हिंदू धर्म में अक्सर किसी भी शादी-ब्याह के मंडप में पुरुष पंडित ही पूजा-पाठ या मंत्रों का उच्चारण करते हुए दिखाई देते हैं. पितृसत्तात्मक समाज में सिर्फ शादी के रीति-रिवाज ही नहीं बल्कि सभी शुभ कार्य पुरुष पंडित के हाथों करवाए जाते हैं. लेकिन आपने शायद ही कभी देखा होगा कि किसी शादी में एक पुरुष के बजाय एक महिला पुजारी द्वारा शादी कराने का जिम्मा लिया हो, लेकिन अब जमाना धीरे-धीरे बदल रहा है.
राजस्थान के जयपुर में ऐसा ही एक अनूठा विवाह समारोह आयोजित हुआ है. हालांकि विवाह सामान्य ही था लेकिन फेरे किसी पुरुष पंडित ने नहीं बल्कि महिला पंडित ने मंत्रोच्चार के साथ विधि-विधान से पूरे करवाए.
महिला पंडित ने दिलवाए 7 फेरे
जयपुर महिला सशक्तिकरण का गवाह तब बना जब मेडिटेशन गुरु डॉ. निर्मला सेवानी ने महिला पुजारी के रूप में प्रजापति विवाह पद्धति से 32 चरणों में शहर के एक निजी होटल में 10 फरवरी को वर अभिनव और वधू सौम्या के 7 फेरे करवाकर उन्हें आशीर्वाद दिया. कर्नल आनंद मल्होत्रा के बेटे अभिनव और कर्नल राकेश रस्तोगी की पुत्री सौम्या ने पुरुष पंडित की परंपरा को तोड़ते हुए महिला पंडित से 7 फेरे लेने की इच्छा जाहिर की थी जिसके बाद यह सब मुमकिन हुआ.
हिंदू विवाह में फेरों का है अलग महत्व
वहीं विवाह के तरीकों के बारे में पूछे जाने पर 58 वर्षीय महिला पंडित डॉ निर्मला सेवानी ने बताया कि वे 32 चरणों में प्रजापति ब्रह्म विधि में हिंदू विवाह की रस्मों का पर्यवेक्षण करती हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि जब फेरों की रस्में शुरू होती हैं तो सभी देवी-देवता एक साथ बैठ जाते हैं और दूल्हा-दुल्हन को मंडप में आशीर्वाद देते हैं. इसी रीति-रिवाजों का पालन करते हुए उन्होंने शादी संपन्न करवाई है.
हालांकि महिला पंडित डॉ निर्मला का दावा है कि अब तक उनके द्वारा 42 शादी-ब्याह संपन्न करवाए जा चुके हैं. लेकिन ऐसा उन्होंने कभी भी सुर्खियों में आने के लिए नहीं किया बल्कि इसके जरिए वो युवाओं को पाश्चात्य संस्कृति छोड़ वैदिक संस्कारों को अपनाने का संदेश देती हैं. यही नहीं शादी के मंडप में वो हिंदी- संस्कृत से लेकर इंग्लिश में भी मंत्रों का उच्चारण करती हैं.
भारत में महिला पंडित असामान्य नहीं हैं
वहीं दूल्हे की मां संगीता मल्होत्रा कहती हैं, “किसी भी वैद में नहीं लिखा कि महिला पंडित नहीं हो सकती है. जबकि जन्म देने वाली मां है और लक्ष्मी-सरस्वती- दुर्गा मां की भी हम पूजा करते है तो गुरु मां से फेरे क्यों नहीं करवा सकते है? सभी सदस्यों का यह निर्णय एक राष्ट्रीय प्रवृत्ति को जन्म दे सकता है, जो शादियों में पितृसत्ता को चुनौती देता है. आखिरकार, भारत में महिला पंडित असामान्य नहीं हैं.”
बता दें कि इससे पहले एक्ट्रेस दीया मिर्जा और वैभव रेखी की शादी में महिला पंडित से शादी की रस्में निभाई थी. हालांकि दीया मिर्चा की वो दूसरी शादी थी लेकिन तब महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए उनकी इस पहल की खूब तारीफ हुई थी और अब राजस्थान में अनुठे विवाह को लेकर कहा जा रहा है कि पुरुष की जगह महिला पंडित से शादी सम्पन्न करवाना महिला सशक्तिकरण का एक पड़ाव है.
(विशाल शर्मा की रिपोर्ट)