महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है और अपना परचम लहरा रही हैं. आज International Women’s Day के मौके पर हम आपको एक ऐसी महिला से मिलवा रहे हैं जो कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग के क्षेत्र में देश को एक नयी दिशा दे रही हैं.
यह कहानी है मशहूर कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर संध्या रमन की. 30 साल से भी ज्यादा समय से कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग कर रहीं संध्या को हाल ही में भारत सरकार ने स्त्री शक्ति पुरस्कार से नवाजा है. संध्या अपने डिज़ाइन्स के जरिए समाज और पर्यावरण दोनों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं.
नयी सोच के साथ बना रही हैं कॉस्ट्यूम:
संध्या रमन विश्व भर में अपने बनाए गए कॉस्टयूम डिजाइन की वजह से जानी जाती हैं. और उनके काम में सबसे बड़ा आकर्षण हैं उनके बनाए रीसायक्लेबल कपड़े. संध्या इस बात को बाखूबी समझती हैं कि फैशन इंडस्ट्री पर्यावरण प्रदूषण के सबसे बड़े कारणों में से एक है.
वह ऐसे कपड़े बनाने में यकीन रखती हैं जो पर्यावरण के अनुकूल हों और जिनसे वेस्ट कम से कम हो. इसलिए उन्होंने वेस्ट कॉटन कपड़ों से एक रीसायक्लेबल और रिवर्सेबल जैकेट बनाई है. संध्या रमन इस बात पर जोर देती है कि बदलते ट्रेंड के साथ कपड़ों को चंद दिन पहनकर रिटायर करने की बजाय ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल में लाना चाहिए.
इससे फैब्रिक वेस्ट कम होगा. इसलिए संध्या ने ऐसे लहंगे डिजाइन किए हैं कि इन्हें दोबारा अलग तरीके से स्टाइल करके पहना जा सके.
बनाया अनोखा मास्क:
समय-समय पर संध्या अपने काम से लोगों को न सिर्फ चौंका देती हैं बल्कि बहुत सी समस्याओं का हल भी देती हैं. कोरोना से बचने के लिए उन्होंने एक अलग तरीके के AARMR नामक मास्क डिजाइन किए, जिनके अंदर चेंजेबल फिल्टर लगा हुआ है. इन मास्क का ज्यादा से ज्यादा बार इस्तेमाल किया जा सकता है.
वह बताती है कि आजकल सब कुछ ट्रेंड के हिसाब से चलता है. ऐसे में, बेहद जरूरी है कि हम इस तरह के कपड़े खरीदें जिनको कई तरह से स्टाइल किया जा सके. वह न सिर्फ रीसायक्लेबल कपड़े बनाती है बल्कि बहुत से लोगों को रोजगार दे रही हैं.
उनके साथ दिव्यांग लोग काम करते हैं. वह स्थानीय कारीगरों को काम दे रही हैं. संध्या रमन महिलाओं के सशक्तिकरण, लोकल आर्टिसंस और क्राफ्टमैन को बढ़ावा देती रही है. आज भी वह गांव-गांव घूमकर जमीनी स्तर के कारीगरों को और उनकी कला को दुनिया के समाने लाने के लिए प्रयासरत हैं.