संगम नगरी प्रयागराज से एक ऐसी खबर सामने आई है जो उन मां बाप का सीना गर्व से चौड़ा कर देगी जो अपने बच्चो में हौसलों की उड़ान देखना चाहते है. हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे जीवन मे सफलता की ऊंचाइयों को छुएं जिससे उनका खूब नाम हो. कई माता पिता अपने बच्चो को पढ़ने और तैयारियों के लिए जोर डालते है और जरूरत पड़ने पर कभी कभी डांटते भी है. लेकिन प्रयागराज के मशहूर न्यूरो सर्जन ने अपनी बेटी की सफलता और उसका हौसला बढ़ाने के लिए अनूठी पहल करते हुए उसके साथ नीट की तैयारी की परीक्षा भी दी. दोनों नीट की परीक्षा में सफल हुए. इससे कहा जा सकता है की पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती बस हौसला होना चाहिए.
49 साल की उम्र में दिया एक्जाम
डॉक्टर प्रकाश खेतान लगभग 49 साल के हैं. उनकी लाइफ बेहद व्यस्त है. उन्होंने अपनी 18 वर्षीय बेटी मिताली को मेडिकल में प्रवेश कराने के लिए उसका हौसला बढ़ाया और ऐसी तरकीब अपनाई जिससे गर्व से उनका सर ऊंचा हो गया. डॉक्टर प्रकाश खेतान ने अपनी बेटी को मोटिवेट करने लिए उसके साथ नीट की तैयारी करना शुरू कर दिया ताकि बेटी के साथ उनका कड़ा मुकाबला हो. बेटी ने भी इस चेलेंज को स्वीकार किया. दोनो ने नीट की परीक्षा दी और बेटी को अपने पिता से ज्यादा अच्छे अंक मिले. इस वर्ष दोनो ने अच्छे नम्बरों से इस परीक्षा को पास कर लिया. स्कोर के आधार पर मिताली को एक अच्छे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल गया.
बेटी के मिले पिता से ज्यादा नंबर
डॉक्टर खेतान ने 1992 में सीपीएमटी की परीक्षा पास की थी. उन्होंने अपनी बेटी को प्रेरित करने के लिए फिर से मेडिकल प्रवेश परीक्षा की दी. दोनों को 2023 नीट यूजी के लिए अलग-अलग सेंटर मिले थे. पिता को शिवकुटी और बेटी ने झूंसी केंद्र में परीक्षा दी. जून महीने में जब इसका रिजल्ट आया तो चौंकाने वाले रिजल्ट आये. बेटी मिताली को 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक मिले जबकि डॉक्टर खेतान को 89 नम्बर मिले. काउंसलिंग के बाद बेटी मिताली को कर्नाटक के नामी कॉलेज कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में प्रवेश मिल गया.
गिनीज बुक में दर्ज है नाम
आपको बता दें की डॉक्टर खेतान का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. डॉ. खेतान ने 13 अप्रैल 2011 को 18 साल की लड़की के दिमाग से 8 घंटे की सर्जरी करके 296 सिस्ट निकाले थे. डॉ खेतान ने 1992 में सीपीएमटी पास करके मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. उसके बाद 1999 में लखनऊ से एमएस सर्जरी और 2003 में एमसीएच न्यूरो सर्जरी की पढ़ाई पूरी की. डॉक्टर खेतान ने तमाम ऐसे ऑपरेशन किये जो काफी कठिन थे.
(पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट)