मेरे पति शहर में दर्ज़ी का ही काम करते थे. अब मैं घर में बैठकर सूट, ब्लाउज़ और बच्चों के कपड़े सिलकर चार पैसे कमाऊँगी,'
Care Today Fund की पहल को मिर्ज़ापुर में गांव के जरूरतमंदों तक पहुंचाने में पार्टनर आर्थिक अनुसंधान केंद्र की सहायता से 10 महिलाओं को सिलाई मशीन दी गयी. मज़दूरी कर रहे पति का काम कोविड में छूट जाने पर सोनी को चूड़ी-बिंदी की दुकान से बड़ा सहारा मिला है.
सोनी ने घर में ही शृंगार का सामान सजा दिया है. नवरात्रों में उन्हें अच्छी बिक्री होने की उम्मीद है. सोनी को कांच की चूड़ियां पहनना पसंद है लेकिन, अब ये चूड़ियां सोनी के लिए शृंगार का नहीं बल्कि रोज़गार का भी ज़रिया है.
100 से ज्यादा परिवारों को मिला रोजगार को जरिया:
केयर टुडे की मदद को इन लोगों में पहुंचाने में स्थानीय संस्था 'आर्थिक अनुसंधान केंद्र' ने मदद की है. जब सारा सामान गांव पहुंचा तो मानो पूरा गांव इसे देखने के लिए मौजूद था. इस पहल के तहत कोरोना काल में अपने रोज़गार का जरिया खोने वाले 111 (एक सौ ग्यारह) परिवारों को मदद दी गयी. कुछ परिवारों को डेयरी उद्योग के लिए मदद की गयी तो कुछ को मुर्गी पालन और बकरी पालन में भी मदद दी गयी.
कुछ महिलाओं को छोटा व्यवसाय शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता की गयी तो 10 महिलाएं ऐसी थीं जिनको सिलाई मशीन दो गयी. साथ ही सिलाई की ट्रेनिंग भी करायी गयी. कुछ परिवारों को खेत में सिंचाई के लिए उपकरण भी दिए गए.
आर्थिक अनुसंधान केंद्र के हरि गोविंद सिंह ने बताया कि 'उन परिवारों की मदद की गयी बैंकों वास्तव में बहुत ज़रूरतमंद हैं. इस क्षेत्र में हम लोग काफ़ी समय से काम कर रहे हैं और कोविड की वजह से लोगों के रोज़गार ओर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. पहले 78 परिवारों को मदद दी जानी थी पर इसका दायरा बढ़ाकर 111 परिवार किया गया. इससे ज़्यादा परिवार इस मदद के दायरे में आ सके.'