यूपी में अब पर्यटन को लेकर एक बड़ी पहल होने वाली है. इसके लिए धार्मिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की पहल की गयी है. इसके लिए ‘ईको टूरिज्म’ को लेकर कई बड़े फैसले लिए जाएंगे. यूपी सरकार ने Eco Tourism Board के गठन का फैसला किया है. यूपी में ऐतिहासिक महत्व के स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं. धार्मिक -आध्यात्मिक दृष्टि से यहाँ राम की अयोध्या, श्रीकृष्ण की मथुरा और महादेव की काशी होने से इसका सर्वाधिक महत्व माना गया है. यहाँ अगर कोई धार्मिक पर्यटन के लिए आए तो तीनों स्थलों का भ्रमण कर सकता है.
नेचर, कल्चर और एडवेंचर का होगा संगम
अब ‘नेचर, कल्चर और एडवेंचर के संगम’ करके ये स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगे. इसके लिए यूपी सरकार ईको टूरिज्म प्रोत्साहन नीति बनाने में जुट गई है. साथ ही ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन भी किया जाएगा. इस तैयारी में पर्यटन विभाग के साथ सिंचाई, वन, आयुष, ग्राम्य विकास और अन्य संबंधित विभागों की भी अहम भागीदारी होगी.
स्थानीय स्तर पर मिलेगा रोजगार
ईको पर्यटन में स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए विशेष योजना तैयार की जाएगी. इसके लिए युवाओं को ‘नेचर गाइड’ के रूप में प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. हर क्षेत्र में अलग से यात्रा का प्लान और पूरी योजना तैयार की जाएगी. ये योजना भी बनाई गई है कि वन्य जीवों की रिहाइश वाले जंगलों के बीच स्थित गांवों को उनकी सहमति से समुचित व्यवस्थापन भी कराया जाएगा. 2018 में टूरिज्म पॉलिसी की घोषणा हुई थी. उसमें जिन 12 परिपथों के विकास की बात थी उसमें वाइल्ड लाइफ और ईको टूरिज्म परिपथ भी एक है.
यूपी में यहां ईको टूरिज्म की संभावनाएं
दुधवा में प्राकृतिक सम्पदा, जंगल और वन्य जीव हैं. हर वर्ष बड़ी संख्या में देश-विदेश के पर्यटक यहां आते हैं. वहीं सोनभद्र का फॉसिल पार्क(Fossil park) भी 150 करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म के लिए आकर्षण का केंद्र है. लगभग 25 हेक्टेयर में फैला फासिल्स पार्क अमेरिका के यलो स्टोन पार्क से भी बड़ा है. इसके अलावा बखिरा सैंक्चुरी, चंद्रप्रभा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, हस्तिनापुर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, कैमूर सैंक्चुरी, किशनपुर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी, महावीर स्वामी सैंक्चुरी, नेशनल चंबल वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी, पार्वती आगरा बर्ड सैंक्चुरी, रानीपुर सैंक्चुरी, सोहगीबरवा सेंक्चुरी, विजय सागर सैंक्चुरी, सुरहा ताल सैंक्चुरी, सुहेलदेव सैंक्चुरी आदि जगहों पर भी ईको टूरिज्म की भरपूर संभावनाएं हैं. शीघ्र ही ब्रज क्षेत्र के राधा-कृष्ण, कृष्ण और ग्वाल-बालों की याद दिलाने वाले सौभरि वन का भी लोकार्पण होगा.