धनबाद के सिंफर को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान, टर्की में आयोजित फ्लैगब्लास्ट कॉन्फ्रेंस में कंट्रोल ब्लास्टिंग तकनीक के लिए पहला स्थान

इस पूरे आयोजन को लेकर शैल उत्खनन विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रंजीत कुमार पासवान ने कहा, “यह सम्मेलन हर तीन साल में अलग-अलग देशों में होता है और इसे आप ब्लास्टिंग टेक्नोलॉजी का वर्ल्ड कप कह सकते हैं. इस बार टर्की में 26 देशों के 500 से ज्यादा वैज्ञानिक शामिल हुए.

धनबाद सिंफर अंतरराष्ट्रीय सम्मान
gnttv.com
  • धनबाद,
  • 18 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST

धनबाद से एक बार फिर भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा ने वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ी है. CSIR-CIMFR (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च), धनबाद को टर्की में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फ्लैगब्लास्ट कॉन्फ्रेंस में कंट्रोल ब्लास्टिंग तकनीक के लिए पहला स्थान प्राप्त हुआ है. खास बात यह रही कि नवीं मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट निर्माण की तकनीक को इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर सराहा गया.

धनबाद स्थित सिंफर की इस उपलब्धि में शैल उत्खनन अभियांत्रिकी विभाग के चार वैज्ञानिकों - सूरज कुमार, अरविंद कुमार, डॉ. फिरोज अली और डॉ. रंजीत कुमार पासवान की अहम भूमिका रही. इन वैज्ञानिकों ने इस प्रतिष्ठित कॉन्फ्रेंस में भाग लेकर भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रस्तुत किया.

नवीं मुंबई एयरपोर्ट निर्माण में सिंफर की बड़ी भूमिका
साल 2017 में सिंफर और महाराष्ट्र की सरकारी एजेंसी सिडको लिमिटेड के बीच नवीं मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए एमओयू साइन हुआ था. इस परियोजना के अंतर्गत उलवे की 92 मीटर ऊंची पहाड़ी को सुरक्षित तरीके से नियंत्रित ब्लास्टिंग के माध्यम से समतल किया गया. यही तकनीक टर्की में हुए वीडियो प्रतियोगिता में प्रदर्शित की गई, जिसे प्रथम स्थान प्राप्त हुआ.

सूरज कुमार, जो कि तकनीकी अधिकारी हैं, बताते हैं, “हमने एयरपोर्ट निर्माण के लिए की गई कंट्रोल ब्लास्टिंग का एक वीडियो इस प्रतियोगिता में प्रस्तुत किया था. यह पूरी तरह नियंत्रित और सुरक्षित था, जिससे आसपास की संरचनाओं को कोई नुकसान नहीं हुआ.”

"ब्लास्टिंग की दुनिया का वर्ल्ड कप"
इस पूरे आयोजन को लेकर शैल उत्खनन विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रंजीत कुमार पासवान ने कहा, “यह सम्मेलन हर तीन साल में अलग-अलग देशों में होता है और इसे आप ब्लास्टिंग टेक्नोलॉजी का वर्ल्ड कप कह सकते हैं. इस बार टर्की में 26 देशों के 500 से ज्यादा वैज्ञानिक शामिल हुए. करीब 100 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें सिंफर से 5 शोध पत्रों का चयन हुआ.”

डॉ. पासवान ने दो महत्वपूर्ण केस स्टडीज प्रस्तुत कीं- एक माइंस में उत्पादन बढ़ाने के तरीकों को लेकर और दूसरी, बड़े स्ट्रक्चर्स के पास सुरक्षित ब्लास्टिंग की तकनीक पर आधारित थी.

भारत में नई तकनीक का आगाज
वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि भारत में अब इलेक्ट्रिक डेटोनेटर के उपयोग पर प्रतिबंध है. सिंफर, देश का एकमात्र संस्थान है जहां इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर की टेस्टिंग फैसिलिटी मौजूद है. इस नई तकनीक में बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन और बारकोडिंग जैसी सिक्योरिटी सुविधाएं दी गई हैं, जिससे ब्लास्टिंग को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सके.

उन्होंने बताया कि “सिर्फ वही मैन्युफैक्चरिंग कंपनी जो डेटोनेटर बनाएगी, वही उसे ब्लास्ट भी कर सकती है. दूसरे पावर सोर्स से उसे ब्लास्ट नहीं किया जा सकता. टर्की में हुए आयोजन में हमने इसी विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया.”

 इंटरनेशनल लेवल पर भारत की सराहना
संस्थान के निदेशक प्रो. अरविंद कुमार मिश्रा ने इस उपलब्धि को “संस्थान के लिए गौरव की बात” बताया. उन्होंने कहा, “टर्की में हुए सम्मेलन में हमारे वैज्ञानिकों ने कंट्रोल ब्लास्टिंग के क्षेत्र में जो वीडियो प्रस्तुत किया, उसे पहला स्थान मिला. साथ ही, शोध पत्रों के माध्यम से अन्य देशों के वैज्ञानिकों को हमारी तकनीकों की जानकारी मिली और उनकी सराहना भी हुई.”

उन्होंने आगे कहा, “यह आयोजन न सिर्फ सम्मान का विषय है, बल्कि हमारे वैज्ञानिकों को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय से संवाद स्थापित करने का भी एक बड़ा अवसर मिला. नई रिसर्च, नई तकनीकों को जानने और अपने काम को साझा करने का यह एक महत्वपूर्ण मंच रहा.”

(रिपोर्ट-सिथुन मोदक) 

 

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