इन दस राज्यों में कोयले की हुई भारी कमी, गहरा सकता है बिजली संकट

देश में पिछले साल अक्टूबर में भी कोयले की कमी चिंता का विषय बन गई थी. कई प्लांटों के पास सिर्फ चार दिनों का ही कोयला बचा था. कुछ ऐसा ही हाल इस बार गर्मी की शुरुआत में ही देखने को मिल रहा है.

सांकेतिक तस्वीर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 5:42 PM IST
  • ओबरा परियोजना में बचा है सिर्फ 4-5 दिनों का ही कोयला
  • गर्मी ज्यादा बढ़ने से बिजली की मांग भी बढ़ेगी

देश में गर्मी का मौसम है. तापमान 40 डिग्री को छू रहा है. ऐसे में बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ रही है. लेकिन सोचिए कि इस भीषण गर्मी में बिजली की कटौती होने लगे तो क्या होगा. देश के कई हिस्सों में ऐसा होने भी लगा है. एक रिपोर्ट के अनुसार देश में गर्मी की शुरुआत में ही बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार नौ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. ऐसा बिजली की तेजी से हो रही खपत की वजह से हुआ है. 


देश के 10 राज्यों में कोयले की हुई कमी

उत्तरप्रदेश, पंजाब, बिहार, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और मध्यप्रदेश में कोयले कि अभी से कमी हो गई है. लेकिन जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा बिजली की खपत ज्यादा होगी. ऐसे में बिजली संकट का हल निकालना जरूरी हो जाएगा. वहीं आयतित कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की समीक्षा बैठक के बाद केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि कोयला संकट से निपटने और बिजली उत्पादन जारी रखने के लिए केंद्र राज्यों को खदानों के पास वाले संयंत्रों के लिए लिंकेज कोल पर 25 फीसदी टोलिंग सुविधा देगी.


बिजली कम है लेकिन मांग ज्यादा 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार हरियाणा उत्तराखंड बिहार और झारखंड में बिजली की मांग ज्यादा है लेकिन संयंत्रों के पास तीन फीसदी बिजली कम है. वहीं अगर बात महाराष्ट्र की करें तो राज्य में कई वर्षों बाद बड़े स्तर पर बिजली संकट खड़ा हुआ है. यहां 28000 मेगावाट बिजली की मांग है लेकिन मांग के मुकबले 2500 मेगावाट बिजली कम है. आपको बता दें कि उत्तरप्रदेश में भी बिजली की किल्लत देखने को मिल रही है. यहां 21 से 22 हजार मेगावाट बिजली की मांग है लेकिन आपूर्ति सिर्फ 19 से 20 हजार मेगावाट हो रही है. 


अनपरा, ओबरा परियोजनाओं में है कोयले की सबसे ज्यादा कमी

उत्तरप्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की अनपरा परियोजना को रेल रैक से कोयले की आपूर्ति बुधवार को भी शुरू नहीं हो सकी. सीजीएम इ आरसी श्रीवास्तव के अनुसार एमजीआर से प्रतिदिन तीस हजार मीट्रिक टन कोयला मिल रहा है और रेल रैक से आपूर्ति शुरू कराने का हम प्रयास कर रहे हैं. बता दें कि यहां रोजाना चालीस हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है. बात अगर ओबरा परियोजना की करें तो परियोजना के पास 15 दिन का स्टॉक होना चाहिए लेकिन यहां सिर्फ 4 से 5 दिनों का ही कोयला बचा है. सीजीएम दीपक कुमार ने कहा कि अभी एक रैक कोयले की ही आपूर्ति हो रही है लेकिन रोजाना कोयले की चार रैक की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आगे इससे दिक्कत होने की संभावना है.

 

Read more!

RECOMMENDED