फाइव स्टार होटल जैसा खाने पीने का सामान तैयार करती हैं इस गांव की मह‍िलाएं

पंजाब के जिला फरीदकोट और बठिंडा के बीच एक गांव है अकलियां जलाल. यहां पर गांव की 5 महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने के लिए गांव में ही एक बेकरी खोल ली है. इस प्रोजेक्ट का नाम आजीविका बेकरी रखा गया है. इसका मकसद है मह‍िलाओं को रोजगार के मामले में आत्मनिर्भर करना है.

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gnttv.com
  • फरीदकोट,
  • 04 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST
  • इस गांव की 5 महिलाओं ने गांव में ही खोल लिया आजीविका बेकरी
  • पिज्जा, स्पेशल देसी घी के बिस्कुट, पैटीज, सब कुछ बनाती हैं महिलाएं

पंजाब के जिला फरीदकोट और बठिंडा के बीच एक गांव है अकलियां जलाल. यहां पर गांव की 5 महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने के लिए गांव में ही एक बेकरी खोल ली है. इस प्रोजेक्ट का नाम आजीविका बेकरी रखा गया है. इसका मकसद है मह‍िलाओं को रोजगार के मामले में आत्मनिर्भर करना है.

अकलियां जलाल बठ‍िंडा ज‍िले में आता है. यह प्रोजेक्ट पंजाब स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन के तहत गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से चलाया जा रहा है. इस बेकरी में काम करने वाली महिलाएं गांव से जरूर हैं मगर इनकी ट्रेंनिग वहां से हुई है जहां से बड़े बड़े 5 सितारा होटलों के शेफ की ट्रेनिंग होती है. इन मह‍िलाओं ने इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनजमेंट से ट्रेंनिग हासिल की है. ये महिलाएं अपने पैसे से पिज्जा, केक, स्पेशल देसी घी के बिस्कुट, पैटीज, सब कुछ बनाती हैं. और इनसे जो कमाई होती है, उसे ये मह‍िलाएं आपस में बांट लेती हैं.

सरकार इन महिलाओं को आत्मन‍िर्भर बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीनें और 40 हजार तक का लोन भी देती है. इस एरिया के ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर की मानें तो शायद यह पंजाब का पहला आजीविका बेकरी प्रोजेक्ट है जो इस गांव में चल रहा है. वहीं इस काम को करने के बाद महिलाओं में आत्मनिर्भर बनने का साहस नजर आया. इस काम को देखने के बाद गांव की अन्य महिलाओं में भी खुद के पैरों पर खड़े होने और आत्मनिर्भर बनने का साहस पैदा होगा. इलाके में इन महिलाओं की पहल की खूब चर्चा हो रही है.

इस प्रोजेक्ट में काम कर रही महिलाओं ने बताया, 'हम कुल 6 महिलाएं हैं और जैसे जैसे हमारा समान बिक जाता है, वैसे वैसे हम और बनाते हैं. हमारे देसी घी के बिस्कुट की खूब ड‍िमांड है. हम यहां ऑर्डर पर केक और पिज्जा भी बनाते हैं. सरकार ने हमें आधुनिक मशीनें दे रखी हैं जिसमें सब कुछ पकता है. हम खुद ही समान लाते हैं, बनाते हैं और जो आमदनी होती है, उसे आपस मे बांट लेते हैं. हम सभी महिलाएं इसी गांव की हैं. हमारा बनाया समान दूर दूर तक जाता है.' 

इन मह‍िलाओं की अपील है क‍ि वो जरूरतमंद महिलाएं ज‍िनका अकेले आदमी से घर नहीं चलता, महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनना चाहिए. इन मह‍िलाओं का ये काम देखकर गांव की बहुत महिलाएं इस प्रोजेक्ट से जुड़ना चाहती हैं.

(फरीदकोट से प्रेम पासी की र‍िपोर्ट)

 

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