Dangal inspires this father: फिल्म दंगल से मिली प्रेरणा! घर गिरवी रखा, लोन लिया... अब दर्जी पिता 4 बेटियों को डॉक्टर बनाने की राह पर

तेलंगाना में एक पिता 'दंगल' फिल्म को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने आर्थिक तंगियों के बावजूद अपनी बेटियों का भविष्य संवारने का फैसला किया. आज उनकी चारों बेटियां मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं और वह कपड़े सिलकर जैसे-तैसे उनकी फीस भर रहे हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST

कहते हैं कि फिल्में समाज का आईना होती हैं और बहुत बार कई फिल्में प्रेरणा का काम करती हैं. सिद्दीपेट शहर में भी एक पिता के लिए आमिर खान की फिल्म दंगल उनकी प्रेरणा बन गई. इस फिल्म ने उनकी बेटियों के मेडिकल की पढ़ाई के सफर में बहुत योगदान दिया है. तेलंगाना में सिद्दिपेट के रहने वाले रामचंद्रन एक दर्जी हैं और उनका सपना अपनी चारों बेटियों को मेडिकल की पढ़ाई करवाना है. 

रामचंद्रन के परिवार के लिए दंगल फिल्म बड़ा बदलाव लेकर आई. दंगल फिल्म हरियाणा के महावीर फोगाट और उनकी बेटियों की जिंदगी से प्रेरित है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक पिता अपनी बेटियों को कुश्ती सिखाकर देश का नाम रोशन कराता है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रामचंद्रम ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों के साथ अनगिनत बार फिल्म देखी है. और उन्हें भी ऐसा ही महसूस हुआ कि उन्हें भी अपने बच्चों के लिए कुछ करना चाहिए. उन्होंने खुद ज़्यादा पढ़ाई नहीं की, लेकिन वह चाहते थे कि उनके बच्चे कुछ बड़ा हासिल करें. 

बेटियों को बनाना है डॉक्टर 
रामचंद्रन का लक्ष्य है कि उनकी बेटियां डॉक्टर बनें. सिलाई से 20,000 रुपये से 25,000 रुपये प्रति माह की मामूली आय कमाने के बावजूद, रामचंद्रम और उनकी पत्नी, शारदा अपनी बेटियों की शिक्षा के लिए तत्पर हैं. यहां तक ​​कि उन्होंने अपना घर भी गिरवी रख दिया और ट्यूशन फीस को कवर करने के लिए लोन भी लिया है. 

पूर्व मंत्री टी हरीश राव से कुछ मदद मिली है. आज उनका समर्पण रंग ला रहा है: उनकी सबसे बड़ी बेटी, ममता ने एमबीबीएस पूरी कर ली है और अब अपनी पोस्ट-ग्रेजुएशन पढ़ाई की तैयारी कर रही है, जबकि उनकी दूसरी बेटी, माधुरी, मेडिकल कॉलेज के तीसरे साल में है. दंपति की जुड़वां बेटियां, रोहिणी और रोशिनी, शुरू में परिवार पर आर्थिक बोझ को कम करने के लिए इंजीनियरिंग करना चाहती थीं. लेकिन रामचन्द्रम ने उन्हें अपनी बड़ी बहनों के नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया. 

समाज की सेवा करें बेटियां 
इस साल, रोहिणी और रोशिनी दोनों ने जगतियाल के सरकारी मेडिकल कॉलेज में सरकारी सीटें हासिल कीं. रामचंद्रम कहते हैं कि हालांकि सिविल सेवाओं में करियर प्रतिष्ठा रखता है, लेकिन डॉक्टरों को एक अलग तरह की आजादी है. डॉक्टर बनकर उनकी बेटियां गौरव और आत्मनिर्भरता के साथ समाज की सेवा करें, वह इतना ही चाहते हैं. उनकी बेटियों का कहना है कि उन्हें गर्व है कि वे चारों मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं. वे ताउम्र अपने माता-पिता की आभारी रहेंगी कि उन्होंने उनकी जिंदगी संवारी. 

 

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