ट्री एम्बुलेंस करेगी बीमार पेड़ों का इलाज, पेड़ों के संरक्षण के लिए पहल

पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने पेड़ों की सही देखभाल और सुरक्षा के लिए ट्री एंबुलेंस की शुरुआत की है. पेड़ों में कई तरह की बीमारियां लगती रहती हैं जिनसे उन्हें निजात दिलाने के लिए यह पहल की गई है.

Tree Ambulance
श्रुतिका
  • दिल्ली,
  • 29 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 8:14 AM IST
  • ट्री एंबुलेंस में हाइड्रॉलिक लिफ्ट की व्यवस्था
  • ट्री एम्बुलेंस की हेल्पलाइन है 155303

इंसानों की एम्बुलेंस हम सब ने देखी है और इसकी उपयोगिता भी समझते हैं लेकिन, आज हम आपको बता रहे हैं ट्री एंबुलेंस के बारे में. यह पेड़-पौधों के लिए बनी है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने पेड़ों की बीमारियों का इलाज करने के लिए ट्री एंबुलेंस की शुरुआत की है. 

ईडीएमसी की तरफ से दो एंबुलेंस की शुरुआत की गई है, एक शाहदरा नॉर्थ जोन के लिए तो वहीं दूसरी शाहदरा साउथ जोन के लिए. यह शुरुआत पेड़ों के संरक्षण के लिए है ताकि पेड़ों में किसी प्रकार की बीमारी है, कोई इंफेक्शन है या कीटाणु लगे हुए हैं तो उन्हें सही उपचार दिया जा सके और बचाया जा सके. 

ट्री एंबुलेंस में हाइड्रॉलिक लिफ्ट की व्यवस्था

इस ट्री एंबुलेंस के अंदर हाइड्रॉलिक लिफ्ट भी लगाई गई है ताकि ऊंचाई पर जाकर पेड़ों का उपचार आराम से किया जा सके. पेड़ों में भी कई तरीके की बीमारियां होती है जैसे कि उनके तने में कीटाणुओं का लग जाना या दीमक का लग जाना. इससे पेड़ की उम्र घटती है. ऐसे में यह ट्री एंबुलेंस उन पेड़ों का उपचार करेगी जो इस तरीके की समस्या से ग्रसित है. 

155303 होगी ट्री एम्बुलेंस की हेल्पलाइन

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के उद्यान विभाग के डायरेक्टर राघवेंद्र सिंह ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार इस ट्री एंबुलेंस की शुरुआत की गई है. जिन भी पेड़ों में दीमक लगने या फिर कीटाणु लगने की समस्या है उनका उपचार इस एंबुलेंस के द्वारा किया जाएगा. 

उन्होंने बताया कि इस एंबुलेंस के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है. लोग अपने आसपास के बीमार पेड़ों के बारे में 155303 पर संपर्क करके जानकारी निगम के साथ साझा कर सकते हैं. जिसके बाद पेड़ की स्थिति का मुआयना करने के बाद टीम उस पर एक्शन लेगी.

बीमार पेड़ों के लिए उचित इलाज

खोखले हो चुके पेड़ को ठीक करने के लिए सर्जरी करने की ट्रेनिंग स्टाफ को दी गई है. इसमें पहले पेड़ की दिक्कत का मुआयना किया जाता है. उसके बाद हल्की आग के जरिए पेड़ के कीटाणुओं को ठीक किया जाता है. इसके बाद दो अलग-अलग प्रकार की कीटनाशक का छिड़काव उस खोखले हिस्से पर किया जाता है जहां कीटाणु है. खोखले हिस्से के भीतर से डेड सेल भी हटाए जाते हैं और साफ किया जाता है. 

कीटाणुओं को मारने के बाद खोखले हिस्से में थर्माकोल और मुर्गा जाली भरी जाती है और बकायदा कील से उसे सुरक्षित किया जाता है. जिसके बाद खोखले हिस्से में पीओपी भरी जाती है और ऊपर से वाइट सीमेंट से ढका जाता है. इसके बाद पेड़ के अंदर हवा नहीं जा सकती है और जो पेड़ के अंदर का खोखला हिस्सा है वह समय के साथ धीरे-धीरे भरना शुरू हो जाता है. और पेड़ एकदम ठीक हो जाता है.

बता दें कि यह ट्री एंबुलेंस की व्यवस्था सबसे पहले नई दिल्ली नगर निगम में शुरू हुई थी. इसके बाद बाकी निगमों ने भी ट्री एंबुलेंस की व्यवस्था की शुरुआत कर दी है. 

 

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