कहते हैं कि अपने लिए तो सब जीते हैं लेकिन जीवन तो वह है जो दूसरों के लिए जिया जए. जैसा कि इस 95 साल के गणितज्ञ ने जिया है. इनके बारे शायद ही बहुत लोगों को पता हो. लेकिन इनके बारे में जानकर आप यही कहेंगे कि असल हीरो तो यही हैं.
यह कहानी है राजस्थान में झुंझुनूं के डा. घासीराम वर्मा की. डॉ घासीराम गणितज्ञ हैं और गणित के क्षेत्र में उन्होंने बहुत योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने समाज के उत्थान में भी अपनी योगदान दिया है.
लोग कहते हैं करोड़पति फकीर
डॉ घासीराम हर महीने अपनी सैलरी का 70 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं की शिक्षा, रोजगार के साधन बनाने और लोगों की मदद के लिए खर्च करते हैं. लोग इनको दानवीर करोड़पति फकीर के नाम से जानते हैं.
उन्होंने खुद परेशानियों का सामना करते हुए पढ़ाई की और फिर अमेरिका तक का सफर तय किया. आज देश विदेश में नाम कमा चुके दानवीर डा. घासीराम वर्मा के गणित में दिए योगदान के बारे में लोग जानते हैं. साल 1970 में वह भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि आज भी बहुत से बच्चे पैसे और संसाधन के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पा रहे है.
समाज के लिए खर्च किए करोड़ों रुपए
डॉ घासीराम लगातार आम जन के लिए काम करते रहे हैं. उन्होंने अपनी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा इस काम में लगाया. आज भी वह हर साल 40 से 50 लाख का दान करते हैं. वह कहते हैं कि उन्हें इस बात का कोई हिसाब नहीं है कि उन्होंने कितना दान दिया है.
आज भी अपनी पेंशन को वह गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनका जो कुछ है वह आज भी बच्चों की शिक्षा के लिए है और उनके मरने के बाद भी शिक्षा के क्षेत्र में लगाया जाए. वह कहते हैं कि आप बस देने की आदत बनाएं और इसके बाद ईश्वर खुद आपको सब कुछ देगा.