इस गांव की हर महिला है आत्मनिर्भर! सातवीं पास गीताबेन ने उठाया बीड़ा, आज यूनिवर्सिटी में बच्चों को दे रहीं लेक्चर

गुजरात के सुमरासर के पास एक गांव है जहां की हर महिला आत्मनिर्भर. इनको आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है गीताबेन ने. गीताबेन खुद सातवीं पास हैं लेकिन आज कॉलेज और यूनिवर्सिटी में लेक्चर देती है. चलिए पढ़ते हैं उनकी कहानी

गीताबेन
तेजश्री पुरंदरे
  • सुमरासर,
  • 30 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:03 PM IST
  • गीताबेन ने अकेले की थी शुरुआत 
  • महिलाएं 1 दिन में कम से कम कमा लेती हैं 300 रुपये

गुजरात के कच्छ जिले में एक ऐसा गांव है जहां की हर महिला आत्मनिर्भर है. सुमरासर के एक गांव की इन महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की एक नई मिसाल पेश की है. दरअसल इस गांव में रहने हर महिला अपने लिए रोजगार के नए अवसर ढूंढकर आत्मनिर्भर बन रही है. इन महिलाओं ने परिस्थितियों से समझौता नहीं किया और अपने लिए दूसरा विकल्प चुना. इसी का नतीजा है कि आज ये सब इतनी काबिल बन चुकी हैं कि पूरे परिवार की जिम्मेदारी खुद ही उठा रही हैं.

गीताबेन ने अकेले की थी शुरुआत 

सुमरासर का यह गांव रेगिस्तान में 60 किमी की दूरी पर बसता है. रेगिस्तान में बसे होने के कारण यहां लेकिन खेती पर पाना मुश्किल हो रहा था. और इसलिए घर के लिए कमाई का साधन जुटा पाना मुश्किल था. इसलिए इस गांव की महिलाओं ने तय कि वे अपने लिए कुछ दूसरा विकल्प चुनेंगी और इस बदलाव की नींव को रखने का काम किया गीता बेन मेरिया ने. गीताबेन मारिया ने इसकी शुरुआत अकेले की थी. लेकिन आज 250 महिलाओं को साथ लेकर वे सभी को आत्मनिर्भर बना रहीं हैं. 

महिलाएं 1 दिन में कम से कम कमा लेती हैं 300 रुपये

गीताबेन बताती हैं कि इन आज से कुछ साल पहले उन्होंने इन महिलाओं को साथ जोड़ने का काम किया और आज एक पूरा कारवां बन चुका है. गीताबेन ने इन महिलाओं के साथ मिलकर हाथ से आर्ट का काम करती हैं. वे बताती हैं कि इस काम से हर एक महिला दिन में कम से कम 300 रुपए तो कमा ही लेती है. इसके अलावा यदि काम ज्यादा हुआ तो 500 से 1000 रुपए तक की कमाई हो जाती है. आज यह सभी महिलाएं अपने आप पर गर्व करते हैं कि कल तक इन्हें ₹10 के लिए भी घर के पुरुषों के सामने हाथ फैलाने थे और आज यह स्वावलंबी हो गई है. अब हर एक महिला इतनी काबिल बन चुकी है कि घर का खर्चा भी स्वयं ही उठा रही हैं.

कॉलेज और यूनिवर्सिटी में लेक्चर्स भी देती हैं गीताबेन 

इन महिलाओं को बड़े बड़े विदेशी ब्रांड्स के कपड़े बनाने का ऑफर भी मिलता है. कई ऑफर्स इंटरनेशनल भी होते हैं. आश्चर्य की बात यह है कि गीताबेन सिर्फ सातवीं कक्षा तक पढ़ी हैं और आज ये कॉलेज और यूनिवर्सिटी में लेक्चर्स लेने का काम भी कर रही हैं. गीताबेन बताती हैं कि वे कॉलेज में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाती हैं. जब कभी वर्कशॉप होती है तब वो कक्षाओं में पढ़ाने भी जाती हैं. गीता बेन अपने मां के साथ ही रहती हैं. गीताबेन कहती हैं कि ये बहनें ही मेरा परिवार है और आगे कई महिलाओं को साथ में जोड़ने का उद्देश्य है.


 

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