Beetroot Farming: लागत-मेहनत सब कम और बंपर कमाई... चुकंदर की खेती से किसान भाई बन सकते हैं दो महीने में लखपति... यहां जानिए कैसे?

Beetroot Cultivation: आज हम आपको एक ऐसी फसल की खेती करने के बारे में बता रहे हैं, जिससे आप दो महीने में लखपति हो सकते हैं. जी हां, हम चुकंदर की खेती करने के तरीकों के बारे में बता रहे हैं.

Beetroot Farming (Photo Credit: Meta AI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:07 AM IST
  • 60 दिनों में चुकंदर की फसल हो जाती है तैयार
  • बाजार में सालों भर रहती है अच्छी मांग

Beetroot Farming Guide: खेती करके भी आप लखपति बन सकते हैं. बस आपको इसके लिए परंपरागत खेती जैसे धान-गेहूं को छोड़ कुछ ऐसी फसलों की खेती करनी होगी, जिससे कम लागत और कम मेहनत में मोटा मुनाफो हो सके. आज हम आपको चुकंदर की खेती करने के तरीकों के बारे में बता रहे हैं.

इसकी खेती करने के बाद एक-दो नहीं बल्कि कई किसानों की किस्मत चमक गई है. वे दो महीने में लखपति बन गए हैं. चुकंदर की खेती करने वाले किसान का कहना है कि कम मेहनत में बंपर कमाई के लिए यह फसल बढ़िया विकल्प है. आइए जानते हैं ये किसान कैसे चुकंदर की खेती करते हैं.

बिना रासायनिक खाद के चुकंदर की खेती
गुजरात के भावनगर जिले के घोघा तालुका स्थित करेडा गांव के किसान पॉपटभाई हों या यूपी के बहराइच जिला निवासी किसान हाजी चौधरी और रामपुर के स्वार क्षेत्र का किसान बनवारी लाल सैनी सभी चुकंदर की खेती से तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं.

पॉपटभाई कहते हैं कि वह पिछले कई सालों से बिना रासायनिक खाद के चुकंदर की खेती कर रहे हैं. वह एक बीघा जमीन में चुकंदर लगाकर दो महीने में लगभग 1.50 लाख रुपए तक की आमदनी कर लेते हैं. पॉपटभाई बताते हैं कि चुकंदर की खेती में ज्यादा पैसा नहीं लगता है. यह फसल महज 60 दिनों में मार्केट में बिक्री के लिए तैयार हो जाती है. 

पहले नहीं होता था मुनाफा
बहराइच जिले के किसान हाजी चौधरी बागबान कहते हैं कि चुकंदर की खेती करने के बाद यदि इसको स्टोर कर लिया जाए और दाम बढ़ने पर इसको बेचा जाए तो मुनाफा बहुत बढ़ जाता है. किसान बनवारी लाल सैनी का कहना है कि वह पहले पारंपरिक खेती करते थे लेकिन उसमें मुनाफा तो छोड़िए, किसी तरह से लागत निकल पाती थी.

पिछले कुछ सालों से वे करीब डेढ़ बीघे में चुकंदर की खेती कर रहे हैं और इससे अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं. बनवारी लाल सैनी बताते हैं कि यह फसल कम दिनों में तैयार हो जाती है. इसका बाजार में अच्छा भाव मिल जाता है. वह बताते हैं कि चुकंदर की फसल अर्ध-शुष्क जलवायु और कम पानी में भी अच्छे परिणाम दे रही है. वह बताते हैं उन्हें एक फसल से एक लाख से ऊपर का मुनाफा हो जाता है. यदि बाजार में अच्छा भाव मिलता है तो आमदनी और भी बढ़ जाती है. 

पाए जाते हैं कई पोषक तत्व
आपको मालूम हो कि चुकंदर चुकंदर एक कंदवर्गीय फसल है. इसे फल, सब्जी और सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. चुकंदर में आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, मैंगनीज, विटामिन सी, फोलेट और विटामिन बी9 प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. इसको खाने से शरीर में ब्लड की कमी नहीं होती है. इसके कारण चुकंदर की बाजार में हमेशा मांग रहती है. चुकंदर में औषधीय गुण  होने के कारण इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है. इससे कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां भी बनाई जाती हैं. चुकंदर का इस्तेमाल पशु चारे के रूप में भी किया जाता है.

कैसे करें चुकंदर की खेती 
किसान भाई चुकंदर की खेती गर्मी, बारिश और सर्दी किसी भी मौसम में कर सकते हैं. हमारे देश में इसकी अधिकतर खेती सितंबर से मार्च के महीने के बीच की जाती है. चुकंदर की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी में अच्छी मानी जाती है.

इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. चुकंदर की खेती के लिए बीज की अच्छी किस्मों का चुनाव करना चाहिए. अर्ली वंडर, डेट्रॉइट डार्क रेड, मिस्त्र की क्रॉस्बी, क्रिमसन ग्लोब, रोमनस्काया रूबी रानी और एमएसएच 102 चुकंदर की कुछ अच्छी किस्में हैं. इनको बोने पर बंपर पैदावार होती है.

छिटकवां और मेड़ विधि
चुकंदर की खेती छिटकवां विधि और मेड़ विधि से की जाती है. छिटकवां विधि में क्यारियां बनाकर बीजों को फेंक दिया जाता है. यदि आप छिटकवां विधि को अपना रहे हैं तो एक एकड़ में 4 किलो बीज की जरूरत पड़ेगी. मेड़ विधि में कम बीज लगता है. चुकंदर की बुवाई से पहले बीजों को रात भर पानी में भिगोकर रखना चाहिए. मेड़ विधि में पहले 10 इंच ऊंची मेड़ बनाई जाती है.

इसके बाद मेड़ पर 3-3 इंच की दूर पर बीजों को बोया जाता है. चुकंदर की बुवाई करने के बाद जरूरत के हिसाब से सिंचाई करनी चाहिए. इसकी खेती में अधिक पानी की जरूरत नहीं पड़ती है. चुकंदर की फसल में पहली सिंचाई बीज की रोपाई के बाद और दूसरी सिंचाई निराई-गुड़ाई के बाद यानी 20 से 25 दिनों के बाद की जाती है. आप चुकंदर की पत्तियों को धब्बा रोग से बचाने के लिए फफूंद नाशक जैसे डाइथेन एम-45 या बाविस्टीन के 1:1 घोल का छिड़काव करें. रूट रोग के लिए फसल चक्र अपनाएं और बीजों को मरक्यूरिक क्लोराइड 1 प्रतिशत के घोल से 15 मिनट तक उपचारित करें. आप उपरोक्त विधि से चुकंदर की खेती करेंगे तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.


 

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