रिटायरमेंट के बाद देश घूमने निकला कपल! गाड़ी में ही बनाया बेड रूम और किचन, सोशल मीडिया से निकलता है ट्रिप का खर्च

अजय और सुनीता बताते हैं कि फरवरी 2023 से उन्होंने घूमना शुरू किया. हालांकि इससे पहले पिछले काफी दिनों से सुनीता की तबीयत बेहद ख़राब थी. उन्हें स्पाइनल में प्रॉब्लम थी. लगभग दो महीने तो वो पूरी तरह से बेड पर थीं.

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मनीष चौरसिया
  • नोएडा,
  • 16 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 5:54 PM IST

अगर आप कहीं घूमने जाने का प्लान करते हैं तो आपको कितनी तैयार करनी पड़ती है. पहले ट्रेन या फ़्लाइट का टिकट बुक करवाना पड़ता है फिर होटल्स देखने पड़ते हैं. खाने पीने का खर्चा अलग करना पड़ता है. इसके बाद भी आप ज्यादातर जगहों पर घूम नहीं पाते.

लेकिन हम आपको दो ऐसे बुज़ुर्गों से मिलवाएंगे, जिनकी कहानी सुनकर आप उनसे जलन महसूस करने लगेंगे. 63 साल के अजय तोमर और 58 साल की उनकी पत्नी सुनीता तोमर, दोनों बिंदास अपनी गाड़ी से पूरा देश घूम रहे हैं और मजे की बात ये है कि वो ना कहीं कोई होटल बुक करते हैं और न ही होटल या ढाबे पर खाना नाश्ता खाते हैं.

अपनी गाड़ी में ही उन्होंने एक बढ़िया सा बेडरूम बना लिया है और इसी गाड़ी में वो अपना चलता फिरता किचन साथ लेकर चलते हैं. जब जहां मन किया रुक गए बेड लगाया सो गए जब मन किया गाड़ी से चूल्हा निकाला खाना बनाया खाया और मस्त खाया पिया.

फरवरी 2023 से शुरू की यात्रा, पत्नी को डॉक्टर ने बेड रेस्ट की सलाह दी थी
अजय और सुनीता बताते हैं कि फरवरी 2023 से उन्होंने घूमना शुरू किया. हालांकि इससे पहले पिछले काफी दिनों से सुनीता की तबीयत बेहद ख़राब थी. उन्हें स्पाइनल में प्रॉब्लम थी. लगभग दो महीने तो वो पूरी तरह से बेड पर थीं. बेड पर लेटे-लेटे भी वो घूमने फिरने की वीडियोज और रील देखती रहती थीं. हालात ये थे कि डॉक्टर ने सुनीता को ऑपरेशन की सलाह दी थी और ऑपरेशन से पहले पूरी तरह बेड रेस्ट बताया था लेकिन सुनीता बताती हैं कि हमने घूमने के लिए डॉक्टर से झूठ बोला और कहा कि घर में एक शादी है. एक महीने बाद ऑपरेशन करा लेंगे है और फिर वो दोनों घूमने निकल गए. एक बार जब हमने निकले सेहत भी साथ देने लगी.

कश्मीर, गोवा, लेह लद्दाख तक की यात्रा.. 5 ज्योतिर्लिंग के भी किए दर्शन
अब तक ये दोनों लगभग 25 हज़ार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं. कश्मीर, लेह-लद्दाख और गोवा की यात्रा तो इन्होंने 24-24 दिन तक की. अपनी यात्रा में अब तक ये लोग पांच ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर चुके हैं. अजय और सुनीता बताते हैं कि उत्तराखंड तो हम लगभग पूरा दो-तीन बार घूम चुके हैं. शुरुआत हमारी राजस्थान के जैसलमेर से हुई थी. वो बताते हैं कि जब हम गोवा की 25 दिन की यात्रा पर गए थे तो उसी यात्रा के रास्ते में हमने पांच ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए. इतना ही नहीं अब हम किसी डेस्टिनेशन पर उन जगहों पर जाकर रुकते हैं लोगों से मिलते हैं जहां रूटीन ट्रैवलिंग में हम कभी नहीं पहुंच सकते थे. ये दोनों बताते हैं कि वैसे तो रिटायरमेंट के पहले भी हम खूब घूमते थे लेकिन तब 4 दिन 5 दिन की छुट्टियां लेकर जाना पड़ता था जिसमें एक्सप्लोर करने का इतना मौका कभी नहीं मिलता था.

20 दिन की यात्रा खर्चा सिर्फ 20 हजार
अजय और सुनीता बताते हैं कि क्योंकि हम सब कुछ अपनी गाड़ी में ही लेकर चलते हैं. बिस्तर से लेकर किचन तक इसलिए हमारी जर्नी भी बहुत बजट के अंदर निपट जाती है. वो बताते हैं कि 20 दिन की उत्तराखंड यात्रा का खर्च सिर्फ 20 हजार रुपया था वो भी डीजल और टोल खर्च मिलाकर. चौबीस दिन की लेह-लद्दाख की यात्रा का खर्च सिर्फ 40-50 हजार रुपया था. इसी तरह कश्मीर की 24 दिन की यात्रा का खर्च भी 40000 रुपया था. वो भी तब जब लेह लद्दाख और कश्मीर में ज़्यादा ठंड के चलते उन्हें कई बार होटल में रुकना पड़ा था.

सुरक्षा का रखते हैं पूरा ख्याल कभी मुसीबत में फंसे तो जाना कि लोग कितने अच्छे हैं
अजय और सुनीता बताते हैं कि वैसे तो वो अपनी यात्रा में सुरक्षा का पूरा ख्याल रखते हैं, जहां कहीं भी वो रात में गाड़ी खड़ी करते हैं उसके पहले उस जगह के बारे में अच्छे से जानकारी लोकल लोगों से लेते हैं. कहीं किसी जगह अगर जानवर का खतरा होता है तो वो दूसरी जगह ढूंढना शुरू कर देते हैं, उसी जगह रुकते हैं जहां पानी, टॉयलेट की व्यवस्था ठीक हो लेकिन फिर भी कभी-कभी जब वो मुसीबत में फंसे तो उन्हें लोगों का जबरदस्त साथ मिला, जिसने उन्हें बताया कि भारत के लोग वाकई बहुत अच्छे हैं. वो बताते हैं कि कश्मीर में एक बार रात के वक़्त उनकी गाड़ी पंचर हो गई तो कैसे कश्मीरी लोगों ने उनकी गाड़ी ठीक करवाने में जी जान लगा दी और जब तक गाड़ी ठीक नहीं हुई, उन्हें आराम से अपने घर में बैठाया नास्ता खाना खिलाया. इसी तरह महाराष्ट्र में एक ट्राइबल इलाके में वो रात के वक्त फंस गए तब भी एक आदिवासी परिवार ने उनकी मदद की.

वीडियो बनाना भी नहीं आता था लेकिन फिर 6 महीने में चैनल मोनोटाइज हो गया
दोनों बताते हैं कि हम बस घूमने में मस्त थे, तभी किसी ने हमारी गाड़ी को देखा और बोला कि आप लोग वीडियो नहीं बनाते. मैंने कहा नहीं उसने हमें वीडियो बनाने की सलाह दी, तब हमने पहली बार अपनी यात्रा का 1 वीडियो बनाया. घर आकर बेटे से कहा कि हमारा सोशल मीडिया अकाउंट बना दो और इससे पोस्ट कर दो. बेटे ने वीडियो देखा कहा कि ये किसी काम का नहीं है, उसके बाद से हमने वीडियो बनाना सीखा. एडिटिंग करनी सीखी, वॉयस ओवर करना सीखा और ‘घूमना फिरना’ नाम से अकाउंट बनाया. जब हमने काम करना शुरू किया तो 6 महीने में ही हमें लोगों का भरपूर प्यार मिला और हमारा चैनल मोनोटाइज हो गया. इतना ही नहीं कुछ कुछ रील पर तो 20 मिलियन से ज़्यादा व्यूज हैं. हमारी यात्रा पहले भी बजट वाली होती थी लेकिन अब उस बजट का ख़र्चा भी सोशल मीडिया अकाउंट्स से निकल जाता है.

अजय और सुनीता अब इसी गाड़ी से दुनिया घूमने का प्लान बना रहे हैं. जल्द ही नेपाल भूटान के रास्ते वियतनाम और थाइलैंड जाने का प्लान बना रहे हैं.

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