चेन्नई में 39 साल के एम जगदीश ने साल 2018 में अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर एक ऐसा अनोखा काम शुरू किया कि सिर्फ एक-दो नहीं बल्कि 600 घरों की जिंदगी बदली दी. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सड़क पर जगह-जगह घरों के गीले कचरे के ढेर, इससे आने वाली बदबू और इस कारण लगे कीड़ों को देखकर जगदीश ने इस स्थिति को बदलने की ठानी.
हालांकि, उस समय उन्हें नहीं पता था कि उनका बाकी जीवन शायद बायोगैस प्लांट्स के माध्यम से सस्टेनेबल लिंविंग को प्रमोट करने में बीतेगा. लेकिन आज उनकी मुहिम रंग ला रही है.
घर से निकले गीले कचरे से बनाई बायोगैस
जगदीश ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बायोगैस प्लांट लगाने से उनके घर में सिलेंडर की खपत आधे से कम हो गई है. उन्हें बस इतना करना होता है कि कचरे को अलग करके, गीले कचरे को ऐसे उपयोग करना था कि वह खाना पकाने की प्रक्रिया में मदद करे.
उनका कहना है कि एक घर में बायोगैस प्लांट लगाने में 15,000 रुपये से अधिक खर्च नहीं आएगा. और जिस तरह बायोगैस से आपके घर में सिलिंडर की बचत होती है, उससे आप दो साल में लगभग पूरी लागत वसूल कर लेंगे.
600 घरों में लगाया प्लांट
जगदीश जब चेन्नई में घरों में बायोगैस प्लांट लगाने के लिए निकले तो लोगों के सवालों की झड़ी लग गई थी। हालांकि, लोगों के संदेह को दरकिनार करने और चेन्नई भर में लगभग 600 आवासीय घरों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने में उन्हें पांच साल से ज्यादा समय नहीं लगा.
एक घर में बायोगैस प्लांट मॉडल को लगाने के लिए सिर्फ एक प्लास्टिक टैंक की जरूरत होती है. वे ऐसे संयंत्र स्थापित करने के इच्छुक निवासियों को एक किट प्रदेते हैं जिसमें एक बायोगैस स्टोव और एक गैस स्टोरेज बैग शामिल है. इसकी कीमत 10,000 रुपये है. यह 500 लीटर क्षमता वाला टैंक वाशिंग मशीन की तुलना में थोड़ी अधिक जगह ले सकता है.
बेटा आगे बढ़ा रहा है सोच
जगदीश की पत्नी सोफिया ने बताया कि उनका बेटा ईशान उनकी सोच को आगे बढ़ा रहा है. उनके बेटे इस बायोगैस मॉडल को एक साइंस प्रोजेक्ट में रेप्लिकेट किया और शहर के मेयर से पहला पुरस्कार जीता. उन्हें अपने बच्चों के पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने पर गर्व है.