गुजरात के भरुच जिले के जम्बूसर तहसील के छोटे से गांव किमोज के एक साधारण किसान परिवार की बेटी उर्वशी दुबे ने पायलट बनकर इतिहास रच दिया है. छठी कक्षा में थी उर्वशी जब आसमान में विमान को उड़ते देख उन्होंने पायलट बनने का सपना देखा था. और उनका सपना आज साकार हो गया है. कच्चे घर में रहने वाली उर्वशी कई आर्थिक मुश्किलों को पार करके आज कमर्शियल पायलट के तौर पर दुनिया में ऊंची उड़ान भर रही हैं.
चाचा ने उठाया खर्च
किमोज गांव के किसान अशोकभाई और मां नीलांबेन की बेटी हैं. माता-पिता की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे अपनी बेटी को पायलट का कोर्स करवा सकते. ऐसे में, चाचा पप्पू दुबे ने अपनी भतीजी को पायलट बनाने का खर्चा उठाया. लेकिन चाचा की कोरोना के कारण असामयिक मृत्यु के बाद, उन्हें कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
गांव के स्कूल से की पढ़ाई
उर्वशी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही एक गुजराती स्कूल में प्राप्त की. उन्होंने शिक्षकों और वरिष्ठों के मार्गदर्शन से 12वी में साइंस फैकल्टी में अच्छे मार्क्स प्राप्त किये. और आगे की शिक्षा शुरू की. कई आर्थिक कठिनाईओ के साथ जम्बूसर से वड़ोदरा, वहां से इंदौर, फिर दिल्ली और अंत में जमशेदपुर तक उर्वशी का पायलट बनने का सपना तब पूरा हुआ, जब उन्हें कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिला. बेटी का सपना साकार होने पर उसके परिवार वाले भी काफी खुश है.
उर्वशी ने कहा कि कभी फाइनेंसियल कमी की वजह से अगर उन्हें दिक्कत आती थी तो उनके इंस्ट्रक्टर भी उन्हें सपोर्ट करते थे. उन्होंने उर्वशी की महेनत और डेडिकेशन देख कर कहा कि उनकी सैलरी से पैसे काट लिए जाएं लेकिन उर्वशी की फ़्लाइंग नहीं रुकनी चाहिए. उनके दोस्त भी उनकी काफी मदद करते थे. वह उन सभी लोगों की ताउम्र शुक्रगुजार रहेंगी जिनकी मदद से वह यहां तक पहुंची हैं.
(जिगर दवे की रिपोर्ट)