75 साल बाद मिले दो भाइयों के परिवार, बंटवारे में एक-दूसरे से बिछड़े थे, अब करतारपुर कॉरिडोर में हुआ मिलन

करतारपुर कॉरिडोर हाल ही में एक बार फिर बंटवारे में बिछड़े अपनों के मिलन का गवाह बना. इस बार दो भाइयों के परिवार 75 साल बाद एक-दूसरे से मिले.

Reunion of the families (Photo: PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 05 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 9:01 AM IST
  • 75 साल बाद मिले दो भाई
  • सोशल मीडिया ने कराया मिलन 

साल 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे ने सिर्फ समुदायों को नहीं बल्कि परिवारों का भी बांट दिया था. आज भी उस बंटवारे का दर्द बहुत से लोगों के दिलों में हैं. आज भी बहुत से परिवार ऐसे हैं जो एक-दूजे से बिछड़ गए और अब बीच में सरहद की लकीर है. 

इन लोगों के दर्द को ध्यान में रखकर ही करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण किया गया. इस कॉरिडोर ने पिछले कुछ सालों में बहुत से परिवारों को मिलाया है. परिवारों के मिलन की ये कहानियां आपकी भी आंखें नम कर देंगी. आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे एक और परिवार के बारे में. 

75 साल बाद मिले दो भाई
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 1947 में विभाजन के दौरान उनके अलग होने के 75 साल बाद, दो सिख भाइयों के परिवार करतारपुर कॉरिडोर में मिले. इस भावुक मौके पर उन्होंने गीत गाते हुए और एक-दूसरे पर फूल बरसाए. गुरदेव सिंह और दया सिंह के परिवार गुरुवार को करतारपुर कॉरिडोर में पुनर्मिलन के लिए पहुंचे.

गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर साहिब में इन परिवारों का मिलना देख लोगों का दिल भर आया. दोनों भाइयों के परिवारों ने अपनी खुशी का इजहार करने के लिए गाने गाए और एक-दूसरे पर फूल बरसाए.

हरियाणा से है ताल्लुक 
आपको बता दें कि दोनों भाई हरियाणा के रहने वाले थे और बंटवारे के समय अपने दिवंगत पिता के दोस्त करीम बख्श के साथ महेंद्रगढ़ जिले के गोमला गांव में रहते थे. साल 1974 में बख्श पाकिस्तान चले गए और अपने साथ बड़े भाई गुरदेव सिंह को ले गए. यहां उन्होंने गुरुदेव को एक मुस्लिम नाम (गुलाम मुहम्मद) दिया. वहीं, दया सिंह हरियाणा में अपने मामा के घर रह गए. 

हालांकि, कुछ साल पहले गुरदेव सिंह का निधन हो गया. लेकिन अपनी आखिरी सांस तक वह अपने छोटे भाई को खोजते रहे. गुरदेव के बेटे, मुहम्मद शरीफ ने मीडिया को बताया कि वर्षों से उनके पिता ने अपने भाई दया सिंह के ठिकाने का पता लगाने के लिए भारत सरकार को पत्र लिखे थे. 

सोशल मीडिया ने कराया मिलन 
शरीफ ने कहा, "छह महीने पहले, हम चाचा दया सिंह को सोशल मीडिया के माध्यम से ढूंढने में कामयाब रहे." उन्होंने कहा कि दोनों परिवारों ने मिलने के लिए करतारपुर साहिब पहुंचने का फैसला किया. उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि उनके परिवार के सदस्यों को यहां वीजा दिया जाए ताकि वे हरियाणा में अपने पुश्तैनी घर जा सकें. 

आपको याद दिला दें कि पिछले साल बंटवारे के दौरान बिछड़े दो भाई करतारपुर कॉरिडोर पर फिर से मिल गए. पाकिस्तान के 80 वर्षीय मुहम्मद सिद्दीकी और भारत के 78 वर्षीय हबीब जनवरी 2022 में करतारपुर कॉरिडोर में मिले थे. 

 

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