यूपी के बुंदेलखंड में इन दिनों भीषण गर्मी में हर कोई व्याकुल है. सूरज की तपिश में नदी तालाब सब सूख रहे हैं. हर कोई पानी के लिए परेशान है. पशु पक्षी भी जंगलो में पानी न मिलने से शहर की ओर आ रहे हैं. बुंदेलखंड को पानी से भरा पूरा बनाने के लिए तमाम प्रयास हुए लेकिन अभी भी उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के जंगलो में पानी न मिलने से जंगली जीव संकट में हैं.
दो से तीन महीने बिताती है महिला
ऐसा ही एक मामला बांदा से करीब 70 किलोमीटर दूर एमपी बॉर्डर के जंगलों में देखने को मिला जहां पर कालिंजर क्षेत्र के कटरा की बुजुर्ग रानी उर्फ कुशमा का जुनून देखते ही प्रेरणा लेते बनता है. बुजुर्ग महिला कई वर्षों से बागै नदी के पास बने देवी स्थान के पास झोपड़ी बनाकर इस भीषण गर्मी में 2 से 3 माह बिताती हैं, महज इसलिए कि उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के जंगलों में बंदरों के झुंड की प्यास बुझाई जा सके.
आसमान से बरसती आग के बीच इनकी प्यास बुझाने के लिए बुजुर्ग हैंडपंप चलाती हैं. घने जंगलों में सूखते जल स्रोतों के बीच बंदर इसी हैंडपंप पर आकर पानी पीते हैं. करीब 8 साल से रानी का यहां झोपड़ी बनाकर बंदरो को पानी पिलाने का सिलसिला बरकरार है.
परिवार छोड़ जंगल में रहती है महिला
बुजुर्ग महिला का परिवार कालिंजर क्षेत्र के कटरा में रहता है. महिला ने बताया कि उसके 4 बेटे हैं. कुछ दिन पहले उसके एक बेटे की मौत भी हो चुकी है. गांव में उसके 3 बेटे अपने परिवार के साथ रहते हैं. लेकिन महिला ने अपना ठिकाना जंगलो में बना रखा है. बंदर भी इतना घुल मिल गए हैं कि महिला को छोड़ कहीं जाते भी नहीं. महिला सतना मध्यप्रदेश से आने जाने वाले लोगों मिला खाना, फल, चना बंदरों को खिलाती है. महिला ने बताया कि यदि उससे कोई आक्रमकता दिखाने की कोशिश करता है तो बन्दर आकर हमला कर देते हैं. बुजुर्ग की चर्चा यूपी एमपी के जिलों में खूब है. लोग आते जाते समय महिला को खाना भी दे जाते हैं.
(बांदा से सिद्धार्थ गुप्ता की रिपोर्ट)