लॉकडाउन में छूटी नौकरी लेकिन मोती से चमकी किस्मत...आज दूसरों रोजगार दे रहा दरभंगा का यह लड़का

कोरोना जैसी महामारी में न जाने कितने लोगों को बेरोजगार किया. इस दौरान कितने लोगों की नौकरियां छूट गईं और लोगों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई. ऐसा ही कुछ हुआ दरभंगा के रहने वाले चंदन कुमार के साथ. चंदन एक बड़ी निजी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम करते थे लेकिन कोरोना काल में पहले तो उनके वेतन में कटौती की गई और बाद में हाथ से नौकरी भी चली गई.

Chandan Kumar, Darbhanga
gnttv.com
  • दरभंगा,
  • 09 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 8:09 PM IST
  • काफी कम समय में बढ़ गया रोजगार
  • एग्रीकल्चर में थी रुचि

कोरोना जैसी महामारी में न जाने कितने लोगों को बेरोजगार किया. इस दौरान कितने लोगों की नौकरियां छूट गईं और लोगों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई. ऐसा ही कुछ हुआ दरभंगा के रहने वाले चंदन कुमार के साथ. चंदन एक बड़ी निजी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम करते थे लेकिन कोरोना काल में पहले तो  उनके वेतन में कटौती की गई और बाद में हाथ से नौकरी भी चली गई, लेकिन चंदन कोरोना काल की इस आपदा से बिल्कुल नहीं घबराए बल्कि इसे अवसर में बदलते हुए अपना खुद का रोजगार शुरू किया. थोड़े ही समय बाद चंदन का रोजगार चल पड़ा कभी खुद दूसरो के यहां नौकरी करने वाला चंदन आज न सिर्फ कई लोगों को अपने यहां रोजगार दिया बल्क अब उन्हें अपने हाथों से सेलरी देता है. चंदन को आज अपने काम पर फक्र है. साथ ही अपने काम को और ऊंचाई पर ले जाने के प्रयास में वो निरंतर काम भी कर रहा है.

काफी कम समय में बढ़ गया रोजगार
दरअसल नौकरी छूटने के बाद चंदन ने करीब दो वर्ष पहले दरभंगा के एकबिन्दा गांव के पास मत्स्य पालन के साथ-साथ सीप फार्मिंग का अपना रोजगार शुरू किया. चंदन का रोजगार अब काफी बढ़ गया है और अब वह नए सिरे से सीप की फार्मिंग कर सीप से मोती निकाल अपनी किस्मत भी इन्हीं मोतियों जैसे चमकाने में लगे हैं.

एग्रीकल्चर में थी रुचि
चंदन बताते है कि किरोना काल के पहले चरण में ही उन्हें अहसास हो गया कि उनकी नौकरी अब जाने वाली है. कम्पनी के पास काम नहीं के बराबर था. उन्होंने समय रहते ही अपना खुद का कुछ रोजगार करने का प्लान किया और एग्रीकल्चर में रुचि होने के कारण फिसिंग फार्मिंग के साथ-साथ सीप फार्मिंग का काम शुरू किया. चंदन ने बताया कि उन्होंने करीब बीस लाख रुपये की लागत लगाकर अपना खुद का रोजगार किया और अब वे न सिर्फ अपने रोजगार से संतुष्ट हैं बल्कि अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पहले हम नौकरी करते थे और पगार पाते थे आज हम दूसरे लोगों को नौकरी के साथ-साथ पगार दे रहे हैं. फिलहाल पंद्रह कठ्ठे जमीन पर 35 प्लास्टिक के टैंक बना कर यहां मछली और सीप की फार्मिंग का काम किया जा रहा है. सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही इसे और बड़े पैमाने पर चलाने के प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है जिसमें सरकार का योगदान महत्वपूर्ण है. 

दरभंगा में हैं काफी तलाब
उन्होंने बताया कि सीप की फार्मिंग लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है. इसमें ज्यादा परेशानी भी नही एक सीप से मोती निकलने तक का समय लगभग एक साल होता है. सीप से निकले मोती की कीमत करीब दो सौ रुपये होती है. अभी दरभंगा में इसकी फार्मिंग कोई नहीं कर रहा है जबकि इस इलाके में सीप भारी मात्रा में तालाबों में पाए जाते हैं जिसका सही इस्तेमाल कोई नहीं कर रहा है.

(दरभंगा से प्रहलाद कुमार की रिपोर्ट)

 

Read more!

RECOMMENDED