Inspiring Story : दुनिया के सबसे कठिन रेस में भारतीय महिला ने रचा इतिहास, सहारा के रेगिस्तान में लगाई 256 किलोमीटर की दौड़

महाश्नेता घोष देश कि पहली ऐसी महिला बन गई हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे कठिन माने जाने वाले मैराथन ऑफ सैंड में भारत को रिप्रेजेंट किया. ये सहारा के रेगिस्तान में आयोजित होती है जिसमें दुनिया भर के लोग हिस्सा लेते है. मैराथन में कंटेंस्टेंट को अकेले रहना होता है ना उसके पास फोन होता है और न ही अपने परिवार का कोई सदस्य वहां मौजूद होता है.

महाश्वेता घोष
नीतू झा
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST
  • नेटफ्लिक्स से मिली प्रेरणा
  • बनाया हुआ है टाइमटेबल

देश और दुनिया के लाखों लोगों की तरह खुद को फिट रखने के लिए और अपना वजन कम करने के लिए 20 साल पहले बंगाल की रहने वाली महाश्वेता घोष ने दौड़ना शुरू किया था. श्वेता अपने बढ़ते वजन से परेशान थीं. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान न सोने का पता था न खाने का जिसका नतीजा ये हुआ कि वजन बढ़ता ही चला गया. इससे परेशान होकर एक दिन श्वेता ने ठान लिया कि अब वजन कम करना है. उन्होंने दौड़ना शुरू किया, लेकिन श्वेता को भी नहीं पता था कि एक दिन उनकी दौड़ उनको नई पहचान देगी. वो देश कि पहली ऐसी महिला बनेंगी जिन्होंने दुनिया के सबसे कठिन माने जाने वाले मैराथन ऑफ सैंड में भारत को रिप्रेजेंट किया और इस मैराथन को खत्म किया.

कहां होता है मैराथन?
मैराथन ऑफ सैंड के बारे में जानकारी देते हुए श्वेता बताती है कि ये सहारा के रेगिस्तान में आयोजित होती है जिसमें दुनिया भर के लोग हिस्सा लेते है. साल 2022 के लिए इसमें 1100 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था. ये कुल 7 दिनों तक चलती है और इसमें कुल 256 किलोमीटर चलना होता है. श्वेता आगे बताती है कि सबसे बड़ी चुनौती ये होती है कि आप एक अलग माहौल, मौसम और अलग ट्रैक पर दौड़ते हैं. रेगिस्तान में रेत की वजह से चलना काफी मुश्किल होता है. साथ ही कई जगह रेत के पहाड़ होते हैं. सहारा का तापमान काफी होने की वजह से भीषण गर्मी और धूप का सामना करते हुए पैदल चलने की वजह से उनके पैरों में छाले भी आ गए थे. यही हाल वहां मौजूद हर शख्स का था. मैराथन में कंटेंस्टेंट को अकेले रहना होता है ना उसके पास फोन होता है और न ही अपने परिवार का कोई सदस्य वहां मौजूद होता है. रोजाना एक टारगेट सेट किया होता है उसको पूरा करना होता है. टारगेट पूरा नहीं करने पर कंटेस्टेंट डिसक्वालीफाई हो जाता है. कंटेस्टेंट को अपना सामान भी खुद अपने साथ रखना होता है यानी वो अपनी पीठ पर अपना बैग जिसमें खाने पीने का थोड़ा समान, पानी और टेंट लेकर चलते है. दिन खत्म होने के बाद उसी टेंट में आराम करते हैं.

नेटफ्लिक्स से मिली प्रेरणा
श्वेता आगे बताती है कि उन्हें इस मैराथन की प्रेरणा नेटफ्लिक्स पर मौजूद एक सीरीज लूजर्स से मिली जिसमें जो किरदार होता है वो इसी मैराथन में हिस्सा लेता है लेकिन वो कहीं खो जाता है और बिना पानी और खाने के 9 दिनों तक अपना गुजर बसर करता है. ये देख कर श्वेता ने भी तय किया उन्हे भी मैराथन में हिस्सा लेना है. ये बात साल 2019 की है लेकिन उस समय श्वेता का पैर टूट गया था और फिर कोरोना काल शुरू हो गया इसी वजह से उन्हें 3 साल का वक्त लग गया.

अभी नहीं रुकेंगी श्वेता
श्वेता आगे बताती है कि उनका सफर यहीं तक खत्म नहीं हुआ है बल्कि अभी तो उनका सफर जारी रहेगा. वो अभी और दौड़ेगी और अपने सपने को जीने की पूरी कोशिश करेंगी. दरअसल दौड़ना उनके लिए एक सपने जैसा है और वह अपने सपने को साकार कर रही हैं. अपने परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि बंगाली परिवारों में खाने पीने का शौक काफी ज्यादा होता है बचपन से ही उन्हें भी खाने का काफी शौक था यही वजह थी कि उनका वजन बढ़ने लगा था. इसके बाद जब उन्होंने यह तय किया किया वह नहीं फिटनेस की ओर एक कदम आगे बढ़ाना है तो पहले उनके परिवार में लोग इससे खुश नहीं थे लेकिन आज जब उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है तो उनके परिवार वाले भी काफी खुश हैं. श्वेता बताती हैं कि इस पूरे सफर में उनके पति का भी अहम योगदान रहा है, पति के अलावा उनके दोस्तों ने भी उनका काफी साथ दिया है साल 2012 में उन्होंने पहला मैराथन दौड़ा था और इस बारे में भी उन्हें उनके एक दोस्त नहीं प्रोत्साहित किया था सदा बताती हैं कि उनके दोस्त अक्सर उन्हें नई नई चीजों के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं.

बनाया हुआ है टाइमटेबल
बता दें, श्वेता एक टेक कंपनी में काम करती है और वो नौकरी के साथ मैराथन में भी हिस्सा लेती रहती हैं. उन्होंने बताया कि जैसे बचपन के दिनों में हम टाइमटेबल बनाते थे वैसे ही उन्होंने अपना टाइम टेबल बनाया हुआ जिसकी शुरुआत सुबह 4 बजे से होती है और वो रात के 10 बजे सोती है. खुद को फिट रखने के लिए वो मीठा नहीं खाती है और काफी हेल्थी डाइट लेती हैं.

श्वेता की फिटनेस जर्नी लोगों के लिए एक मिसाल है. इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वो अभी 44 साल की हैं और बहुत जल्द 45 साल की हो जाएगी. उन्होंने बीते 20 सालों से अपनी फिटनेस जर्नी को कायम रखा है और वो बाकी तमाम लोगों को भी यही समझाती हैं कि आपको फिट रहना चाहिए. इसके लिए जो पहला कदम है वह आपको खुद उठाना होगा. अगर आप किसी भी काम को लेकर पूरी निष्ठा रखते हैं तो आप उसे करने में कामयाब हो सकते हैं.

 

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