Heavy Sugar Control के लिए डाक्टर ने दी दौड़ने-घूमने की सलाह, बुजुर्ग ने जीत लिया राज्य स्तरीय Gold Medal

शुगर को कंट्रोल करने के लिए तुलसीराम को दवा के साथ दौड़ने और चलने की सलाह दी गई थी. लेकिन वे दवा नहीं लेना चाहते थे. ऐसे में तुलसीराम ने दौड़ने का निर्णय लिया. दौड़ते दौड़ते तुलसीराम बड़े एथलीट बन गए. वे कई मेडल भी जीत चुके हैं.

Tulsiram
gnttv.com
  • आगर मालवा,
  • 25 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 1:21 PM IST

कहते हैं इंसान अगर ठान ले तो क्या नहीं कर सकता है. हौसलों के आगे हर तकलीफ को हराया जा सकता है. यही कर दिखाया है आगर मालवा के तुलसीराम ने. तलसीराम ने अपनी मेहनत से गोल्ड मेडल हासिल किया है. उन्होंने इस मेडल के साथ न सिर्फ बीमारी को हराया है बल्कि कई उपलब्धियां भी हासिल की. 

दरअसल, तुलसीराम का शुगर लेवल बढ़ गया था. जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें घूमने-फिरने की सलाह दी थी. लेकिन तुलसीराम ने इस आपदा को अवसर में बदल दिया. उन्होंने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया और उसमें गोल्ड मेडल भी जीता.          

सुबह-सुबह लगाते हैं दौड़ 
तुलसीराम सुबह सुबह अपने घर पर तैयार होकर जूते पहनकर निकलते हैं और दौड़ लगाते हैं. तुलसीराम प्रतिदिन पांच किलोमीटर से ज्यादा दौड़ते हैं. 63 साल के तुलसीराम हर दिन इसी तरह घर से निकलकर रनिंग किया करते हैं. हालांकि, इस उम्र में हर दिन दौड़ने के पीछे की कहानी क्या है… यह सोचने पर हर कोई मजबूर हो जाता  है.

दरअसल, तुलसीराम को डॉक्टर ने उनके हाई शुगर के बारे में बताया था. इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें दवाई के साथ इन्सुलेशन और दूसरी सलाह दीं. साथ ही डॉक्टर ने उन्हें घूमने और दौड़ने को भी कहा.

दवा से किया परहेज 
दवाइयों से परहेज करने की ठान चुके तुलसीराम ने दौड़ने का निर्णय लिया. दौड़ते दौड़ते तुलसीराम बड़े एथलीट बन गए. जब दौड़ने की प्रैक्टिस अच्छी हो गई तब उन्होंने कई प्रतियोगिता मे सफलता हासिल की. तुलसीराम यहीं नहीं रुके उन्होंने नेशनल मास्टर गेम्स मे राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर पर भाग लिया.

तुलसीराम ने गोवा में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल भी जीता. बीमारी से राहत पाने के लिए शुरु की गई दौड़ अब गोल्ड और सिल्वर मैडल मे तब्दील होती दिखाई दे रही है.
 
(प्रमोद कारपेंटर की रिपोर्ट)

 

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