रात में और भी खूबसूरत लगेगा सफदरजंग का मकबरा, G20 से पहले ऐतिहासिक इमारतों को दिया जा रहा नया लुक

200 साल पुराना सफदरजंग का मकबरा दिल्ली की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों में से एक है. यह मकबरा इतना पुराना है कि यह धीरे-धीरे टूटने लगा था लेकिन अब आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसे जी-20 के चलते हैं पुनर्जीवित करने का काम शुरू कर दिया है.

सफदरजंग का मकबरा
अनामिका गौड़
  • नई दिल्ली,
  • 18 मई 2023,
  • अपडेटेड 8:03 PM IST

G20 की तैयारी भारत में जोरों शोरों से हो रही है. भारत के शहरों को एक नया रूप दे दिया गया है. सभी सड़कों को साफ किया गया है. दीवारों में सुंदर कलाकृतियां बनाई गई हैं. दिल्ली में जितनी भी पुरानी इमारते हैं उन्हें भी सजाने का काम किया जा रहा है. 200 साल पुराना सफदरजंग का मकबरा दिल्ली की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों में से एक है. यह मकबरा इतना पुराना है कि यह धीरे-धीरे टूटने लगा था लेकिन अब आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसे जी-20 के चलते हैं पुनर्जीवित करने का काम शुरू कर दिया है.

इस मकबरे के सामने का फर्श पूरी तरह से टूट चुका था अब  मकबरे से मिलते-जुलते लाल बालू के पत्थरों से फर्श को दोबारा बनाया गया है. मकबरे में जितने फाउंटेंस मौजूद है वह चलने बंद हो गए थे. उन्हें साफ करके दोबारा उनमें पानी भरा गया है और फाउंटेंस को भी चालू किया गया है. मकबरे के ऊपर का गुंबद पूरी तरह से टूटने लगा था. पत्थर पीले पड़ने लगे थे. अभी भी गुंबद में काम चल रहा है. सफदरजंग के मकबरे को उसका पुराना स्वरूप वापस देने की कोशिश की जा रही है. मकबरे के चारों तरफ रंग बिरंगी लाइटें भी लगाई गई हैं ताकि जब रात को इस मकबरे को देखें तो यह मकबरा और भी खूबसूरत और जगमगाता दिखे.

सफदरजंग का मकबरा ऐतिहासिक इमारत है. हजारों लोग इस मकबरे को देखने दिल्ली में रोज आते हैं लेकिन पिछले कुछ सालों में मकबरे की हालत बेहद खराब हो चुकी थी. मकबरे से जुड़े लकड़ी की सीढ़ियां टूट गई थी. फर्श पूरी तरह से बर्बाद हो चुका था. फाउंटेन चलने बंद हो गए थे. मकबरे के ऊपर घास उगने लगी थी लेकिन अब ASI ने कम से कम 30 साल बाद दोबारा इस मकबरे की मरम्मत का काम शुरू किया धीरे-धीरे मकबरा अपने पुराने स्वरूप में वापस लौटने लगा है पर्यटक भी अब यहां ज्यादा आने लगे हैं.
 

 

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