Carrot Farming Tips: 90 दिन में फसल तैयार, होगा खूब मुनाफा, ऐसे करें आसान तरीके से गाजर की खेती

गाजर की अच्छी खेती रेतीली, दोमट या कीचड़ वाली मिट्टी में होती है. फसल तैयार होने में ज्यादा से ज्यादा 90 दिन का वक्त लगता है. गाजर की बुआई अगस्त से नवंबर के महीने में की जाती है. देसी किस्म के गाजर की बुआई अगस्त से सितंबर और यूरोपीय किस्म की बुआई अक्टूबर से नवंबर में की जाती है.

Carrot Farming
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST

सर्दी के मौसम में किचन में गाजर का खूब इस्तेमाल होता है. इसे कच्चा भी खाया जाता है और सब्जी में भी इस्तेमाल किया जाता है. गाजर सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. इससे इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है. गाजर की खेती से अच्छा-खासा मुनाफा कमाया जा सकता है. गाजर की फसल तैयार में ज्यादा से ज्यादा 90 दिन का समय लगता है.

किस मिट्टी में होती है गाजर की खेती-
गाजर की खेती के लिए रेतीली, दोमट या कीचड़ वाली मिट्टी सबसे अच्छी होती है. इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु अच्छी होती है. इसके लिए मिट्टी की पीएच 5.5 से 7 होनी चाहिए. गाजर की बुआई अगस्त से नवंबर के महीने में की जाती है. देसी किस्म के गाजर की बुआई अगस्त से सितंबर और यूरोपीय किस्म की बुआई अक्टूबर से नवंबर में की जाती है. गाजर की बुआई के लिए क्यारियों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए तापमान 15 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.

कैसे तैयार करें खेत-
गाजर की जड़ों को अच्छे विकास के लिए गहरी, नर्म और चिकनी मिट्टी की जरूरत होती है. बुआई से पहले गाजर के खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी होती है, ताकि मिट्टी पूरी तरह से भूरभूरी हो जाए. इसके बाद खेत को समतल करना चाहिए. जुताई के समय जरूरत के हिसाब से गोबर की खाद मिलानी चाहिए. एक बात का ध्यान रखना है कि ताजा गोबर और कम गली खाद का इस्तेमाल नहीं करना है. 

कैसे होती है बीजों की बुआई-
बुआई से गाजर के बीजों को 12-24 घंटे पानी में भिगो देना चाहिए. इससे बीजों के अंकुरित होने में कम समय लगता है. एक हेक्टेयर खेत में 4 से 6 किलो गाजर के बीज की जरूरत होती है. बुआई के 12 से 15 दिन बाद बीज अंकुरित होते हैं. बीजों की बुआई के लिए एक लाइन से दूसरे लाइन की दूरी 45 सेमी होनी चाहिए. जबकि पौधों के बीच की दूरी 7.5 सेमी होनी चाहिए. फसल के अच्छे विकास के लिए बीज की गहराई 1.5 सेमी होनी चाहिए. बीजों की बुआई के बाद फौरन सिंचाई करनी चाहिए.

कितनी बार करनी चाहिए सिंचाई-
बुआई के बाद समय-समय पर खाद-पानी देते रहना चाहिए. प्रति हेक्टेयर 20 से 25 टन गोबर की सड़ी खाद डालनी चाहिए. गाजर की खेती के लिए खरपतवारों से बचने के लिए रासायनिक दवा का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके बाद भी अगर खेत में खरपतवार बच गए है तो उनको हाथों से उखाड़कर बाहर निकालें. फसल और मिट्टी को हवादार बनाएं. गर्मी के मौसम में गाजर के खेतों में 6-7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. जबकि सर्दी के मौसम में 10-12 दिन के अंतराल पर खेतों में पानी देना चाहिए. फसल की कटाई से 2 या 3 हफ्ते पहले सिंचाई रोक देनी चाहिए.

कितनी होती है उपज-
गाजर की फसल 70 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है. एक हेक्टेयर में 8 से 10 टन गाजर निकलता है. मार्केट में गाजर की अच्छी-खासी डिमांड रहती है. इसकी अच्छी खासी कीमत भी मिलती है. एक हेक्टेयर खेती से लाखों की कमाई हो सकती है. गाजर खाने में फायदेमंद होता है. इससे बॉडी की इम्यूनिटी मजबूत होती है. 

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