आमतौर पर जब भी आपने किसी नये रेस्तरां, दुकान या किसी भी चीज का उद्घाटन होते देखा होगा तो वहां आपको गेस्ट के तौर पर राजनेताओं, मशहूर हस्तियों और अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों की तस्वीरें देखते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के लखनऊ में इस खास मौके पर एक अनोखी घटना देखने को मिली. यहां एक रेस्तरां के उद्घाटन में 'देसी नस्ल' की गाय को वीआईपी गेस्ट बनाया गया. यह शहर का पहला ऑर्गेनिक रेस्तरां है और गाय को VIP गेस्ट के तौर पर देखकर कई लोग चौंक गए.
हेल्दी होते हैं ऑर्गेनिक फूड
जैविक भोजन में कीटनाशकों और अन्य हानिकारक रसायनों की कमी होती है, इसलिए यह उन सभी के लिए सबसे अच्छा विकल्प है जो स्वच्छ और ठोस पौधों पर आधारित आहार खाना चाहते हैं. ऑर्गेनिक फूड हमेशा शरीर के लिए एक स्वस्थ विकल्प रहा है.पूर्व डिप्टी एसपी और रेस्टोरेंट संचालक शैलेंद्र सिंह ने इंडिया टुडे को बताया, "लुलु मॉल के बगल में सुशांत गोल्फ सिटी में रेस्टोरेंट खोला गया है. यह लखनऊ का पहला ऑर्गेनिक रेस्टोरेंट है जो जनता को स्वस्थ व्यंजनों की एक विस्तृत सीरीज प्रदान करता है. यहां पर फूड आइटम्स सस्ते और वाजिब दामों पर उपलब्ध हैं."
शैलेंद्र सिंह ने आगे कहा, "मेरे पास एक गाय का शेड है और इससे एकत्रित गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग कीटनाशकों और उर्वरकों के स्थान पर खेतों में जैविक खाद के रूप में किया जाता है. इसके साथ, हम ऐसी सब्जियां पैदा करने की कोशिश करते हैं जिनमें कोई रसायन न हो जो स्वस्थ जीवन में योगदान दे सके.आजकल बाजारों में मिलावटी तेल मिल रहा है और रेस्टोरेंट में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है जिससे लोग बीमार पड़ रहे हैं."
केरल से मंगाते हैं मसाले
लखनऊ के पहले जैविक रेस्तरां पर प्रकाश डालते हुए, शैलेंद्र सिंह ने कहा, "रेस्तरां में विभिन्न व्यंजन मिलते हैं. स्टार्टर से लेकर मेन कोर्स तक यहां पर सबकुछ उपलब्ध है.हमने मसालों की जैविक खेती में लगे केरल में एक जैविक कृषि संगठन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. हम वहां से मसाले लेकर अपने अलग-अलग व्यंजनों में इस्तेमाल करते हैं. लखनऊ में पीजीआई अस्पताल के सामने हमने केरल से आने वाले मसालों के भंडारण के लिए एक आयुर्वेदिक केंद्र बनाया है."
शैलेंद्र सिंह कौन हैं?
गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को पोटा के तहत गिरफ्तार करने की सिफारिश करने पर तत्कालीन सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी सरकार से अलग होने पर पूर्व पुलिस उपाधीक्षक (डीवाईएसपी) शैलेंद्र सिंह ने 2004 में पुलिस सेवाओं से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, उन्हें बड़ी राहत तब मिली जब वाराणसी की एक अदालत ने माफिया डॉन की ताकत को चुनौती देने के लिए कथित रूप से थप्पड़ मारने वाले पूर्व पुलिस वाले के खिलाफ आरोपों को छोड़ने के योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले को स्वीकार कर लिया.
व्यापक रूप से एक ईमानदार अधिकारी के रूप में जाने जाने वाले, डीवाईएसपी शैलेंद्र के इस्तीफे ने फरवरी 2004 में उस समय राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री को अपना इस्तीफा फैक्स कर दिया था. बंदूक चलाने के मामले में मुख्तार अंसारी के खिलाफ पोटा कार्यवाही शुरू नहीं करने के लिए कथित तौर पर उन्हें 'उनके उच्च अधिकारियों द्वारा' कहा गया था.