संडे को ‘ना’ बोलना पड़ा भारी! छुट्टी में काम न करने पर कर्मचारी को दी गई सजा, Reddit पर फूटा गुस्सा, कर्मचारी बोला- क्या अब छुट्टी लेना भी गुनाह है?

इस कर्मचारी ने लिखा कि उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि छुट्टी के दौरान काम कर पाना संभव नहीं होगा क्योंकि वे लगातार यात्रा में रहेंगे. लेकिन जब वे छुट्टी से लौटे, तो उन्हें ऐसा व्यवहार झेलना पड़ा जिसे वो “मानसिक प्रताड़ना” बता रहे हैं.

weekend work controversy (Representative Image/Unsplash)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST
  • कर्मचारी को दी गई सजा
  • Reddit यूजर्स का सपोर्ट 

अगर आप सोचते हैं कि वीकेंड यानी ऑफिस से ब्रेक का वक्त है, तो जरा रुकिए! एक हैरान करने वाली कहानी सामने आई है जो बताती है कि कैसे "नॉर्मल छुट्टियां लेना" और "वीकेंड पर आराम करना" अब कुछ कंपनियों में अपराध जैसा माना जा रहा है. Reddit पर एक कर्मचारी ने अपना दर्द साझा किया, जिसे सिर्फ इसलिए Performance Improvement Plan (PIP) में डाल दिया गया क्योंकि उसने छुट्टी के दौरान और रविवार को काम करने से इनकार कर दिया!

इस पोस्ट के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोग भड़क उठे. हजारों लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी और सवाल उठाए- क्या अब छुट्टी पर जाना भी करियर के लिए खतरा बन गया है?

संडे को भी 5-6 घंटे काम करने को कहा 
Reddit यूजर 'iamsadsometimes1' ने बताया कि उनकी कंपनी में सिर्फ रविवार को छुट्टी मिलती है, लेकिन मैनेजर का कहना था कि रविवार को भी कम से कम 5-6 घंटे का काम जरूरी है ताकि टाइट डेडलाइन को पूरा किया जा सके.

उन्होंने लिखा, “मेरी ऑर्गनाइजेशन में सिर्फ रविवार को छुट्टी होती है, लेकिन मेरे मैनेजर की उम्मीद है कि हम संडे को भी 5-6 घंटे काम करें. मैंने 4 दिन की लीव मांगी थी जो काफी बहस के बाद मंजूर हुई. लेकिन मुझे साफ कह दिया गया कि लीव के दौरान भी अपने टारगेट पूरे करूं.”

मैं ट्रैवल कर रहा था, काम नहीं कर पाया 
इस कर्मचारी ने लिखा कि उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि छुट्टी के दौरान काम कर पाना संभव नहीं होगा क्योंकि वे लगातार यात्रा में रहेंगे. लेकिन जब वे छुट्टी से लौटे, तो उन्हें ऐसा व्यवहार झेलना पड़ा जिसे वो “मानसिक प्रताड़ना” बता रहे हैं. उन्होंने लिखा, “मेरे लौटते ही मैनेजर ने बात करना बंद कर दिया. कुछ घंटों बाद HR ने मुझे फोन करके बताया कि मेरी परफॉर्मेंस खराब रही है और मुझे PIP में डाल दिया गया है.”

Reddit पर ये खुलासा होते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. क्या कोई कंपनी इस हद तक जा सकती है कि कर्मचारी के अधिकारों और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी करते हुए छुट्टियों के लिए उसे सज़ा दे?

Reddit यूजर्स का सपोर्ट 
इस पोस्ट को देखते ही सैकड़ों Reddit यूजर्स ने कमेंट्स में समर्थन जताया. कुछ यूजर्स ने गुस्से में लिखा, “ऐसी कंपनी और मैनेजर को नाम और शर्म के साथ उजागर करो. इन जैसे लोगों को नौकरी के लिए तरसना चाहिए.”

एक अन्य यूज़र ने लिखा, “5 महीने में ही बदलना मुश्किल है, लेकिन ये लंबी लड़ाई का एकमात्र हल है. तुम ऐसे टॉक्सिक सिस्टम में जिंदा नहीं रह सकते.”

तीसरे ने सलाह दी, “इस तरह की जगहों से जितना जल्दी निकला जाए, उतना अच्छा है. खुद को दोष मत दो. PIP से डरो मत. परफॉर्म करो, परिवार को बताओ, और सिर ऊंचा रखकर बाहर निकलो.”

क्या है PIP और क्यों डराते हैं इससे?
PIP यानी Performance Improvement Plan, ऐसा टूल है जिसे कंपनियां तब इस्तेमाल करती हैं जब उन्हें लगता है कि कर्मचारी का प्रदर्शन उम्मीद से नीचे है. लेकिन कई बार यह "साइलेंट फायरिंग" का जरिया बन जाता है. यानी धीरे-धीरे कर्मचारी को मानसिक रूप से तोड़ना और निकलने पर मजबूर करना.

इस Reddit पोस्ट ने एक बहुत जरूरी बहस को जन्म दिया है, क्या कर्मचारी की छुट्टी का अधिकार छीन लिया गया है? क्या कंपनियां अब सिर्फ मशीनें चाहती हैं जो बिना रुके काम करें?

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ये कहानी अकेले एक कर्मचारी की नहीं है. आज हजारों-लाखों कर्मचारी ऐसे माहौल में काम कर रहे हैं जहां उन्हें अपनी छुट्टियों, स्वास्थ्य या परिवार के लिए वक्त मांगने पर ‘लो-परफॉर्मर’ की नजर से देखा जाता है.

जो बात सबसे ज्यादा चिंताजनक है वो ये कि ये कंपनियां ऐसे वातावरण को “नॉर्मल” बना रही हैं. और जब कोई कर्मचारी सवाल उठाता है, तो उसे चुप कराने के लिए PIP जैसे हथियार चलाए जाते हैं.

 

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