महाराष्ट्र के बीड में एक 18 महीने के बच्चे दत्ता विष्णु पुरी को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) नामक एक दुर्लभ बीमारी हो गई है. 16 करोड़ रुपये का जीन थेरेपी इंजेक्शन ज़ोलगेन्स्मा उसकी जान बचा सकता है. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) एक दुर्लभ बीमारी है. इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है. विदेश से 'ज़ोलगेनएसएमए' नाम का इंजेक्शन खरीदने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. एक वैश्विक संगठन द्वारा हर महीने विश्व स्तर पर एक लकी ड्रा आयोजित किया जाता है. इस लकी ड्रा के माध्यम से हर महीने दुनिया भर से एक मरीज का चयन किया जाता है और उसे 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन मुफ्त दिया जाता है.
अबकी बार इस लकी ड्रा के जरिए अंबाजोगाई तालुका के घाटनदूर के दत्ता पुरी का चयन किया गया है. उसका इलाज मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में किया जाएगा. विष्णु पुरी के दोनों बच्चों को एसएमए है. हालांकि, पुरी की छह साल की बेटी सीमा को जीन थेरेपी का इंजेक्शन नहीं लग पाया क्योंकि यह केवल दो साल से कम उम्र के बच्चों को दिया गया था.
आखिर क्या है यह बीमारी?
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) एक दुर्लभ बीमारी है. यह आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होने वाली बीमारी है. इस रोग में शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. पहले हाथ, पैर और फिर फेफड़े की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. जैसे-जैसे रोग दिन-ब-दिन बढ़ता है, चेहरे और गर्दन की मांसपेशियां कम सक्रिय हो जाती हैं. भोजन और पानी को निगलना भी मुश्किल होता है. धीरे-धीरे मांसपेशियां कमजोर होने के साथ फेल हो जाती हैं.
इस रोग का कारण क्या है?
सर्वाइवल मोटर न्यूरॉन (SMN) प्रोटीन शरीर में मांसपेशियों और तंत्रिका तंतुओं के अस्तित्व के लिए आवश्यक है. यह मस्तिष्क से शरीर में विद्युत संकेतों के संचरण के लिए भी आवश्यक है. यदि शरीर में एसएमएन प्रोटीन की कमी है तो यह रोग स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एसएमए से जुड़ा है. दत्ता पुरी के पिता विष्णु पुरी मजदूरी का काम करते हैं. इस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती होने का खर्च दत्ता के पिता वहन नहीं कर सकते इसलिए ग्रामीणों ने दत्ता की जान बचाने के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है.
(महाराष्ट्र से रोहिदास हातागले की रिपोर्ट)